कोझिकोड:केरल के वायनाड में आए विनाशकारी भूस्खलन के बाद उच्च जोखिम वाले संवेदनशील इलाको में बेतहाशा शहरीकरण गतिविधियों ने कई सवाल खड़े किए हैं. केरल के मेप्पडी में सबसे अधिक संख्या में रिसॉर्ट्स और अनगिनत होमस्टे वाली पंचायत है. चूरलमाला, मुंडकाई और अट्टामाला के सबसे घातक भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र इसी पंचायत के अंतर्गत आते हैं. केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव समेत कई लोग पहले कह चुके हैं कि अवैध निर्माण और विभिन्न प्रकार की लापरवाही के कारण केरल के वायनाड में आपदा आई.
वायनाड भूस्खलन की वजह क्या?
जानकारी के मुताबिक, 2019 से, मेप्पडी पंचायत ने तीन ग्राम पंचायत वार्डों में रिसॉर्ट्स और होमस्टे सहित लगभग चालीस इमारतों की अनुमति दी. विशेष आवासीय अनुमति दिए जाने के बाद इमारतों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई. यह चौंकाने वाली बात है कि अट्टामाला, मुंडकाई और चूरलमाला में दो हजार से ज्यादा घर थे. वन विभाग ने इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी, जिसमें अवैध निर्माण का ब्योरा भी शामिल है.
यहां निर्माण पर प्रतिबंध है
वायनाड साउथ डीएफओ अजित के रमन के मुताबिक, भूस्खलन प्रभावित इलाका मुंडाकाई रेड जोन में है और यहां निर्माण पर प्रतिबंध है. " रेड श्रेणी क्षेत्र के बारे में कई रिपोर्ट दी गई हैं, जिसमें वहां निर्माण को प्रतिबंधित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है. प्राकृतिक आपदाओं की उच्च संभावना के कारण इस क्षेत्र में इमारतों को नियंत्रित किया जाना चाहिए.
रेड जोन में हैं वायनाड के ये इलाके
वायनाड दक्षिण डीएफओ अजित के रमन ने ईटीवी भारत को बताया, रिपोर्ट में, उन्होंने एनओसी के बिना चल रहे रिसॉर्ट्स और होमस्टे को रोकने को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया है. यदि आवश्यक हो तो वन विभाग को पुंचिरीमट्टम में वन क्षेत्र से सटे भूमि पर कब्जा करना चाहिए. वन, राजस्व, अग्निशमन और बचाव, और भूविज्ञान विभागों की एक संयुक्त टीम ने पिछले साल एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. उन्होंने कहा कि, वह अकेले लोगों को इमारतें बनाने से नहीं रोक सकते. उन्होंने यह भी कहा कि, "पंचायत रेड जोन में भी रिसॉर्ट और घर बनाने की अनुमति दे रही है."
भवन निर्माण की इजाजत
आंकड़े बताते हैं कि, अतीत में कई भूस्खलन झेल चुके मुंडाकाई और चूरलमाला इलाकों में बिना इस बात पर विचार किए भवन निर्माण की इजाजत दे दी गई. पर्यटकों को आकर्षित करने और रहने के लिए प्रवास करने वाले लोगों को समायोजित करने के लिए बड़ी संख्या में रिसॉर्ट्स और होमस्टे की अनुमति दी गई थी. इन पहाड़ों पर हर महीने हजारों पर्यटक साहसिक पर्यटन और ट्रैकिंग के लिए आते हैं. पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित किए बिना भारी बारिश के दौरान भी इन स्थानों तक पहुंच खुली रही. ट्रैकिंग और साहसिक पर्यटन पर प्रतिबंध के बावजूद, सभी रिसॉर्ट्स में लोग थे. बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण की शिकायतों के बावजूद किसी ने हस्तक्षेप नहीं किया.
अगर सख्त चेतावनी दी गई होती तो....
29 तारीख को एक हल्के से भूस्खलन के दिन, स्थानीय निवासियों ने शिकायत की कि पर्यटन क्षेत्रों में प्रतिबंधों के बावजूद, निर्देशों का ठीक से पालन नहीं किया गया. मौसम की चेतावनी भी विफल होने से आबादी वाले क्षेत्र में आपदा और बढ़ गई. 1984 के बाद से, वायनाड में सभी भूस्खलन बरसात के मौसम में हुए हैं. स्थानीय निवासी सैदालवी मेपाडी ने कहा, "यहां जब भी भारी बारिश होती है, पत्थर टूट जाते हैं. लेकिन मौसम विभाग की ओर से एक बड़ी विफलता हुई है. यह एक ऐसा परिदृश्य है जो अत्यधिक वर्षा को सहन नहीं कर सकता है. कई लोग इस गांव को छोड़ने के लिए तैयार नहीं होंगे, लेकिन अगर सख्त चेतावनी दी गई होती, तो कई लोग वहां से चले गए होते.''
ईस्ट इंडिया कंपनी ने कहा था यहां गोल्ड की खदान है
ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक बार यहां डेरा डाला था, उनका मानना था कि इन पहाड़ियों के नीचे सोने की खदान हो सकती है. लेकिन जब खनन मुश्किल हो गया तो उन्होंने खेती की ओर रुख किया. इससे इस क्षेत्र में चाय और कॉफी की खेती की शुरुआत हुई. हालांकि, बाद में जब धीरे-धीरे यहां जनसंख्या में वृद्धि होने लगी तो उसके नाकारात्मक परिणाम समय-समय पर देखने को मिलने लगी. हालिया वायनाड भूस्खलन में हुई मानवीय क्षति से यहां के लोग शायद ही उबर पाएंगे.
ये भी पढ़ें:वायनाड भूस्खलन में इतनी बड़ी तबाही का कारण क्या है? जलवायु वैज्ञानिकों ने बताई वजह