हैदराबाद: श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन टनल की छत का कुछ हिस्सा ढहने की घटना के तीन दीन बाद इसमें फंसे हुए 8 लोगों की बचने की संभावना बहुत कम दिख रही है. हालांकि उन तक पहुंचने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं.
तेलंगाना के टनल हादसे में फंसे लोगों को बचाने के लिए देश के लिए अब उत्तराखंड के सिलक्यारा बेंड बरकोट सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने वाले रैट माइनर्स की टीम को इस अभियान में लगाया गया है. वहीं, सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद बचाव अभियान में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. बचाव दल का दुर्घटना स्थल तक पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा है.
बता दें कि शनिवार की सुबह तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) परियोजना में सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया. इस दौरान वहां काम करने वाले कई मजदूरों को बचा लिया गया जबकि 8 मजदूर इसमें फंस गए. पीटीआई के अनुसार सेना, नौसेना, सिंगरेनी कोलियरीज और अन्य एजेंसियों के 584 कुशल कर्मियों की टीम ने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ टीमों के साथ मिलकर सात बार सुरंग का निरीक्षण किया.
उन्होंने बताया कि लोहे की छड़ को काटने के लिए गैस कटर लगातार काम कर रहे हैं. सुरंग के अंदर मौजूद लोगों का पता लगाने के लिए खोजी कुत्तों को भी बुलाया गया. हालांकि, पानी की मौजूदगी के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाए.
राजनीतिक विवाद शुरू
इस घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है. बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर निशाना साधते हुए कहा कि एमएलसी चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले सीएम के पास दुर्घटना स्थल पर जाने का समय नहीं है.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सड़क एवं भवन मंत्री कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने दावा किया कि विपक्षी नेता सिरसिला नहीं गए, जहां कालेश्वरम परियोजना के कारण सात लोगों की मौत हो गई. मंत्री ने कहा कि उनके दो कैबिनेट सहयोगी बचाव कार्यों की देखरेख के लिए सुरंग स्थल पर मौजूद थे.
मंत्री बोले- सुरंग में फंसे लोगों के बचने की संभावना 'बहुत कम'