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उत्तराखंड एसटीएफ ने पहली बार किया डिजिटल अरेस्ट गिरोह का पर्दाफाश, बुजुर्ग से ठगे थे एक करोड़ 13 लाख - digital arrest case Uttarakhand

cyber crime case उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने डिजिटल अरेस्ट केस में बड़ा खुलासा किया है. डिजिटल अरेस्ट केस में पहली बार उत्तराखंड पुलिस के हाथ गिरोह के तीन सदस्य आए है, जिनके तार दुबई से जुड़े है. इस गिरोह ने देहरादून में बुजुर्ग से एक करोड़ 13 लाख रुपए की ठगी की थी. जानिए कैसे बुजुर्ग को आरोपियों ने अपने जाल में फंसाया था. आप भी रहे सावधान!

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डिजिटल अरेस्ट गिरोह का पर्दाफाश (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 24, 2024, 6:45 PM IST

Updated : May 24, 2024, 8:21 PM IST

उत्तराखंड एसटीएफ ने किया डिजिटल अरेस्ट गिरोह का पर्दाफाश (ईटीवी भारत.)

देहरादून: कस्टम डिपार्टमेंट और क्राइम ब्रांच के फर्जी अधिकारी बनकर लोगों को डिजिटली गिरफ्तारी करके लाखों रुपए का चूना लगाने वाले साइबर ठग गिरोह का उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने खुलासा किया है. उत्तराखंड एसटीएफ ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को राजस्थान के कोटा से अरेस्ट किया है. इस गिरोह ने उत्तराखंड के एक व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की थी. डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर उत्तराखंड में एक करोड़ रुपए से ज्यादा की साइबर ठगी और उसके खुलासे का पहला मामला है.

पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने पीड़ित को मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स तस्करी और पहचान छुपाने का संदिग्ध बताकर अपने जाल में फंसाया था और उसे डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की थी. एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने इस पूरे मामले की जानकारी दी.

एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि देहरादून के वरिष्ठ नागरिक ने पुलिस को इस मामले में शिकायत की थी. उन्होंने अपनी शिकायत में बताया था कि उनके मोबाइल पर अज्ञात व्यक्ति का कॉल आया था. कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को FEDEX कोरियर कंपनी और क्राइम ब्रांच मुंबई अंधेरी का कर्मचारी बताया है.

आरोपियों की ठगी का तरीका:आरोपियों ने पीड़ित से कहा कि मुंबई कस्टम को उनके नाम से अवैध पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड समेत कुछ अन्य दस्तावेज मिले है, जिन्हें उन्होंने सीज कर दिए है. इसके बाद आरोपियों ने स्काइप ऐप से पीड़ित को वीडियो कॉल की. वीडियो कॉल में आरोपियों ने अपना बैक ग्राउंड पुलिस स्टेशन जैसे दिखाया, ताकि पीड़ित को यकीन हो जाए की पुलिस ही उसके साथ बात कर रही और पीड़ित डर भी जाए.

38 मिलियन का अवैध ट्रांजैक्शन: इसके बाद आरोपियों ने वीडियो कॉल पर ही पीड़ित को एक पार्सल दिखाया और उससे पूछताछ की. आरोपियों ने पुलिस, कस्टम और क्राइम ब्रांच के फर्जी अधिकारी बनकर पीड़ित पर मनीलान्ड्रिंग, ड्रग्स तस्करी और पहचान छुपाने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही आरोपियों ने पीड़ित को कहा कि उनके बैंक खातों में करीब 38 मिलियन का अवैध ट्रांजैक्शन हुआ है, जिसका एक फर्जी नोटिस भी दिखाया गया.

एक करोड़ 13 लाख की ठगी: जब पीड़ित पूरी तरह के आरोपियों के जाल में फंस गया तो साइबर ठगों ने पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट करते हुए 24 घंटे वीडियो कॉल के जरिए उसे अपनी निगरानी में रखा. साइबर ठगों ने पीड़ित को कमरे से बाहर नहीं जाने को कहा था. आरोपियों ने इस तरह मुंबई क्राइम ब्रांच का फर्जी अधिकारी बनाकर पीड़ित को डराया और उसे इस केस से छुड़कार दिलाने के नाम पर करीब एक करोड़ 13 लाख रुपए अलग-अलग बैंक खातो में ट्रांसफर करा लिए. हालांकि जब आरोपी को अपने साथ ही हुई ठगी का अहसास हुआ तो उसने पुलिस को मामले की जानकारी दी, जिसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू की.

दुबई से जुड़े है गिरोह के तार:उत्तराखंड पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो सामने आया कि आरोपी दुबई से गिरोह चलाते थे. बुर्जुग से ठगे गए पैसे भी ने दुबई से ही निकाले गए थे. उत्तराखंड एसटीएफ ने बताया कि प्रदेश में डिजिटल अरेस्टिंग के खुलासे का ये पहला मामला है.

मोबाइल नंबर और बैंक खातों से पुलिस आरोपियों तक पहुंची: उत्तराखंड एसटीएफ ने बताया कि पीड़ित ने पुलिस को आरोपियों के मोबाइल और बैंक खातों से जो नंबर दिए थे, जांच में उनका लिंक राजस्थान से निकला. उसी के आधार पर पुलिस इस गिरोह के तीन आरोपियों तक पहुंची और आरोपी राकेश, दीपक और आसिफ को राजस्थान को कोटा के गिरफ्तार किया, जिनके कब्जे से सिम के साथ पांच मोबाइल और आधार कार्ड बरामद हुए है.

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Last Updated : May 24, 2024, 8:21 PM IST

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