ज्यादा गर्मी और वनाग्नि से खिसकी चट्टान? (वीडियो- ईटीवी भारत) देहरादून: उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री हाईवे पर डबरानी के पास पहाड़ी गिरने से एक युवक की मौत हो गई. कई लोग घायल हो गए. एसडीआरफ के प्रभारी निरीक्षक जगदम्बा प्रसाद के अनुसार, ऊपर जंगलों में आग फैली हुई है. इसके चलते पहाड़ से बोल्डर गिर रहे हैं. जिस कारण ये घटना हुई है.
क्या वनाग्नि के कारण हुआ लैंडस्लाइड? दरअसल, उत्तराखंड के जंगलों में हर साल बड़ी संख्या में वनाग्नि की घटनाएं होती हैंं. वनाग्नि में हजारों हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो जाता है. जंगलों में लगने वाली आग से न सिर्फ वन संपदा समाप्त हो जाती है, बल्कि इसके कई अन्य नुकसान भी देखने को मिलते हैं. इनमें भूस्खलन होने की आशंका भी शामिल है.
ज्याद गर्मी से फट रही हैं चट्टानें? वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं के अनुसार, जंगलों में लगने वाली आज की वजह से भूस्खलन की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. खासकर जंगलों में आग लगने के बाद अगर बारिश होती है, तो उसे दौरान पहाड़ों में दरारें पड़ जाती हैं. इसके चलते बोल्डर गिरने की आशंका बढ़ जाती है. हालांकि, उत्तरकाशी के जिस क्षेत्र में बोल्डर गिरने की घटना हुई है, वो क्षेत्र पहले से ही संवेदनशील है. लेकिन उसके ऊपर जंगलों में लगी आग की वजह से वन संपदा नष्ट हो गई है. ऐसे में आशंका है कि तमाम बोल्डर जो पेड़ों या फिर कुछ पेड़ों की जड़ों के सहारे टिके हुए थे, वो वनाग्नि की घटना के बाद नीचे आ गए.
जियोलॉजिस्ट कालाचंद साईं क्या कहते हैं: इसके अलावा एक कारण यह भी हो सकता है कि पहले से ही तापमान काफी अधिक है. दूसरी तरफ जंगलों में लगी आग, आग में घी डालने का काम कर रही है. ऐसे में ज्यादा हीट होने से भी चट्टानें चटक जाती हैं, जिसके चलते वो नीचे आ जाती हैं. लिहाजा इसकी भी संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है. लेकिन इतना जरूर है कि वनों में आग लगने के बाद खासकर मानसून सीजन में भूस्खलन की आशंकाएं बढ़ जाती हैं. पिछले 24 घंटे के भीतर प्रदेश भर में 8 नई वनाग्नि की घटनाएं सामने आई हैं. वर्तमान सीजन ने अभी तक 1175 वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं. वनाग्नि से 1605.37 हेक्टेयर वन भूमि जलकर खाक हो गई है.
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