नई दिल्ली : यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है. दरअसल, उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है. उत्तराखंड कैबिनेट की इस पर शनिवार को बैठक होने जा रही है. शुक्रवार को यूसीसी को लेकर बनाई गई कमेटी ने अपना ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को सौंप दिया. इस कमेटी की अध्यक्षता जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई कर रहीं थीं. हालांकि, उत्तराखंड से पहले गोवा में यूसीसी लागू है.
दरअसल,1961 में जब गोवा का भारत में विलय हुआ, तब वहां पर यूसीसी पहले से लागू था. गोवा में इसे 1867 में लागू किया गया था. इसे पुर्तगाली शासन व्यवस्था ने लागू किया था. तब इसका नाम पुर्तगाली सिविल कोड था. गोवा 450 सालों तक पुर्तगालियों के कब्जे में रहा. पुर्तगाली यहां पर 1510 ईस्वी के आसपास आए थे. वे भारत आने वाले पहले यूरोपीय शासक थे. तब से लेकर 1961 तक गोवा में पुर्तगालियों का कानून चलता रहा.
हालांकि, पुर्तगालियों ने जो यूसीसी की व्यवस्था लागू की, वह चर्च से प्रेरित था. उनका मुख्य उद्देश्य उन्हें अपने उपनिवेश (कॉलोनी) में व्यवस्था बनानी थी. उस समय पुतर्गाल का दुनिया के जिस हिस्से में शासन था, उसने वहां पर यूसीसी को लागू तो किया, लेकिन हरेक जगह पर लागू होने वाले यूसीसी व्यवस्था अलग-अलग थी.
कानूनी जानकारों का कहना है कि गोवा में लागू यूसीसी भारतीय संविधान के अनुरूप तो है, लेकिन इनमें कई खामियां भी हैं. उनका यह भी कहना है कि इस वक्त जो पूरे देश में यूसीसी की चर्चा की जा रही है, उनमें इन बातों का ध्यान रखा जा रहा है. इसलिए उत्तराखंड में लागू होने वाली यूसीसी व्यवस्था अपने देश की स्थितियों से प्रेरित है. वह भारतीय संविधान की आत्मा का पुट लिए है. संविधान के अनुच्छेद 44 में इसके बारे में लिखा भी गया है. इसके अनुसार सरकार इसे लागू करने का प्रयास करेगी.