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क्या केदारनाथ के बाद हरिद्वार कॉरिडोर पर फंस गई बीजेपी? जानें उपचुनाव और निकाय चुनाव में किसको शुरुआती लीड - Kedarnath Haridwar Corridor Issue

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 13, 2024, 12:00 PM IST

Updated : Aug 13, 2024, 12:20 PM IST

Kedarnath and Haridwar Corridor Issues in Uttarakhand उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों इस उपचुनाव की तैयारियों में लगी हैं. लेकिन अभी तक का जो फीडबैक आ रहा है, उसके अनुसार कांग्रेस मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव जीतकर शुरुआती बढ़त पर है. इससे उत्साहित कांग्रेस ने केदारनाथ के सोने और भवन निर्माण के साथ ही हरिद्वार कॉरिडोर को मुद्दा बना लिया है. क्या हैं उत्तराखंड के ये राजनीतिक समीकरण, जानिए इस खास खबर में.

Haridwar Corridor Issue in Uttarakhand
उत्तराखंड राजनीतिक समाचार (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड का राजनीतिक घमासान (Video- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड में बीजेपी सरकार को बीते दिनों हुए उपचुनावों में तगड़ा झटका लगा था. केंद्र और राज्य में सत्ता होने के साथ-साथ पांच एमपी भी दो उपचुनाव की सीट को बचा नहीं पाए. मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव के परिणाम के बाद एक बार फिर से यह चर्चा होने लगी थी कि क्या फैजाबाद (अयोध्या), चित्रकूट, नासिक लोकसभा सीटों के साथ-साथ बदरीनाथ विधानसभा सीट की हार भी बीजेपी की बड़ी हार है.

क्या केदारनाथ विधानसभा सीट बचा पाएगी बीजेपी: इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव में जीत की सुगंध महसूस कर रही है. कांग्रेस ने अब ऐसे तमाम मुद्दों को उठाना शुरू कर दिया है, जिससे भाजपा को धार्मिक मुद्दे पर ही नुकसान हो सकता है. उत्तराखंड में उपचुनाव के बाद जिस तरह से कांग्रेस ने केदारनाथ मंदिर के प्रतीकात्मक दिल्ली धाम को मुद्दा बनाकर राज्य में माहौल बनाया है, उसके बाद एक बार फिर से एक और मुद्दा कांग्रेस बनाने में लग गई है. यह मुद्दा है हरिद्वार ऋषिकेश कॉरिडोर का. आलम यह है कि भले ही भाजपा के सत्ता पक्ष के लोग कुछ भी कहें, लेकिन कांग्रेस यह जानती है कि यह कॉरिडोर का मुद्दा आने वाले निकाय चुनाव में उनके लिए संजीवनी साबित हो सकता है. खासकर हरिद्वार ऋषिकेश और केदारनाथ यानी रुद्रप्रयाग जिले के लिए.

केदारनाथ अभी भी है मुद्दा:बीते दिनों दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण की खबर जैसे ही आई, वैसे ही बीजेपी के पीछे कांग्रेस मानो हाथ धो कर पड़ गई. कांग्रेस ने विरोध को इतने बड़े स्तर पर उठाया कि सरकार से लेकर संगठन के बड़े नेताओं को आगे आकर सफाई देनी पड़ी और यह कहना पड़ा कि कोई भी केदारनाथ धाम का नाम इस्तेमाल नहीं कर सकता है. इतना ही नहीं कैबिनेट में भी बीजेपी सरकार को इस बाबत एक फैसला लेना पड़ा. लेकिन कांग्रेस शायद इस बात को समझ गई है कि केदारनाथ का मुद्दा केदारनाथ में आने वाले समय में होने वाले उपचुनाव और निकाय चुनाव के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं हो सकता. यही कारण है कि कांग्रेस ने बिना देरी किए अपने तमाम बड़े नेताओं के साथ हरिद्वार से पैदल केदारनाथ की यात्रा का प्लान बना लिया. कांग्रेस अध्यक्ष से लेकर पार्टी के तमाम पदाधिकारियों ने केदारनाथ से पहले रुद्रप्रयाग में डेरा डाला हुआ है. आपदा की वजह से केदारनाथ धाम की यात्रा फिलहाल बंद है, लेकिन इस यात्रा के बाद से रुद्रप्रयाग और खासकर केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस माहौल बनाने में कामयाब रही है.

