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फ्लाइट को बम थ्रेट मिलने पर क्या होता है ? कैसे काम करती है ऑथोरिटी? जानें सबकुछ

पिछले सप्ताह दर्जनों विमानों को बम की धमकी वाले कॉल मिले. हालांकि, ये सभी कॉल झूठी निकली. इसके चलते यात्रियों को काफी असुविधा हुई.

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

फ्लाइट में बम होने की धमकी मिलने पर क्या होता?
फ्लाइट में बम होने की धमकी मिलने पर क्या होता? (ANI)

नई दिल्ली: पिछले हफ्ते दर्जनों फ्लाइट्स को लगातार बम की धमकियां मिलीं, जिससे एयरलाइंस कंपनियों में हड़कंप मच गया और देश में विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर एक बड़ी चिंता पैदा हो गई. हालांकि, सभी बम धमकियां झूठी साबित हुईं, लेकिन इनसे एयरलाइंस के संचालन में बाधित हुआ और सभी यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को असुविधा हुई.

बम धमकियों की बौछार के बीच एयरलाइंस ने तुरंत रेस्पांस किया और अपने आतंकवाद विरोधी प्रोटोकॉल को लागू किया. साथ ही एयरलाइंस ने सिक्योरिटी थ्रेट के बारे में आगे की सहायता और जांच के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय से संपर्क किया.

ऐसे में सवाल यह है कि जब किसी फ्लाइट को बम की धमकी मिलती है तो क्या होता है? अगर आप नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं.

जब किसी फ्लाइट को बम की धमकी मिलती है तो क्या होता है?
अगर बीच हवा में किसी फ्लाइट को बम की धमकी मिलती है, तो सबसे पहले अलर्ट जारी किया जाता है और तुरंत एयरपोर्ट पर बम थ्रेट असेसमेंट कमिटी (BTAC) की बैठक बुलाई जाती है. धमकी की वैधता का आकलन करने के बाद बीटीएसी अगले एक्शन का फैसला लेती है.

अगर धमकी वैध या स्पेसिफिक होती है, तो पायलटों को एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से संपर्क करने के बाद अपना अगला कदम उठाने के लिए कहा जाता है. फ्लाइट के स्थान के आधार पर पायलटों को डिपार्चर एयरपोर्ट पर लौटने, तय किए गए डेस्टिनेशन की ओर जाने या फ्लाइट को पास के एयरपोर्ट पर डायवर्ट करने का निर्देश दिया जाता है.

अगर बम की धमकी किसी ऐसे विमान को मिलती है, जिसने अभी उड़ान नहीं भरी है, तो विमान को बीटीएसी से सलाह लेने के बाद पूरी तरह से सुरक्षा जांच के लिए एकांत स्थान पर ले जाया जाता है.

इंटरनेशनल फ्लाइट को धमकी मिलने पर क्या होता है?
अगर बम की धमकी किसी अंतरराष्ट्रीय विमान को मिलती है, जो पहले से ही भारतीय हवाई क्षेत्र से बाहर है, तो भारतीय एजेंसियों को अंतरराष्ट्रीय एटीसी और सुरक्षा एजेंसियों के साथ कोर्डिनेशन करना पड़ता है. इसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाती है.

ऐसे मामलों में विमान को आमतौर पर निकटतम हवाई अड्डे पर भेज दिया जाता है. इस बीच भारत सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय लगातार बम धमकियों के इस मुद्दे को हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं.

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