दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

"क्या सुरिंदर चौधरी हिंदू नहीं है", 'दरबार मूव' से लेकर हिंदू-मुस्लिम एकता तक, बोले जम्मू कश्मीर के डिप्टी CM

डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी चाहते हैं कि, जम्मू कश्मीर में 'दरबार मूव' को फिर से बहाल किया.

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 5 hours ago

Updated : 4 hours ago

Etv Bharat
जम्मू कश्मीर के डिप्टी CM (ETV Bharat)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में अपनी पहली निर्वाचित सरकार मिली है, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश के पहले निर्वाचित व्यक्ति बने हैं और जम्मू क्षेत्र से उनके सहयोगी सुरिंदर चौधरी उपमुख्यमंत्री बने हैं.

सुरिंदर चौधरी राजौरी जिले के नौशेरा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रविंदर रैना को हराकर निर्वाचित हुए हैं. सुरिंदर और कई राजनीतिक विश्लेषकों के लिए यह एक आश्चर्यजनक जीत और रैना के लिए एक चौंकाने वाली हार थी, जिससे चौधरी को "गेंट किलर" की उपाधि मिली.

देखें वीडियो (ETV Bharat)

सुरिंदर चौधरी एक जाट नेता हैं और सेना के जवान जय लाल चौधरी के बेटे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि चौधरी को उपमुख्यमंत्री के रूप में पदोन्नत करना उमर द्वारा जम्मू क्षेत्र को "आवाज और प्रतिनिधित्व" देने के लिए एक संतुलनकारी कार्य है और साथ ही जम्मू में भाजपा को "कड़ा जवाब" भी है, क्योंकि भगवा पार्टी ने हिंदू बहुल चार जिलों जम्मू, उधमपुर, सांबा और कठुआ में 31 में से 29 सीटें जीती हैं.

ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता मीर फरहत के साथ इस विशेष साक्षात्कार में जम्मू कश्मीर के डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी ने कहा कि, उमर और फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस ने उन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है और उन पर तथा उनके परिवार पर बहुत बड़ा बोझ डाला है, जिसका वह कभी भी किसी भी रूप में भुगतान नहीं कर सकते.

चौधरी की राजनीति की शुरुआत 1995 में नेशनल कॉन्फ्रेंस से हुई थी, फिर वह 2014 में विधान परिषद के सदस्य बनने के लिए पीडीपी में चले गए और बाद में 2022 में वह भाजपा में शामिल हो गए और एक साल बाद पार्टी छोड़कर फिर से नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गए. चौधरी ने कहा कि, जब वह राजनीति में आए थे, तब उन्होंने मंत्री या राज्य मंत्री (एमओएस) बनने के बारे में सोचा था, न कि उपमुख्यमंत्री बनने के बारे में.

उन्होंने कहा, "पिछली सरकारों में जम्मू क्षेत्र के कई नेताओं को उपमुख्यमंत्री के रूप में नामित किया गया था, लेकिन यह पहली बार है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने राजौरी जिले से एक उपमुख्यमंत्री बनाया है. यह पीर पनाले के लोगों के लिए एक असाधारण उपलब्धि है और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेतृत्व ने इसे लोगों को प्रदान किया है." चौधरी ने कहा कि जब उन्होंने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली तो उनकी आंखें नम हो गईं और उनके पैर मंच पर कांपने लगे.

डिप्टी सीएम ने कहा, "मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि, मैं उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लूंगा. साथ ही, मैंने अपने अंदर प्रार्थना की कि मैं जम्मू-कश्मीर और खासकर जम्मू क्षेत्र के लोगों के लिए इस बड़ी जिम्मेदारी को निभा सकूं." डिप्टी सीएम चौधरी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मतदाता ध्रुवीकरण के आधार पर मतदान नहीं कर रहे हैं क्योंकि जम्मू के हिंदू बहुल इलाकों से पांच विधायक एनसी या स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीते हैं. उन्होंने कहा कि, हिंदू-मुस्लिम मतदाताओं का कोई ध्रुवीकरण नहीं है, बल्कि यह बदलाव है जो राजनीतिक स्थिति के अनुसार बदलता रहता है.

उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर की यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि जब भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीतते हैं, तो हम यह कहना शुरू कर देते हैं कि हिंदुओं ने भाजपा को ही वोट दिया है. क्या सुरिंदर चौधरी हिंदू नहीं हैं, क्या सतीश शर्मा (छंब निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय विजेता) हिंदू नहीं हैं, क्या डॉ. रामेश्वर सिंह (बनी निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय विजेता) हिंदू नहीं हैं? यह उनके (भाजपा) द्वारा फैलाई गई कहानी है, जिसका कोई आधार नहीं है. जो उम्मीदवार जीते हैं, वे अपनी मेहनत और लोगों के उन पर भरोसे के कारण जीते हैं और जो चुनाव हारे हैं, वे कम मेहनत और अन्य कुछ कारकों के कारण हारे हैं.

डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी ने आगे कहा कि, चुनावी जीत को हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि, जम्मू-कश्मीर एक ऐसी इकाई है, जहां लोग हमेशा एकजुट रहे हैं और सभी धर्मों और विविधताओं की आबादी होने के बावजूद एकता दिखाई है. चौधरी ने इस एकता को प्रतीकात्मक कहानी का उपयोग करके समझाया कि "शेर और बकरी ने एक साथ पानी पिया है." उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार जम्मू के लोगों की मांग के अनुसार दरबार को फिर से स्थापित करना चाहती है.

उन्होंने कहा, "दरबार मूव (कश्मीर और जम्मू के बीच हर दो साल में सिविल सचिवालय को ट्रांसफर करना) की प्रथा महाराजा द्वारा शुरू की गई थी, जो एक हिंदू शासक थे, लेकिन भाजपा जो जम्मू के रक्षक होने का दावा करती है, ने इस प्रथा को रोक दिया जिसने जम्मू को आर्थिक रूप से बर्बाद कर दिया है. उन्होंने कहा कि, वे दरबार मूव को फिर से बहाल करना चाहते हैं.

चौधरी ने कहा कि एनसी सरकार और उसके नेतृत्व के पास जम्मू जिलों को प्रतिनिधित्व देने का रोडमैप है, जहां से भाजपा के 29 विधायक चुने गए हैं. उन्होंने कहा, "हमारी सरकार सभी लोगों का प्रतिनिधित्व करेगी, चाहे लोगों ने किसी भी पार्टी को वोट दिया हो." अनुच्छेद 370 की बहाली के बारे में चौधरी ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा गृह मंत्री (अमित शाह) ने संसद में किया है.

डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी ने कहा, "अब समय आ गया है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाए क्योंकि लोगों ने रिकॉर्ड संख्या में मतदान किया है और साथ ही जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए विशेष रूप से भूमि और नौकरियों के अधिकार बहाल किए जाएं."

ये भी पढ़ें:उमर अब्दुल्ला बोले, नई दिल्ली से लड़ाई जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित में नहीं

Last Updated : 4 hours ago

ABOUT THE AUTHOR

...view details