नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सात जजों की बेंच के 1997 के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें केंद्र सरकार को औद्योगिक शराब के नियमन के लिए अधिकार दिए गए थे. कोर्ट ने कहा कि औद्योगिक शराब के उत्पादन, निर्माण और आपूर्ति पर नियामक शक्ति राज्यों के पास है. औद्योगिक शराब मानव उपभोग के लिए नहीं है.
सात न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया था कि औद्योगिक शराब के उत्पादन पर नियामक शक्ति केंद्र सरकार के पास है. 2010 में मामले को नौ न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजा गया था. यह मामला पहली बार 1990 के एक फैसले में उठाया गया था. नौ न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजे जाने से पहले इस मामले की परस्पर विरोधी व्याख्याएं हुई.
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने स्वयं तथा सात अन्य न्यायाधीशों के लिए निर्णय लिखा कि केंद्र के पास नियामक शक्ति का अभाव है. संविधान पीठ के नौ में से आठ न्यायाधीशों जिनमें मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे. इन्होंने इस व्याख्या का समर्थन किया जबकि न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने इस पर असहमति जताई.