ये है केदारनाथ विवाद (ETV Bharat Graphics)

केदारनाथ के बाद हरिद्वार कॉरिडोर बनेगा बीजेपी के गले की फांस?अभी सबसे बड़ा मुद्दा केदारनाथ के बाद हरिद्वार कॉरिडोर बन गया है. साल 2021 के बाद से कॉरिडोर को लेकर सरकार और शासन काफी तेजी दिख रहे थे. कॉरिडोर के तहत हरिद्वार के तमाम धार्मिक स्थलों को एक साथ जोड़ने की कवायद है. शहर के सौंदर्यीकरण के साथ-साथ पौराणिक मंदिरों को नया स्वरूप और हर की पैड़ी तक जाने वाले मार्ग पर कई तरह के कार्य होने हैं. काशी और अयोध्या में जिस एजेंसी ने काम किया है, उसी एजेंसी को हरिद्वार कॉरिडोर का काम सौंपा गया है. ईकॉम कंपनी और अन्य दूसरी कंपनियां मिलकर हरिद्वार कॉरिडोर के काम को पूरा करेंगी.

हरिद्वार कॉरिडोर का बजट 3000 करोड़: कॉरिडोर के तहत हरिद्वार शहर के कार्य को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया है. देवपुरा चौक से लेकर हर की पैड़ी, भारत माता मंदिर, सतीकुंड कनखल और संन्यास रोड को इसमें शामिल किया गया है. बताया जा रहा है कि शहर में आने वाला बस अड्डा भी इस कॉरिडोर के तहत शिफ्ट होगा. सरकार और प्रशासन जिस तरह इस कॉरिडोर की कल्पना कर रहे हैं, उसके बाद पूरे शहर की तस्वीर बदल जाएगी. गंगा घाट मंदिरों की सूरत, हरिद्वार की हर की पैड़ी तक आने वाले तीन मार्गों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा. यह कवायद इसलिए की जा रही है ताकि उत्तराखंड और खासकर हरिद्वार आने वाले यात्रियों को आसानी से सभी धार्मिक स्थलों पर घुमाया जाए और शहर में किसी तरह की अव्यवस्था न हो. कॉरिडोर बनाने की बात जब से चल रही है तब से अब तक मुख्यमंत्री स्तर पर हो या जिलाधिकारी स्तर पर कई बैठकर भी हो चुकी हैं. कॉरिडोर से संबंधित कुछ काम हरिद्वार के भल्ला कॉलेज स्टेडियम के आसपास भी शुरू हो चुका है. मतलब साफ है कि अगर कॉरिडोर बनता है, तो हरिद्वार शहर पूरी तरह से बदला बदला नजर आएगा. अभी इसका बजट 3000 करोड़ रुपए रखा गया है. साल 2027 तक इसको धरातल पर उतारने की बात की जा रही है.

