पटना:बीजेपी के वरिष्ठ नेता रह चुके स्व सुशील कुमार मोदी की जयंती समारोह की तैयारी चल रही है. 5 जनवरी यानी कि आज उनके जन्मदिन के अवसर पर पहली बार जयंती समारोह मनाया जा रहा है. इसी वर्ष 13 मई को सुशील कुमार मोदी का निधन हो गया था. सुशील कुमार मोदी के जीवन के अनछुए पहलुओं को जानें.
सुशील मोदी का जन्म:सुशील कुमार मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 को पटना में हुआ था. इनके माता का नाम रत्ना देवी और पिता का नाम मोती लाल मोदी है. सुशील कुमार मोदी की प्रारंभिक शिक्षा पटना के सेंट माइकल स्कूल में हुई.
सुशील मोदी की शिक्षा-दीक्षा:1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान सुशील कुमार मोदी स्कूली जीवन में ही बहुत सक्रिय हो गए थे. स्कूल के छात्रों को शारीरिक फिटनेस व परेड आदि का प्रशिक्षण देने के लिये सिविल डिफेंस के कमांडेंट नियुक्त किये गये थे. इसके बाद इन्होने बीएससी की डिग्री बीएन कॉलेज पटना से प्राप्त की. जेपी आंदोलन में शामिल होने के कारण वह स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए.
बिहार बीजेपी के बड़े चेहरा:सुशील कुमार मोदी बिहार की राजनीति के वह चेहरे जिन्हें लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले चेहरे के रूप में याद करते हैं। छात्र संघ के चुनाव से राजनीति की शुरुआत करने वाले सुशील कुमार मोदी बिहार के गिने-चुने कुछ ऐसे नेताओं में है जिनको देश के सभी चारों सदन में जाने का मौका मिला।
1970 से छात्र संघ से जुड़े: बिहार बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री किरण घई राजनीति की शुरुआत सुशील मोदी के साथ ही शुरू की थी. ईटीवी भारत से बातचीत में किरण घई ने बताया कि आज सुशील जी हम लोगों के बीच नहीं है. जयंती उन्हीं लोगों की मनाई जाती है जो बड़े होते हैं. 1970 से वे लोग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में साथ आए. इस समय से लगने लगा था कि इनका व्यक्तित्व बहुत बड़ा है.
'सुशील मोदी छोड़ने आते थे घर': 1972 में पटना में विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था और उस पूरे राष्ट्रीय अधिवेशन को सुशील कुमार मोदी ने बहुत ही बेहतरीन ढंग से आयोजित करवाया. किरण घई ने बताया कि जिस समय वह लोग छात्र राजनीति में आई थीं, वह अकेले लड़की थी जो छात्र संगठन से जुड़ी थी. कई बार ऐसा मौका लगा कि सुशील कुमार मोदी उनको उनके घर तक छोड़ने के लिए आए. उनको कभी नहीं लगा कि वह लड़कों के बीच काम कर रही हैं.
विश्वसनीय दोस्त थे सुमो:किरण घई ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सुशील कुमार मोदी वैसे दोस्त थे जिससे लोग कोई बात साझा कर सकते थे. जब पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव थे,उन्हीं के समय में विश्वविद्यालयों के अंतर्गत आने वाले कॉलेज के विकास के लिए सार्थक पहल की गई.
सुशील मोदी की लव स्टोरी: प्रो. किरण घई ने सुशील कुमार मोदी के प्रेम विवाह के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि सुशील कुमार मोदी ट्रेन में सफर कर रहे थे. सामने की सीट पर एक लड़की बैठी थी जिसका नाम जेसी जार्ज था. वह भारतीय योग पर एक पुस्तक पढ़ रही थी.
ट्रेन में ही दिल दे बैठे सुशील: चेन्नई एक्सप्रेसमें ही सुशील कुमार मोदी और जेसी के बीच बातचीत शुरू हुई. जम्मू कश्मीर में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सुशील कुमार मोदी मुंबई से जम्मू कश्मीर जा रहे थे और उसी ट्रेन में जेसी भी बैठी हुई थी. दोनों के बीच बातचीत हुई. इसके बाद बातचीत पत्राचार में बदल गया.
दोस्ती प्यार में बदली: धीरे-धीरे दोनों के बीच मुलाकातों का दौर शुरू हुआ और यह दोस्ती धीरे-धीरे प्रगाढ़ होने लगी. दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे. इसके बाद पसंद और मुलाकात का ये सिलसिला एक-दूजे का हमसफर बनने तक पहुंच गया.
शादी में वाजपेयी जी हुए शामिल:सुशील मोदी ने 13 अगस्त 1986 को क्रिश्चियन लड़की जेसी जॉर्ज से शादी की. बीजेपी की वरिष्ठ नेता किरण घई ने बताया कि उनकी 1981 शादी में हुई थी और सुशील कुमार मोदी की शादी 1986 में हुई. सुशील कुमार मोदी की शादी में शामिल होने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी आए थे.
शादी के बाद बदली किस्मत:सादगी से भरी शादी के लिए सुशील कुमार मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को एक औपचारिक निमंत्रण पत्र भेजा था. अटल बिहारी वाजपेयी शादी के लिए खुद ही पटना आये थे. पटना के शाखा मैदान में शादी समारोह हुआ था जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख और कर्पूरी ठाकुर शामिल हुए थे, जहां उन्होंने सुशील मोदी से सक्रिय राजनीति में शामिल होने को कहा था.
अटल जी की प्रेरणा से राजनीति में एंट्री: प्रोफेसर किरण घई ने बताया शादी समझ में शामिल होने के लिए आए अटल बिहारी वाजपेयी ने ही सुशील मोदी को सक्रिय राजनीति में आने को कहा। इसके बाद सुशील मोदी सक्रिय राजनीति में आए। किरण घई ने बताया कि बिहार की राजनीति में गिनेचुने ही कोई नेता होंगे जो देश के सभी सदनों में बैठे हो। सुशील जी विधानसभा विधान परिषद लोकसभा एवं राज्यसभा चारों सदनों के मेंबर रहे।
विरोध के बावजूद विवाह: किरण घई ने बताया कि राजनीति में आने के बाद भी सुशील कुमार मोदी राजनीति और परिवार के बीच बेहतरीन संतुलन बनाकर रखें. किरण घई ने बताया कि "अंतरजातीय विवाह में प्राय देखा जाता है कि विरोध होता है, लेकिन विरोध के बावजूद भी सुशील जी ने पारिवारिक संतुलन बनाकर रखा.
"राजनेता के रूप में हो उपमुख्यमंत्री के रूप में हो या परिवार के मुखिया के रूप में सुशील कुमार मोदी ने सबों में संतुलन बनाकर रखा. राजनीति में सक्रिय होने के बाद भी उन्होंने परिवार के लिए हमेशा समय निकाला. उनके बच्चे अभी भी कहते हैं कि पापा उन लोगों से रोज बात करते थे. बच्चे क्या कर रहे हैं, क्या पढ़ रहे हैं, बच्चों के कौन-कौन से मित्र हैं, सबों की जानकारी सुशील जी रखते थे."- किरण घई, वरिष्ठ भाजपा नेत्री