नई दिल्ली:आम चुनाव के बीच, जब राजनीतिक दल धन के पुनर्वितरण को लेकर आपस में भिड़ गए, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भौतिक दुनिया में मानव संपर्क द्वारा उपलब्ध कराई गई सभी चीजें समुदाय के संसाधन का गठन करती हैं. इसमें एक कार, कार बनाने वाला निगम, सेमीकंडक्टर चिप और मोबाइल फोन शामिल हैं.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 न्यायाधीशों की पीठ जिसमें न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति एस धूलिया, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति आर बिंदल, न्यायमूर्ति एस सी शर्मा और न्यायमूर्ति ए जी मसीह शामिल हैं, एक कानूनी प्रश्न की जांच कर रही है. जांच की जा रही है कि क्या राज्य संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) में 'समुदाय के भौतिक संसाधनों' शब्द के तहत निजी तौर पर रखी गई संपत्ति या संसाधनों पर नियंत्रण कर सकता है, जो राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) का हिस्सा है.
महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे एजी ने कहा कि वे सभी चीजें जो भौतिक दुनिया में उपलब्ध हैं और मानव संपर्क द्वारा उपलब्ध कराई गई हैं, समुदाय के संसाधन का गठन करती हैं. अनुच्छेद 39 (बी) और (सी) को समझने के लिए प्रासंगिक एक व्यापक विवरण. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 39 और, विशेष रूप से, अनुच्छेद 39 खंड (बी) और (सी) को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सिद्धांतों के संयोजन के रूप में सबसे अच्छी तरह समझा जाता है.
शीर्ष अदालत में प्रस्तुत एजी के नोट में कहा गया है, 'मानव जीवन के संगठन में जीविका और कल्याण के उद्देश्यों के लिए हमारी गतिविधियों, लेन-देन और भौतिक दुनिया के साथ हमारी बातचीत का संगठन शामिल है. उपरोक्त सभी संसाधन की दुनिया के साथ हो सकते हैं, जो प्राकृतिक अवस्था में उपलब्ध हैं और मानव संपर्क द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं. इस प्रकार, भौतिक दुनिया में सभी चीजें जो उपलब्ध हैं और मानवीय संपर्क या जुड़ाव द्वारा उपलब्ध कराई गई हैं, समुदाय के संसाधनों का गठन करती हैं'.
एजी ने पीठ के समक्ष तर्क दिया कि संसाधन, भौतिक और भौतिक दुनिया में कोई भी वस्तु जिसका उपयोग मनुष्य कर सकता है. मानव उपभोग के लिए शोषण कर सकता है, या वस्तु में कुछ भी जो मानव उद्देश्यों के लिए बनाया या बनाया जा सकता है, समुदाय के संसाधनों का गठन करेगा. सीजेआई ने सवाल किया, 'आपकी परिभाषा में निजी स्वामित्व की कोई अवधारणा ही नहीं है'. एजी ने प्राकृतिक बनाम मानव निर्मित संसाधनों के बीच अंतर पर जोर दिया और कहा कि अनुच्छेद 39 (बी) का उद्देश्य समुदाय के संसाधनों का सहारा लेकर सामान्य भलाई की प्राप्ति है.
सीजेआई ने पूछा, 'समुदाय का कोई भौतिक संसाधन होना चाहिए?'. एजी ने कहा कि आखिरकार हम एक भौतिक दुनिया में रहते हैं और उपयोग किए गए या बनाए गए सभी संसाधन भौतिक संसाधन हैं. सीजेआई ने आगे सवाल किया, 'वे समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं हो सकते हैं? आपका सूत्रीकरण यह है कि निजी श्रम के अनुप्रयोग द्वारा निर्मित कोई भी चीज़ समुदाय का भौतिक संसाधन है? आपने समुदाय के बारे में कहा, क्या भौतिक दुनिया की सभी चीजें और उपलब्ध मानवीय संपर्क या जुड़ाव समुदाय के संसाधनों का गठन करते हैं?'.