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एसपीजी स्थापना दिवस : कैसी होती है पीएम की सुरक्षा, कितना खर्च होता है, जानें - SPG Raising Day

Special Protection Group Raising Day : एसपीजी यानि स्पेशल प्रोटेशन ग्रुप सबसे ताकतवर सुरक्षा कवर है. यह सुरक्षा कवर पीएम और उनके परिवार के सदस्यों को दिया जाता है. 2014-15 की तुलना में 2024-25 एसपीजी के बजट में 2 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी एसपीजी के बजट में हुआ है. पढ़ें पूरी खबर..

SPG RAISING DAY
SPG RAISING DAY

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 7, 2024, 12:16 PM IST

Updated : Apr 7, 2024, 12:31 PM IST

हैदराबाद : भारतीय प्रधानमंत्री देश की जनता द्वारा सीधे तौर पर निर्वाचित प्रतिनिधियों के नेता होते हैं. यह भारत में सर्वोच्च पद है. देश-विदेश में वे भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हैं. आंतरिक और बाह्य दुश्मनों से पीएम, उनके करीबी रिश्तेदारों को सुरक्षा मुहैया करना बड़ी चुनौती है. इसके लिए मल्टी टॉस्किंग, अत्याधुनिक हथियारों व संचार उपकरणों के संचालन में दक्ष कर्मियों और अधिकारियों की जरूरत महसूस की गई. इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखकर भारत में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप या विशेष सुरक्षा दस्ता का गठन किया गया था.

एसपीजी स्थापना दिवस (फाइल फोटो)

10 साल में 2 गुना से ज्यादा बढ़ा एसपीजी का बजट

वित्तीय वर्षराशि

  1. 2014-15 289.00 करोड़
  2. 2015-16 330.00 करोड़
  3. 2016-17 359.00 करोड़
  4. 2017-18 389.00 करोड़
  5. 2018-19 385.00 करोड़
  6. 2019-20 540.16 करोड़
  7. 2021-22 429.05 करोड़
  8. 2022-23 385.95 करोड़
  9. 2023-24 446.83 करोड़
  10. 2024-25 506.32 करोड़
एसपीजी स्थापना दिवस (फाइल फोटो)

एसपीजी के बारे में तथ्य:

  1. एसपीजी का आदर्श वाक्य 'बहादुरी, समर्पण, सुरक्षा' है.
  2. इसे बीरबल नाथ समिति, 1985 की सिफारिश पर बनाया गया था.
  3. एसपीजी ने वर्ष 1985 से 1988 तक 3 वर्षों तक बिना किसी कानून के काम किया, उसके बाद राजीव गांधी सरकार ने एक कानून पारित कर एजेंसी को वैधानिक मान्यता दी गई.
  4. 2 जून 1988 को द स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप एक्ट 1988 लागू हुआ.
  5. भारतीय पुलिस सेवा के पुलिस महानिरीक्षक से कम रैंक के अधिकारी एसपीजी का नेतृत्व नहीं कर सकते हैं.
  6. गृह मंत्रालय और सैन्य बल गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेते हैं, लेकिन एसपीजी परेड में भाग नहीं लेती है.
  7. एसपीजी सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ इंटेलिजेंस ब्यूरो और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग जैसी कई अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय करती है.
  8. एसपीजी में कर्मचारियों/अधिकारियों की सीधे भर्ती का प्रावधान नहीं है. विभिन्न बलों से निर्धारित समय के लिए प्रतिनियुक्त के आधार पर कर्मियों की सेवाएं ली जाती है.
  9. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की ओर से संचालित हवाई अड्डों पर कानून के अनुसार, एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों को व्यक्तिगत सुरक्षा जांच से छूट प्राप्त है. एसपीजी सुरक्षा वाले लोग वीआईपी लाउंज तक पहुंचने का विकल्प भी चुन सकते हैं.
  10. एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों को उनके सरकारी कार्यालय और आवास में भी सुरक्षा दी जाती है.
  11. एसपीजी के अधीन रहे कर्मचारी और अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद भी आरटीआई एक्ट 2005 के दायरे से बाहर रखा गया है.
  12. 8 अप्रैल 1985 को एसपीजी अस्तित्व में आया. उस समय इंटेलिजेंस ब्यूरो में तत्कालीन संयुक्त निदेशक (वीआईपी सुरक्षा) डॉ. एस. सुब्रमण्यम थे.

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद ही पड़ गई थी एसपीजी की नींव

