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'किसी को परवाह नहीं...', ठोस कचरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने MCD को लगाई फटकार - Supreme Court

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में नगर निगम के ठोस कचरे के प्रोसेसिंग से संबंधित मामले की सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने एमसीडी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी से पूछा कि आप ठोस कचरे को निपटाने की क्षमता कब विकसित करेंगे?

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सुप्रीम कोर्ट (ANI)

By Sumit Saxena

Published : May 13, 2024, 1:11 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में स्थिति सुखद नहीं है. अदालत ने 3,800 मीट्रिक टन ठोस कचरे पर रोशनी डालते हुए कहा कि इस पर पूरी राजधानी क्या कहेगी. यहां हर रोज ठोस कचरा जमा हो रहा है. इस मुद्दे को राजनीति से परे रखा जाना चाहिए.

जस्टिस अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने राजधानी में प्रतिदिन जनरेट होने वाले ठोस कचरे के ट्रीटमेंट के संबंध में दिल्ली नगर निगम का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से सवालों की झड़ी लगा दी. जस्टिस ओका ने एमसीडी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी से पूछा, 'आप 3800 मीट्रिक टन (ठोस कचरा) को निपटाने की क्षमता कब विकसित करेंगे?'

हम आसान सवाल पूछ रहे हैं- सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि इसका ट्रीटमेंट नहीं किया जाता है, क्योंकि इससे निपटने की कोई कैपेबलिटी नहीं है. क्या यह स्टेटमेंट सही है? हमारे सवाल का डवाब दीजिए... हम एक बहुत ही आसान सवाल पूछ रहे हैं और हम आपसे एक सरल उत्तर की अपेक्षा करते हैं.

गुरुस्वामी ने ठोस अपशिष्ट (Solid Waste) के ट्रीटमेंट को लेकर जो परिदृश्य दिया उससे जज सहमत नहीं हुए और उनसे कहा कि क्या आप यह कह रहे हैं कि दिल्ली में जनरेट होने वाला हर एक मीट्रिक टन कचरे का नियमों के अनुसार ट्रीटमेंट किया जा रहा है? न्यायमूर्ति ओका गुरुस्वामी के जवाब से असहमत लग रहे थे.

बताएं सही आंकड़ा
उन्होंने कहा, 'क्या कमी है? आप हर दिन ठोस कचरे की कितनी मात्रा का ट्रीटमेंट नहीं कर पाते हैं, हमें वह आंकड़ा बताएं अगर 3,800 गलत है तो सही आंकड़ा क्या है?' जस्टिस ओका ने गुरुस्वामी से कहा कि वह इस मामले में निर्देश लें, अपने अधिकारियों से पूछें और फिर कोर्ट को अवगत कराएं. पीठ ने कहा कि वह इस मामले में व्यापक आदेश पारित करेगी. जस्टिस ओका ने कहा, 'यह राजधानी के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसमें कोई राजनीति शामिल नहीं है.'

'राजनीति से परे रखें यह मुद्दा'
जस्टिस ओका ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि जो हम दुनिया को किस तरह का संकेत दे रहे हैं. हम विकास की बात करते हैं. हम पर्यावरण की बात करते हैं, हम क्या संकेत दे रहे हैं?....इस मुद्दे को राजनीति से परे रखा जाना चाहिए. एमसीडी आज हमारे सवालों का जवाब नहीं दे पा रही है. मेहता ने अदालत की टिप्पणी से सहमति जताई और कहा कि इस मुद्दे को राजनीति से परे जाना चाहिए.

जस्टिस ओका ने कहा, 'एमसीडी से साधारण सवाल पूछे गए, एमसीडी आज जवाब नहीं दे सकी. एमसीडी की ओर से कोई हलफनामा नहीं. भारत सरकार को इस पर अवश्य गौर करना चाहिए.'

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह निगम के सबसे बड़े अधिकारी को तलब करेगी. पीठ ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए एक बैठक बुलानी चाहिए कि यह कचरे की मात्रा को और न बढ़ाया जाए और इसका जल्द से जल्द निपटारा किया जाए. बता दें कि अदालत दिल्ली में नगर निगम के ठोस कचरे के प्रोसेसिंग से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

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