संदेशखाली के 'विलेन' शेख शाहजहां के राजनीतिक रसूख की ऐसी है कहानी
TMC leader Sheikh Shahjahan : संदेशखाली में तनाव के बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता शेख शाहजहां को पश्चिम बंगाल पुलिस ने 'यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने' के आरोप में गुरुवार सुबह गिरफ्तार कर लिया. पढ़ें इस पूरे विवाद के केंद्र में रहे नेता शेख शाहजहां के राजनीतिक रसूख की कहानी...
कोलकाता:आज 55 दिनों से फरार चल रहे टीएमसी नेता शेख शाहजहां को पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस तरह से ईडी अधिकारियों पर हमले के बाद से पश्चिम बंगाल में शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों का एक अध्याय पूरा हो गया. माना जा रहा है कि अब ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियां शेख को हिरासत में लेने की कोशिश करेंगी.
वहीं, इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार का अगला कदम क्या होगा इसपर सभी की नजर रहेगी. बीते 55 दिनों से यह केंद्र सरकार, केंद्र की एजेंसियां और कलकत्ता हाईकोर्ट बनाम पश्चिम बंगाल सरकार के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण रहा है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि एक जिला परिषद प्रमुख कैसे किसी राज्य सरकार के लिए नाक का सवाल बन गया और क्यों इस मामले में हाईकोर्ट को कई बार हस्तक्षेप करना पड़ा.
इस मामले को करीब से जानने वाले एक पुलिस अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर एक अखबार से कहा कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 42 वर्षीय नेता शेख शाहजहां पिछले 20 वर्षों से सत्ता के साथ बने हुए हैं. राष्ट्रीय सुर्खियों में आने से लगभग दो दशक पहले, 42 वर्षीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पदाधिकारी शेख शाहजहां को 2006 में पहली बार कानून का सामना करना पड़ा था. पुलिस अधिकारी ने अखबार को बताया कि जब उन्हें पहली बार पुलिस स्टेशन में बुलाया गया था शेख तब 20 साल के थे. वह पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में एक मछली बाजार में एक एजेंट के रूप में काम करते थे.
संदेशखाली में प्रदर्शन के बाद की फाइल फोटो.
2006 की घटना से परिचित एक पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया कि उन्हें याद है उस दिन जब उन्हें पुलिस स्टेशन पर बुलाया गया था उनके चेहरे पर किसी तरह का कोई भय नहीं था. वह त्कालीन सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एक स्थानीय पदाधिकारी को जानते थे. उनके प्रभाव में उन्हें आधे घंटे में छोड़ दिया गया. इतना ही नहीं रिकॉर्ड बताते हैं कि कुछ दिनों बाद थाना प्रभारी का तबादला कर दिया गया.
शेख शाहजहां की फाइल फोटो.
इसके बाद शेख ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. जब 34 साल के वाम मोर्चे के शासन के बाद 2011 में पहली बार सत्ता में आने से एक साल पहले टीएमसी में शामिल हो गये. मामले के जानकार ईडी के के सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने 2 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक जमा राशि, 17 कारों का बेड़ा और 40 बीघे कृषि भूमि जितनी संपत्ती जुटा ली है. इसके अलावा शेख का ईंट भट्ठों का कारोबार अलग है जहां वह कभी 50 रुपये प्रतिदिन की दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम किया करता थे.
संदेशखाली में तैनात पुलिस और सुरक्षा बल. (फाइल फोटो)
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शेख पिछले 20 वर्षों से हमेशा सत्ता के करीबी रहे. 2004 से 2010 तक, उन्हें संदेशखाली क्षेत्र में सीपीआईएम का सबसे प्रभावशाली कार्यकर्ता माना जाता था. 2010 में, उन्होंने पाला बदल लिया और टीएमसी में शामिल हो गए. कुछ ही वर्षों में, वह टीएमसी संदेशखाली, उत्तर 24 परगना के संयोजक बन गए.
संदेशखाली में प्रदर्शन के बाद की फाइल फोटो.
संदेशखाली में बार-बार हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने शेख को खबरों में बनाए रखा. जिन्हें 55 दिन बाद गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार ने गिरफ्तार कर लिया. इस दौरान संदेशखाली निवासी यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोप में शाहजहां और उसके सहयोगियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए सड़कों पर प्रदर्शन जारी रखा.
शेख 5 जनवरी से फरार थे. पांच जनवरी को जब कथित राशन वितरण घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उसके परिसरों की तलाशी लेने गई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पर कथित तौर पर उसके समर्थकों की भीड़ ने हमला कर दिया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय टीएमसी पदाधिकारी और शेख के सहयोगी शिबाप्रसाद हाजरा और उत्तम सरदार उन 18 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें यौन उत्पीड़न, जमीन पर कब्जा करने और संदेशखाली में हिंसा भड़काने की शिकायतों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जबतक शेख राष्ट्रीय सुर्खियों में नहीं आया, उसका आतंक इतना प्रभावी था कि स्थानीय पुलिस भी उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करने की हिम्मत नहीं करती था. गुमनान पुलिस अधिकारियों के हवाले से प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2020 से 2023 के बीच उनके खिलाफ विभिन्न पुलिस स्टेशनों में 16 जमीन हड़पने, 13 हत्या या हत्या के प्रयास, पांच बलात्कार और 17 आपराधिक साजिश की शिकायतें दर्ज की गईं. लेकिन इनमें से कोई भी शिकायत एफआईआर का रूप नहीं ले सकी.
प्रदर्शनकारियों को समझाती पुलिस. (फाइल फोटो)
ईडी के एक अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब केंद्रीय एजेंसी ने 5 जनवरी को अपनी टीम पर हमला होने के बाद शिकायत दर्ज की, तो जमानती आरोपों और गैर-अनुसूचित अपराधों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि हमारी शिकायतें (भारतीय दंड संहिता) धारा 307 (हत्या का प्रयास), 333 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना), 326 (स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों या साधनों से गंभीर चोट पहुंचाना), 353 (विशेष रूप से सराकारी कर्मचारी को काम से आपराधिक बल का उपयोग करने या धमकी देने) के तहत थीं.
संदेशखाली में तैनात सुरक्षा बल. (फाइल फोटो)
अधिकारी के हवाले से प्रकाशित खबर के मुताबिक, इसके साथ ही ईडी के अधिकारियों ने 392 (डकैती), 395 (डकैती), 397 (मौत या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के साथ लूट या डकैती), 149 (गैरकानूनी जमावड़ा), 148 (दंगा करना), 186 (स्वेच्छा से किसी भी सार्वजनिक कार्य में बाधा डालना), 189 (किसी भी लोक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी), 426 (शरारत), 435 (आग या किसी विस्फोटक पदार्थ से हमला), 440 (मौत के इरादे से चोट पहुंचाना, गलत तरीके से रोकना, या मौत का डर पैदा करने के इरादे से शरारत या चोट पहुंचाना), 341 (गलत तरीके से रोकना) और 342 (गलत तरीके से किसी व्यक्ति को बंधक बनाना) जैसी धाराओं के साथ शिकायत करना चाहते थे. ऐसे मामलों में आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.
ईडी अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने केवल उपलब्ध धाराओं 147, 148, 149, 341, 186, 353, 323, 427, 379, 504 के तहत एफआईआर दर्ज की है. उन्होंने कहा कि शेख ने अपनी संपत्तियों का विवरण और स्रोत भी नहीं दिया है.