उज्जैन। वैसे देश में अनेकों मंदिर हैं, जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के लिए न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी विख्यात हैं. उन्हीं में से एक उज्जैन जिले का नागचंद्रेश्वर मंदिर है, जो कि साल में मात्र एक बार श्रावण शुक्ल पंचमी यानि की नागपंचमी के दिन खुलता है. वह भी सिर्फ 24 घंटे के लिए. खास बात ये भी है कि ये मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है. यहां महाकाल लोक कॉरिडोर की वजह से भक्तों की भीड़ लगी रहती है. हिंदू धर्म में नागों की पूजा की जाती है. हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण माना जाता है. श्री महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ओंकरेश्वर मंदिर और उसके भी शीर्ष पर श्री नागचन्द्रेश्वर का मंदिर मौजूद है.
दर्शन मात्र से मिलती है सर्प दोष से मुक्ति
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो प्रतिमा स्थापित है वह 11वीं शताब्दी की है. इस अद्भुत प्रतिमा में श्री नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने 7 फनों से शोभायमान हो रहे हैं. उनके साथ में शिव-पार्वती के दोनों गण नंदी और सिंह भी विराजित हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे देश में यह इकलौता मंदिर है, जहां भगवान शिव पूरे परिवार के साथ नाग की शैय्या पर विराजमान हैं. मान्यताओं के मुताबिक नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने मात्र से हर तरह के सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है.
क्या है नागचंद्रेश्वर मंदिर का इतिहास ?
नागचंद्रेश्वर मंदिर को लगभग 11वीं शताब्दी में परमार राजा भोज ने बनवाया था. इसके बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1732 में महाराज राणोजी सिंधिया ने किया था. कहा जाता है कि मंदिर में विराजित मूर्ति 7वीं शताब्दी में नेपाल से उज्जैन लाई गई थी. यह शिव और देवी पार्वती की अत्यंत दुर्लभ मूर्ति है. इस मूर्ति में भगवान शिव अपने दोनों पुत्रों गणेशजी और कार्तिक के साथ विराजित हैं. मूर्ति में ऊपर की ओर सूर्य और चन्द्रमा भी अंकित है. हर साल नागपंचमी के दिन रात 12 बजे कलेक्टर और महानिर्वाणी अखाड़े के महंत द्वारा पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं. इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर शिव के दर्शन के लिए महाकालेश्वर मंदिर पहुंचते हैं. महाकाल लोक कॉरिडोर बनने के बाद इस स्थान का और ज्यादा महत्व बढ़ गया है.
साल में एक ही दिन क्यों खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर ?