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सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के लिए SC, ST में वर्गीकरण करने के राज्य संबंधी अधिकार पर फैसला सुरक्षित रखा - Supreme Court

Supreme Court reserves order : राज्य सरकार को एडमिशन और सरकार नौकरियों में आरक्षण देने के एससी और एसटी में वर्गीकरण करने संबंधी अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है. पढ़िए पूरी खबर...

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

By PTI

Published : Feb 8, 2024, 5:53 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को उस कानूनी सवाल पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया कि क्या किसी राज्य सरकार को दाखिले और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) में उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और राज्यों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें सुनीं, जिसमें ईवी चिन्नैया फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया गया.

शीर्ष अदालत ने 2004 में फैसला सुनाया था कि सदियों से बहिष्कार, भेदभाव और अपमान झेलने वाले एससी समुदाय सजातीय वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनका उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता. पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र मिश्रा शामिल हैं.

पीठ 23 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिनमें पंजाब सरकार द्वारा दायर एक प्रमुख याचिका भी शामिल है. इस याचिका में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को चुनौती दी गई है. शीर्ष अदालत 'ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य' मामले में 2004 के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के फैसले पर फिर से विचार करने के संदर्भ में सुनवाई कर रही है, जिसमें यह कहा गया था कि एससी और एसटी समरूप समूह हैं.

फैसले के मुताबिक, इसलिए, राज्य इन समूहों में अधिक वंचित और कमजोर जातियों को कोटा के अंदर कोटा देने के लिए एससी और एसटी के अंदर वर्गीकरण पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं. चिन्नैया फैसले में कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का कोई भी उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन होगा.

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