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UPSC : गोरखपुर की नौशीन को मिली नौवीं रैंक, चौथे प्रयास में हासिल की कामयाबी - upsc result 2023

गोरखपुर की नौशीन ने UPSC 2023 में नौवीं रैंक हासिल की है. नौशीन का सपना हमेशा से IAS बनने का था, जो पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद पूरा हुआ है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 16, 2024, 7:25 PM IST

गोरखपुर की नौशीन ने UPSC 2023 में नौवीं रैंक हासिल की है.

गोरखपुर : UPSC 2023 में गोरखपुर की बेटी नौशीन ने नौवीं रैंक लाकर परिवार का दामन खुशियों से भर दिया है. नौशीन को यह सफलता चौथे प्रयास में मिली है. इसके पीछे नौशीन ने पांच वर्षों तक कठिन परिश्रम किया है. वर्ष 2019 से लगातार 3 वर्षों तक वह प्रारंभिक परीक्षा पास करती रहीं, लेकिन मुख्य परीक्षा में सफलता नहीं मिलती थी. फिर भी वह निराश नहीं हुईं और लगातार अपना सपना पूरा करने में जुटी रहीं. ईटीवी भारत ने नौशीन अपनी सफलता की कहानी साझा की, आप भी पढ़िए.

नौशीन की सफलता पर मिठाई खिलाते माता-पिता.

तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं नौशीन

नौशीन कहती हैं- उनकी इस सफलता में पूरे परिवार का योगदान है. वह तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं. पिता अब्दुल कयूम गोरखपुर आकाशवाणी में इंजीनियर हैं तो माता जेबा खातून गृहणी और बड़ा भाई यूनियन बैंक आफ इंडिया में कार्यरत है. नौशीन ने शहर के ही एक पब्लिक स्कूल से इंटरमीडिएट की परीक्षा विज्ञान वर्ग से पास की. वह शुरू से पढ़ने-लिखने में टॉपर थीं.

निबंध में रही है रुचि

पिता अब्दुल कयूम बताते हैं कि साइंस की स्टूडेंट होने के साथ हिस्ट्री और निबंध में नौशीन की पकड़ जबरदस्त थी. जिसको देखते हुए उन्होंने इसे मोटिवेट किया और इंजीनियरिंग के बजाय दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री में बीए ऑनर्स की पढ़ाई करने के लिए भेज दिया. नौशीन खालसा कॉलेज की स्टूडेंट रही और ग्रेजुएशन के साथ-साथ वह अपने इस लक्ष्य की तरफ बढ़ती रहीं. अखबारों को पढ़ने से लेकर पढ़ाई के अन्य प्लेटफार्म को भी बहुत बारीकी से देखा.

मां से लिपटकर रोने लगीं

जामिया मिलिया कैंपस में संचालित RCA कोचिंग से नौशीन ने सिविल की जो तैयारी की, वह सफलता का एक बड़ा माध्यम बनी. नौशीन की सहेली ने सबसे पहले सफलता के बारे में सूचना दी. इसके बाद तो परिवार में खुशियां छा गईं. नौशीन अपनी मां जेबा खातून से लिपटकर रोने लगी. नौशीन कहती हैं- उसे बड़ी जिम्मेदारी मिली है. उसकी कोशिश होगी कि समाज में जो लोग पिछड़े और दबे कुचले हैं, उनको आगे बढ़ाने के लिए हर सम्भव काम करूं.

मां ने कहा- बयां नहीं कर सकती खुशी

नौशीन की मां कहती हैं- वह जब पढ़ने बैठ जाती थी तो उसे खाने-पीने की भी फिक्र नहीं रहती थी. लोग सो जाते थे और वह पढ़ती रहती थी. खाना उसके मेज पर रखकर वह भी सोने चली जाती थीं. बेहद ही सरल और समझदार उनकी बिटिया ने आज उनके परिवार सहित पूरे गोरखपुर को गौरान्वित किया है. जितनी खुशी महसूस हो रही है उसे बयां नहीं किया जा सकता. मात्र 25 वर्ष की उम्र में उसने देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित परीक्षा को पास कर नवरात्र के अवसर पर शक्ति की ताकत को प्रदर्शित करने का कार्य किया है.

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