अमेरिका, UAE ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को बढ़ावा देते हुए अपने संबंधों को मजबूत किया - US UAE strengthen ties
US- UAE strengthen ties India-Middle East-Europe Economic Corridor: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और संयुक्त अरब अमीरात के शेख मोहम्मद बिन जायद भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को बढ़ावा देने पर चर्चा की. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...
अमेरिका, यूएई ने भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को बढ़ावा दिया (प्रतीकात्क फोटो) (ANI)
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और संयुक्त अरब अमीरात के शेख मोहम्मद बिन जायद ने महत्वपूर्ण भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) के विकास पर चर्चा की और वैश्विक संपर्क का एक नया युग लाने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला.
इस महत्वाकांक्षी पहल की शुरुआत नई दिल्ली में 2023 के जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारत, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं के साथ की गई थी. एक बार पूरा हो जाने पर, यह संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, इजराइल और ग्रीस के माध्यम से जहाज-से-रेल लिंक के माध्यम से भारत और यूरोप के बीच एक कनेक्शन स्थापित करेगा.
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) एक ऐतिहासिक बुनियादी ढांचा पहल है जिसकी घोषणा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी. इसका उद्देश्य मल्टीमॉडल परिवहन नेटवर्क विकसित करके भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच व्यापार, ऊर्जा संपर्क और आर्थिक एकीकरण को बढ़ाना है.
इस गलियारे में रेलवे, शिपिंग लेन, सड़कें और बंदरगाहों का एक नेटवर्क शामिल होगा जो भारत को मध्य पूर्व के माध्यम से यूरोप से जोड़ेगा. इससे माल गनतव्य तक पहुंचाने का समय कम होगा और व्यापार की गति बढ़ेगी. यह कई देशों में फैला हुआ है. इससे आपूर्ति श्रृंखलाएँ अधिक सुचारू और अधिक कुशल होंगी. पूर्वी गलियारा भारत को अरब की खाड़ी (मध्य पूर्व) से जोड़ता है. उत्तरी गलियारा अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ता है.
परिवहन के अलावा, यह गलियारा हरित ऊर्जा लिंक बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जैसे कि स्वच्छ हाइड्रोजन पाइपलाइनें ताकि ऊर्जा सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में बदलाव को बढ़ावा दिया जा सके. क्षेत्रों के बीच डिजिटल संचार और प्रौद्योगिकी सहयोग को बेहतर बनाने के लिए हाई-स्पीड डेटा केबल की योजनाएं शामिल हैं.
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) में भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, इज़राइल, इटली, फ्रांस और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं. इन देशों से बुनियादी ढांचे के निर्माण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है. भू-राजनीतिक दृष्टि से इसका उद्देश्य चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का मुकाबला करना है. ये एक वैकल्पिक व्यापार मार्ग प्रदान करता है जो किसी एक देश पर निर्भरता को सीमित करते हुए क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देता है.
यह भारत-यूरोपीय व्यापार संबंधों को मजबूत करता है. भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को वैश्विक व्यापार नेटवर्क, ऊर्जा संपर्क और भू-राजनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में देखा जाता है. सोमवार को व्हाइट हाउस में अपनी बैठक के दौरान, बाइडेन और जायद ने पुष्टि की कि गलियारे से आर्थिक विकास को गति मिलने, दक्षता में वृद्धि होने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आने और एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व के परिवर्तनकारी एकीकरण में सुविधा होने की उम्मीद है, जैसा कि एक संयुक्त घोषणा में कहा गया है.
दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि इस परिवर्तनकारी साझेदारी में अंतरराष्ट्री संपर्क का एक नया युग शुरू करने, वैश्विक व्यापार और स्वच्छ ऊर्जा के वितरण को सक्षम बनाने, साथ ही दूरसंचार को बढ़ाने की क्षमता है. वक्तव्य के अनुसार, उन्होंने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और टिकाऊ प्रथाओं को आगे बढ़ाने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों के महत्व पर बल दिया. साथ ही संसाधन दक्षता और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार विकास के लिए नवाचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला.
व्हाइट हाउस में जायद के स्वागत में बाइडेन ने कहा कि यूएई हमेशा भविष्य की ओर देखने वाले और महत्वपूर्ण कदम उठाने वाले देश है. उन्होंने कहा, 'यह कुछ ऐसा है जो हमारे देश और लोग साझा करते हैं. यह एआई, स्वच्छ ऊर्जा, अंतरिक्ष और क्षेत्रों को जोड़ने के लिए बुनियादी ढांचे के निवेश में हमारे बढ़ते सहयोग का आधार है.'
बाइडेन ने संयुक्त अरब अमीरात को अमेरिका का प्रमुख रक्षा साझेदार नामित करने के इरादे भी प्रकट किए. इससे यह भारत के बाद यह दर्जा प्राप्त करने वाला एकमात्र अन्य देश बन जाएगा. नेताओं ने गाजा में युद्ध पर चर्चा की. उन्होंने संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया.
साथ ही एक स्थायी और टिकाऊ युद्धविराम और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव (यूएनएससीआर) 2735 के तहत बंधकों और बंदियों की रिहाई का आह्वान किया, और पुष्टि की कि संघर्ष में शामिल सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए.