नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विजुअल मीडिया और फिल्मों में दिव्यांगों के 'अपमानजनक' चित्रण के खिलाफ दिशा-निर्देश जारी किए. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि दिव्यांगता से जुड़े शब्दों को समाज में गलत रूप में पेश किया गया. पीठ ने कहा कि फिल्म प्रमाणन निकाय को स्क्रीनिंग की अनुमति देने से पहले विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने विजुअल मीडिया में दिव्यांगों के चित्रण पर दिशा-निर्देश जारी किए - SC disabled guidelines - SC DISABLED GUIDELINES
SC lays down guidelines on disabled persons: सुप्रीम कोर्ट ने विजुअल मीडिया में दिव्यांगों के उपहास उड़ाने या अपमानजनक टिप्पणी पर पहली बार सख्त कदम उठाया है. अदालत ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
By Sumit Saxena
Published : Jul 8, 2024, 1:01 PM IST
पीठ ने कहा कि विजुअल मीडिया को दिव्यांगों की अलग-अलग वास्तविकताओं को दर्शाने का प्रयास करना चाहिए, न केवल उनकी चुनौतियों को बल्कि उनकी सफलताओं, प्रतिभाओं और समाज में उनके योगदान को भी प्रदर्शित करना चाहिए. पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न तो मिथकों के आधार पर उनका उपहास किया जाना चाहिए और न ही उन्हें अपंग के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला निपुण मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका पर आया. इसमें कहा गया था कि हिंदी फिल्म 'आंख मिचोली' में दिव्यांगों के प्रति अपमानजनक संदर्भ हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि शब्द संस्थागत भेदभाव को बढ़ावा देते हैं और दिव्यांगों के बारे में सामाजिक धारणाओं में अपंग जैसे शब्दों का अवमूल्यन हो गया है. इससे पहले सरकार ने भी दिव्यांगों के लिए कई कदम उठाए थे. पहले विकलांग शब्द का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन सरकार के पहल पर इस शब्द में बदलाव किया गया.