नई दिल्ली : वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच कर रही संसदीय समिति ने बुधवार को सर्वसम्मति से अगले बजट सत्र के अंतिम दिन तक अपने कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला किया. इस संबंध में गुरुवार को संसद में प्रस्ताव लाया जाएगा. बैठक में विपक्षी सदस्यों ने अध्यक्ष जगदंबिका पाल के इस रुख पर नाराजगी जताई कि इसकी मसौदा रिपोर्ट स्वीकार किए जाने के लिए तैयार है.
बैठक की शुरुआत हंगामे के साथ हुई, क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया और संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पाल की आलोचना की. पाल और समिति के भाजपा सदस्यों ने उनसे संपर्क किया, जिसके बाद माहौल शांत हुआ. उन्होंने समिति की रिपोर्ट लोकसभा में जमा करने की 29 नवंबर की समयसीमा को बढ़ाने के लिए दबाव बनाने की इच्छा जताई. भाजपा सांसद पाल ने कहा कि समिति अपने विचार में एकमत है, क्योंकि उसे छह राज्यों सहित कुछ अन्य हितधारकों की बात भी सुननी है, जहां वक्फ और राज्य सरकारों के बीच विवाद हैं.
पाल ने संवाददाताओं से कहा, "हमें लगता है कि इसकी समयसीमा बढ़ाने की जरूरत है." भाजपा सांसद और समिति की सदस्य अपराजिता सारंगी ने कहा कि समिति लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से अनुरोध करेगी कि वे सदन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समयसीमा को 2025 के बजट सत्र के अंतिम दिन तक बढ़ा दें. पाल इस संबंध में निचले सदन में एक प्रस्ताव पेश कर सकते हैं. समिति के विभिन्न हितधारकों से मिलने के लिए कुछ राज्यों का दौरा करने की उम्मीद है. 21 नवंबर को समिति की पिछली बैठक के बाद पाल ने कहा था कि इसकी मसौदा रिपोर्ट तैयार है.
उन्होंने संकेत दिया कि हितधारकों के साथ समिति का परामर्श समाप्त हो गया है और इसके सदस्य अब रिपोर्ट पर चर्चा करेंगे और इसे अपनाने से पहले यदि कोई बदलाव होगा तो उसका सुझाव देंगे. बुधवार की बैठक में विपक्षी सदस्यों ने इस रुख पर कड़ी आपत्ति जताई और जल्द ही बाहर निकल गए. उन्होंने दावा किया कि बिरला ने उन्हें आश्वासन दिया था कि इसका कार्यकाल बढ़ाया जाएगा. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, हमें समिति के अध्यक्ष से वह आश्वासन नहीं मिला है जो हमें अध्यक्ष से मिला है. उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि कोई बड़ा मंत्री अध्यक्ष की कार्रवाई को निर्देशित कर रहा है."