क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा, यह गौतम बुद्ध से किस तरह जुड़ा है, जानें - Vesak Day 2024 - VESAK DAY 2024
Vesak Day 2024 : भगवान बुद्ध के उपदेशों को स्वीकार कर बड़ी संख्या में लोग बौद्ध धर्म स्वीकार कर चुके हैं. आज के समय में भारत से निकलकर बौद्ध धर्म दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचकर शांति, करुणा और सद्भावना का संदेश जन-जन तक पहुंचा रहा है. बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग भगवान बुद्ध के उपदेशों में विश्वास करते हैं. यह शिक्षा उन्होंने दुनिया के दुखों को देखकर अपने जीवन के अनुभव के आधार पर दिया था. वहीं बौद्ध धर्म मानने वालों के लिए बुद्ध एक नाम नहीं बल्कि एक उपाधि है, जिसका तात्पर्य प्रबुद्ध व्यक्ति या जाग्रत व्यक्ति.पढ़ें पूरी खबर...
हैदराबाद:भारत से सटे दक्षिणी नेपाल के तराई इलाके में स्थित लुंबिनी के उद्यानों में 623ईसा पूर्व में भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. यह तिथि बैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि थी. इसलिए हर साल महत्मा बुद्ध के जन्मदिवस को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस साल बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को है. यह दिवस पूरी दुनिया में कई अलग-अलग दिवस के नाम से जाना जाता है. कुछ जगह पर इसे बुद्ध जयंती, पीपल पूर्णिमा सहित कई नाम से जाना जाता है.
अंतरराष्ट्रीय वीसेक डे (Getty Images)
बौद्ध धर्म में बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध बुद्ध दिवस या वेसाक दिवस के रूप में मनाया जाता है. 1999 में संयुक्त राष्ट्र ने बुद्ध पूर्णिमा को अंतरराष्ट्रीय वीसेक डे के रूप में घोषित कर दिया. इसके बाद से यह दिवस हर साल अंतरराष्ट्रीय वीसेक डे के रूप में मनाया जाता है.
महात्मा बुद्ध (Getty Images)
संघर्ष के इस काल में भगवान बुद्ध की करुणा, सहिष्णुता और मानवता की सेवा की शिक्षा, सांत्वना और शक्ति का स्रोत हैं. हम बेहतर भविष्य की राह पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं. आइए हम इस अवसर वेसाक की भावना को समझें.-एंटोनियो गुटरेस, महासचिव, संयुक्त राष्ट्र
भगवान बुद्ध (Getty Images)
कैसे मनाते हैं वेसाक/वीसाक दिवस :इस दिन अलग-अलग देशों में लोग अपनी संस्कृति के हिसाब से आयोजन में हिस्सा लेते हैं. भारत सहित ज्यादातर देशों में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग अपने-अपने घरों, बौद्ध मंदिरों, बौद्ध मठों, भगवान से जुड़े स्थलों को आकर्षक रूप से फूल-मालाओं व रंगीन रोशनी से सजाते-संवारते हैं. मंदिरों पर व अन्य पसंदीदा स्थलों पर सामूहिक भंडारे का आयोजन किया जाता है. कई जगहों पर बौद्ध धर्म के ज्ञाता भगवान बुद्ध के उपदेशों का प्रचार-प्रसार करते हैं. इस दिन सरकारी अवकाश भी रहता है. कुछ जगहों पर लोग इस अवसर पर मार्च निकाला जाता है. इस अवसर कई लोग भगवान बुद्ध के उपदेशों को अपने जीवन में अक्षरशः पालन करने का प्रयास करते हैं.
भगवान बुद्ध (प्रतीकात्मक चित्र) (Getty Images)
क्या है वेसाकःहिंदी महीना वैशाख संस्कृत का शब्द है. पाली में भाषा में इसे वेसाख कहा जाता है. भगवान बुद्ध का जन्म इसी महीने हुआ था. बाद में बोध गया स्थित बोधि वृक्ष के कठोर तप के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई. वहीं 80 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर(गोरखपुर से करीबन 50 किमी की दूरी) में बैशाख महीने के पूर्णिमा को महात्मा बुद्ध ने महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया था. बौद्ध धर्म के अनुयायी महात्मा बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति दिवस और महापरिनिर्वाण दिवस को एक साथ बुद्ध पूर्णिमा के दिन एक साथ मनाते हैं. इस दिन भारत, तिब्बत, मंगोलिया सहित कई देशों में कई जगहों पर भव्य आयोजन किया जाता है.
भगवान बुद्ध (प्रतीकात्मक चित्र) (Getty Images)
गौतम बुद्ध का संक्षिप्त परिचय
बचपन में महात्मा बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था.
भगवान बुद्ध (Getty Images)
इनके माता का नाम महामाया और पिता का नाम राजा शुद्धोधन था.
इनका जन्म नेपाल के लुंबिनी में 623 ईसा पूर्व में हुआ था.
सिद्धार्थ की माता का बचपन में हो गया था.
भगवान बुद्ध (Getty Images)
इसके बाद उनकी मौसी गौतमी ने उनका पालन-पोषण किया था.
इस कारण आगे चलकर वे सिद्धार्थ गौतम के नाम से जाने-जाने लगे.
सिद्धार्थ गौतम की शादी यशोधरा नामक राजकुमारी से हुआ.
सिद्धार्थ और यशोधरा से एक पुत्र था, जिसका नाम राहुल था.
बेटे के जन्म के कुछ साल बाद सिद्धार्थ के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया.
वे सत्य की तलाश में सांसारिक मोह-माया त्याग कर चुप-चाप घर से चले गये.
गौतम बुद्ध के बारे में कहा जाता है वे स्वयं के गुरु थे.
सन्यास ग्रहण के बाद बिहार के बोध गया में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई.
यह जगह महाबोधि विहार के नाम से जाना जाता है.
इस जगह पर सम्राट अशोक ने भव्य मंदिर बनवाया था.
यह मंदिर महाबोधि मंदिर के नाम से पूरी में जाना जाता है.
यह स्थल आज के समय में बौद्ध धर्म के लिए आस्था के बड़े केंद्रों में से एक है.
वाराणसी से करीबन 10 किलोमीटर दूर सारनाथ में महात्मा बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था.
इस उपदेश को बौद्ध धर्म में धर्म चक्र परिवर्तन के रूप में जाना जाता है.
80 साल की आयु में उन्होंने महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया था.
महात्मा बुद्ध की ओर से स्थापित बौध धर्म भारत से निकलकर पूरी दुनिया में फैल चुका है.
कई देश की ज्यादातर आबादी बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं.