देहरादून/दिल्ली:उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को कई दिशा निर्देश दिए. साथ ही वनाग्नि रोकने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर संतुष्टि जाहिर कर कीमती जंगलों को बचाने को कहा. साथ ही जंगल की आग से बचाने के लिए एक स्थायी समाधान खोजने के भी आदेश दिए.
उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ को जंगल की आग को रोकने और नियंत्रित करने, वन विभाग में रिक्तियों को भरने और अग्निशमन के लिए उपकरणों की उपलब्धता के लिए धनराशि के उपयोग के बारे में जानकारी दी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कीमती जंगलों को आग से बचाने के मुद्दे को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है. उन्होंने आश्वासन दिया कि मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर गौर करेंगे. साथ ही जंगलों को आग से बचाने के लिए एक स्थायी समाधान खोजने की कोशिश करेंगे. जिस पर न्यायमूर्ति गवई ने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता की ओर से दायर मामले पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें उत्तराखंड में जंगलों में लगी भीषण आग का मुद्दा उठाया गया था. न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने हर किसी की दिलचस्पी केवल जंगल की रक्षा करने में है और सभी को इसमें शामिल होना चाहिए. सभी स्टेक होल्डर्स को एक साथ बैठकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका अनुपालन हो.
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वनकर्मियों की तस्वीरें और साक्षात्कार भी आई हैं, जिसमें वो पत्तों से आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक ऐसा तथ्य है, जिसे कोई भी नकार नहीं सकता. पीठ ने कहा कि हमने जो रिपोर्ट पढ़ी, उसमें आग लगने और बुझाने की तस्वीरों के साथ रिपोर्ट छपी थी, उसके आधार पर सवाल उठ रहे हैं.