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9.25 लाख में बिकी खास नस्ल की यह गाय, कहा जाता है 'दुधारू सोना', जानें खासियत - THARPARKAR BREED COW

Tharparkar Breed Cow Auction: केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म ने 'दुधारू सोना' कही जाने वाली थारपारकर गाय की नीलामी का नया रिकॉर्ड बनाया है.

Tharparkar breed cow record auction by Central Cattle Breeding Farm
9.25 लाख में बिकी थारपारकर गाय (X / @Dept_of_AHD)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 21, 2024, 5:14 PM IST

नई दिल्ली:हाल ही में भारत सरकार के केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म में थारपारकर नस्ल की गायों की नीलामी में नया रिकॉर्ड बना. नीलामी में एक थारपारकर गाय की 9.25 लाख रुपये में बोली लगी, जिससे सारे रिकॉर्ड टूट गए. पशुपालन और डेयरी विभाग ने बताया कि इस साल की नीलामी में 85 किसानों ने भाग लिया. विभाग ने कहा कि किसानों में देसी थारपारकर नस्ल की गायों को लेकर सबसे ज्यादा रुचि देखी गई.

पशुपालन और डेयरी विभाग केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत आता है. विभाग के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में कहा गया, "थारपारकर की रिकॉर्ड नीलामी! 18 अक्टूबर 2024 को केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म (सूरतगढ़) में आयोजित खुली नीलामी में एक थारपारकर गाय (गाय संख्या-8034) 9.25 लाख रुपये की रिकॉर्ड कीमत पर बेचा गया, जो फार्म के इतिहास में सबसे बड़ी बोली है. इस साल की नीलामी में 85 किसान शामिल हुए. देसी थारपारकर नस्ल में रुचि बढ़ती जा रही है."

9.25 लाख में बिकी थारपारकर गाय (स्क्रीनशॉट)

महाराष्ट्र ने लगाई सबसे अधिक बोली
मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म के अधिकारियों ने बताया कि कुल 43 पशुओं को नीलामी में शामिल किया गया. महाराष्ट्र के सातारा जिले के एक किसान ने थारपारकर गाय (संख्या 8034) के लिए रिकॉर्ड 9.25 लाख की बोली लगाकर उसे खरीद लिया. अधिकारियों के मुताबिक, पिछले साल यहां थारपारकर गाय 3.05 लाख रुपये में बिकी थी, जो उस समय सबसे अधिक बोली थी.

'दुधारू सोना' कही जाती है थारपारकर गाय
थारपारकर नस्ल की गाय काफी दुधारू होती है और प्रतिदिन 15-18 लीटर तक दूध देती हैं. इस वजह से इन्हें दुधारू सोना भी कहा जाता है. इन गायों के दूध और घी की बहुत मांग होती है. आम तौर पर थारपारकर नस्ल की गाय 20,000 से लेकर 70,000 रुपये में बिकती हैं. इन गायों का रंग सफेद होता है. थारपारकर गायों का दूध भीषण गर्मी में भी कम नहीं होता है. ये गायें अन्य नस्ल गयों से अलग होती हैं और इन पर सर्दी और गर्मी का प्रभाव नहीं पड़ता है.

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