नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ईवीएम वोटों के 100% वीवीपैट सत्यापन का सुझाव देने वाली याचिका पर सुनवाई की. शीर्ष अदालत ने सोमवार को गुप्त मतदान पद्धति के मुद्दों की ओर इशारा करते हुए कहा कि मानवीय हस्तक्षेप से समस्याएं पैदा होती हैं.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण से कहा, 'हम 60 साल के हैं. हम सभी जानते हैं कि जब बैलेट पेपर थे तो क्या हुआ था. आप भी जानते होंगे, लेकिन हम नहीं भूले हैं'.
भूषण ने कहा कि कोर्ट बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं का जिक्र कर रहा है. यह बड़े मुद्दे की ओर इशारा कर रहा है. अदालत को पता है कि जब बैलेट पेपर के माध्यम से मतदान हुआ तो क्या गलतियां हुईं. भूषण ने इस बात पर जोर दिया कि जर्मनी बैलेट पेपर की ओर लौट आया है. देश को बैलेट पेपर प्रणाली की ओर वापस जाना चाहिए, क्योंकि ईवीएम हैकिंग के प्रति संवेदनशील हैं.
भूषण ने सुझाव दिया कि प्रत्येक वीवीपैट पर्ची मतदाताओं को हाथ में दी जानी चाहिए, फिर वे इसे मतपेटी में जमा कर सकते हैं. वीवीपैट का डिजाइन बदल दिया गया था. इसे पारदर्शी ग्लास होना चाहिए था, लेकिन डिजाइन को अपारदर्शी दर्पण ग्लास में बदल दिया गया था. जहां यह केवल तभी दिखाई देता है, जब प्रकाश केवल 7 सेकंड के लिए चालू होता है.