ये है हरिद्वार कॉरिडोर (ETV Bharat Graphics)

कांग्रेस ने व्यापारियों के साथ माहौल बनाना शुरू किया:अब तक जो भी आपने पढ़ा वह यह था कि इस कॉरिडोर में क्या होगा? कहां से कैसे काम शुरू होगा? कब तक इसका काम पूरा कर लिया जाएगा? लेकिन अब यह कॉरिडोर ही कांग्रेस के लिए चुनावी मुद्दा बन गया है. कांग्रेस ही नहीं हरिद्वार के तमाम व्यापारी भी इस प्रोजेक्ट को लेकर सशंकित हैं. इसी डर का फायदा उठाकर कांग्रेस रोजाना हरिद्वार की सड़कों पर उतरकर बीजेपी के खिलाफ माहौल बना रही है. कांग्रेस जानती है कि यूपी के फैजाबाद (अयोध्या) में बीजेपी को हार का सामना इसलिए करना पड़ा, क्योंकि मंदिर को बनाने के लिए अत्यधिक तोड़फोड़ की गई. इसी तरह से इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए भी शहर में कई जगहों पर दुकानें, धर्मशालाएं और मकान हटाए जाएंगे.

सीएम ने भी कई बार की है कॉरिडोर पर बात:कॉरिडोर को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में किस तरह का हल्ला मचा हुआ है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्तों के चरण वंदन कार्यक्रम में पहुंचे, तो उन्होंने मंच से कॉरिडोर का जिक्र करके हरिद्वार के व्यापारियों और यहां की जनता को भी एक संदेश देने का काम किया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने बयान में कहा कि कॉरिडोर को लेकर सरकार आगे बढ़ रही है. हम यह ध्यान रखेंगे कि किसी तरह की किसी भी समस्या से स्थानीय जनता को जूझना ना पड़े. लेकिन कॉरिडोर के नाम से ही हरिद्वार की जो जनता लाल हो रही हो, तो ऐसे में जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही जब कॉरिडोर का जिक्र करेंगे तो स्थानीय विधायक को अपनी राजनीति की चिंता होना लाजमी है. अपने हरिद्वार दौरे के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कॉरिडोर को लेकर कहा था कि हरिद्वार और ऋषिकेश में हर साल करोड़ों श्रद्धालु आ रहे हैं. ऐसे में हम यहां की व्यवस्थाओं को लेकर एक मास्टर प्लान के तहत कॉरिडोर तैयार कर रहे हैं. हम यह चाहते हैं कि आने वाले 50-60 सालों में भी किसी तरह की दिक्कत श्रद्धालुओं को ना हो और हमारी सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है. हमारी सरकार ने इसकी समय सीमा भी तय कर ली है.

BJP दो सीटों पर उपचुनाव हार चुकी है (ETV Bharat Graphics)

बीजेपी विधायक जानते हैं कि क्या बन रहा है माहौल:साल 2002 या यह कहें कि उत्तराखंड बनने के बाद से ही हरिद्वार विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. पांच बार विधायक बनकर राज्य सरकार में मंत्री और प्रवक्ता जैसे मुख्य पदों पर रह चुके मदन कौशिक भी जानते हैं कि अगर कॉरिडोर का मुद्दा व्यापारियों और स्थानीय निवासियों के सामने कांग्रेस इसी तरह से उठाती रही, तो उनका विजय रथ भी कहीं रुक ना जाए. यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हरिद्वार दौरे के अगले दिन ही मदन कौशिक देहरादून में मुख्यमंत्री आवास पर पहुंच गए. कॉरिडोर का मुद्दा भाजपा के लिए गले की कितनी बड़ी फांस बन रहा है, इस मुलाकात से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

भागे-भागे सीएम से मिलने आए थे मदन कौशिक: जब से सीएम पद पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बैठे हैं, तब से मदन कौशिक की उनके आवास पर आधिकारिक रूप से यह पहली मुलाकात थी. मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मदन कौशिक ने यह कहा था कि कॉरिडोर का मुद्दा स्थानीय लोगों को पसंद नहीं आ रहा है. लिहाजा उन्होंने सरकार और सरकार के मुखिया से यह आग्रह किया है कि कॉरिडोर का नाम शहर को न देकर, इस योजना को हेरिटेज सिटी बनाने पर काम आगे होना कहना चाहिए. यानी मदन कौशिक ने सरकार को यह साफ कहा है कि अगर इसी तरह से कॉरिडोर को लेकर सरकार आगे बढ़ी, तो आने वाले समय में न केवल निकाय चुनाव बल्कि विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. भले मदन कौशिक कुछ भी कहें, लेकिन ये सही है कि अब तक सरकार की तरफ से हेरिटेज सिटी बनाने जैसा कोई बयान सामने नहीं आया है.

