अमरावती:एक प्रसिद्ध कहावत है कि हम जो सांस लेते हैं, वह हमारा जीवन है. लेकिन क्या होगा अगर जिस हवा में हम सांस लेते हैं, वह जहरीली हो जाए? दुर्भाग्य से, यही वास्तविकता है जिसका सामना आंध्र प्रदेश कर रहा है. हाल के अध्ययनों और सरकारी रिपोर्टों से पता चलता है कि राज्य में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है, जिससे यहां के निवासियों के स्वास्थ्य और कल्याण को खतरा है.
बढ़ता प्रदूषण, बढ़ता खतरा
एक प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण समय से पहले होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है. देश के 10 प्रमुख शहरों में होने वाली कुल समय से पहले होने वाली मौतों में से 7% के लिए वायु प्रदूषण ही जिम्मेदार था. चिंताजनक बात यह है कि यह समस्या अब केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है. छोटे शहरों में भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है.
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की एक हालिया रिपोर्ट में पाया गया कि पिछले साल सितंबर में विशाखापत्तनम छह दिनों तक और विजयवाड़ा तीन दिनों तक देश के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहे. वास्तव में, आंध्र प्रदेश के 26 शहर और कस्बे उसी महीने में कम से कम पांच बार शीर्ष 67 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल थे.
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने आंध्र प्रदेश के 13 शहरों में विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, गुंटूर, कुरनूल, नेल्लोर, अनंतपुर, चित्तूर, एलुरु, कडप्पा, ओंगोल, राजमुंदरी, विजयनगरम और श्रीकाकुलम को राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रहने के लिए चिह्नित किया है. यह इन शहरों में रहने वाले लोगों के लिए कितना बड़ा खतरा है, यह दिखाता है.
हालांकि 2026 तक 131 शहरों में महीन कण पदार्थ (PM2.5) के स्तर को 40% तक कम करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता कार्यक्रम शुरू किया गया है, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निष्कर्ष कुछ और ही बताते हैं. आंध्र प्रदेश में वायु गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है.