कांग्रेस सुबह से शाम तक कॉरिडोर की जप रही है माला:हरिद्वार में रोजाना कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर अपने कार्यालय से बाहर निकलती है और रात ढलने से पहले तक इस मुद्दे को जिंदा करके रखती है. आलम ये है कि शहर के चौक चौराहों पर यज्ञ हवन किए जा रहे हैं. इतना ही नहीं, शहर में व्यापारियों के साथ बैठक करने के साथ ही आसपास के इलाकों में जनता के बीच में भी कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर पहुंच रही है. कांग्रेस नेता अशोक शर्मा का कहना है कि भले ही स्थानीय विधायक हरिद्वार को हेरिटेज सिटी बनाने की बात कर रहे हो, लेकिन हकीकत यही है कि शहर के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक रोजाना नपाई की जा रही है और निशान लगाए जा रहे हैं. लिहाजा सरकार और स्थानीय प्रशासन को डीपीआर को सार्वजनिक करना होगा और यह बताना होगा कि कौन सी सड़क कितनी चौड़ी होनी है. कौन से मंदिर के लिए कितने घर, दुकान और धर्मशालाएं तोड़ी जानी हैं.

कांग्रेस का हमला, बीजेपी इस मुद्दे पर बहुत पीछे:इस मुद्दे को लेकर स्थानीय विधायक के अलावा अब तक राज्य सरकार की तरफ से किसी बड़े नेता ने कॉरिडोर की स्थिति स्पष्ट नहीं की है. लिहाजा शहर के ही नेता कांग्रेस को जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन जिस तरह का संदेश कॉरिडोर को लेकर शहर में फैला है, उसके बाद भाजपा के नेताओं के यह बयान काफी हल्के साबित हो रहे हैं. भाजपा नेता विकास तिवारी ने मानें तो कांग्रेस जनता को गुमराह करके माहौल बनाने की कोशिश कर रही है. कॉरिडोर को लेकर किसी भी स्तर पर स्थानीय दुकानदारों और स्थानीय निवासियों को डरने की जरूरत नहीं है.

क्या कहते हैं सुनील दत्त पांडेय... (ETV Bharat Graphics)

क्या पड़ेगा कांग्रेस-बीजेपी पर असर?राजनीतिक जानकार सुनील दत्त पांडेय कहते हैं कि उपचुनाव जीतने के बाद कांग्रेस के हौसले काफी बुलंद दिखाई दे रहे हैं. दो उपचुनाव में मिली जीत के बाद जिस तरह से केदारनाथ और अब हरिद्वार कॉरिडोर के मुद्दे को लेकर कांग्रेस सड़क पर उतर रही है, उसे देखकर यह कहना कि कांग्रेस आने वाले चुनाव में बीजेपी को टेंशन दे सकती है, कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. हो सकता है आने वाले समय में बीजेपी को भी अपनी रणनीति में कुछ बदलाव करने होंगे. क्योंकि इन मुद्दों का असर चुनाव में किस तरह का पड़ता है, यह यूपी के रिजल्ट के बाद बीजेपी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता. ऐसे में अगर कॉरिडोर को लेकर इसी तरह से हल्ला मचता रहा, तो न केवल स्थानीय विधायक की राजनीति, बल्कि बीजेपी को खासकर गढ़वाल में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. ऊपर से अगले महीने राहुल गांधी का आना भी इन मुद्दों को लेकर कांग्रेस को और बूस्टअप करेगा.

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Last Updated : Aug 13, 2024, 12:20 PM IST

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