  1. 31 अक्टूर 1884 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. इसके बाद देश में पीएम की सुरक्षा के लिए नई नीति आई.
  2. 2 अक्टूबर 1986 को तत्कालीन वन एवं पर्यावरण सचिव टीएन शेषन अपने कार्यालय में बैठकर क्रिकेट मैच देख रहे थे. इसी दौरान क्रिकेट कमेंट्री अचानक बंद हो गई. उसी वक्त टीवी पर एक खबर ब्रेक हुई कि पीएम राजीव गांधी पर राजघाट में एक व्यक्ति ने हमला (गोली चलाई) कर दिया.
  3. अगले दिन यानि 3 अक्टूबर 1986 को तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के आवास पर टीएन शेषन का बुलावा आया. राजीव गांधी ने स्वयं पर हुए हमले की जांच का जिम्मा दिया गया. जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए टीएन शेषन को 4 हफ्ते का समय दिया गया.
  4. निर्धारित समय पर टीएन शेषन ने 150 की रिपोर्ट में हमले के पीछे सुरक्षा व्यवस्था में कमी को गिनाते हुए 150 पन्नों की रिपोर्ट सौंप दी. इस दौरान पीएम की सुरक्षा को फूल फ्रूफ बनाने के लिए आवश्यक कदमों को भी फोकस किया गया.
  5. 15 दिसंबर 1986 को राजीव गांधी ने शेषण के सुझावों को स्वीकार कर लिया और उन्हें ही सुरक्षा का जिम्मा उठाने के लिए कहा. कुछ दिनों बाद आधिकारिक तौर पर शेषन को वन और पर्यावरण विभाग के साथ पीएम सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया.
  6. राजीव गांधी की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिलने के बाद शेषन लगातार उनके साथ होते थे. सख्त हिदायतों के बाद राजीव अपने सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं थे. सुरक्षा कारणों से शेषन का मानना था कि राजीव कोलम्बो नहीं जायें. उन्होंने शेषन की बात नहीं मानी. इसका परिणाम देखने को मिला कि श्रीलंका के नौसैनिक ने यात्रा के दौरान राइफल के बट से हमला कर दिया.
  7. जब एसपीजी एक्ट बनाया गया तो उसमें प्रावधान था कि एसपीजी प्रधानमंत्री के अलावा उनके परिवारजनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगी.
  8. एसपीजी एक्ट बनने के बाद शेषन ने राजीव गांधी से पूर्व प्रधानमंत्रियों ओर उनके परिजनों को भी एसपीजी सुरक्षा कवर दिये जाने के लिए कानूनी प्रावधान करने का अनुरोध किया. शेषन ने अमेरिका में एफबीआई की ओर वहां के राष्ट्रपति को पद से हटने व निधन के बाद भी सुरक्षा का प्रावधान है. लेकिन राजीव गांधी नहीं माने, उनका तर्क था कि इसे लोग स्वयं के फायदे के लिए लिया गया फैसला मानेंगे.
  9. विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्री बनने के अगले ही दिन इस बात पर विचार करने के लिए एक बैठक बुलाई गई कि राजीव गाँधी और उनके परिवार को एसपीजी कवर दिया जाए या नहीं.
  10. राजीव गांधी के कार्यकाल में एसपीजी एक्ट बना. राजीव गांधी के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह पीएम बने. उगले ही दिन राजीव गांधी और उनके परिवार को एसपीजी कवर जारी रखने के लिए बुलाई गई. तत्कालीन कैबिनेट सचिव के तौर पर शेषन ने राजीव और उनके परिवार को एसपीजी कवर जारी रखने की वकालत की. लेकिन विश्वनाथ प्रताप सिंह इसके लिए तैयार नहीं हुए.
  11. 22 दिसंबर 1989 को टीएन शेषन को कैबिनेट सचिव के पद से हटा कर योजना आयोग का सदस्य बनाया गया.
  12. तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर में 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या एक आत्मघाती हमले में कर दी गई. उस समय उनके साथ एसपीजी की सुरक्षा नहीं थी. ज्यादातर लोगों का मानना था कि एसपीजी की सुरक्षा होती तो उनकी हत्या नहीं होती.
  13. 2019 में भारत सरकार की ओर से सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के एसपीजी कवर हटाने का निर्णय लिया. एसपीजी के स्थान पर जेड प्लस सुरक्षा कवर दिया गया.

24 घंटे कई लेयर में होती है एसपीजी की सुरक्षा
पीएम आवास से लेकर देश के भीतर हर जगह प्रधानमंत्री कई लेयर की सुरक्षा में होते हैं. पहले लेयर में उनके साथ साया की तरह दिखने वाले एसपीजी होती है. उसके बाद सेकेंड लेयर में केंद्रीय सुरक्षाबल और तीसरे लेयर में स्टेट पुलिस के जवान होते हैं. इस दौरान सेंट्रल और स्टेट की खुफिया एजेंसी भी पूरे इलाके में एक्टिव होते हैं.

बता दें कि समय-समय पर सुरक्षा जरूरतों के आधार पर प्रमुख लोगों की सुरक्षा की समीक्षा विभिन्न खुफिया एजेंसियों के इनपुट व निर्धारित मानकों के आधार पर किया जाता है. राज्यों और केंद्र के अधीन प्रमुख लोगों के लिए संबंधित राज्य सरकारें व केंद्र सरकार की एजेंसियों की ओर से सुरक्षा दी जाती है. राज्यों के पास अपनी सुरक्षा बल हैं. वहीं केंद्र सरकार की ओर से सामान्य सुरक्षा के अलावा x, Y, Y Plus, Z, Z Plus और SPG का सुरक्षा घेरा होता है. इसमें सबसे टॉप SPG का सुरक्षा घेरा होता है. SPG पर रोजाना 1.39 करोड़ रुपये खर्च आता है. इस सुरक्षा घेरे में बुलेट फ्रुफ वाहनें, एस्कॉर्ट वाहन, पायलट वाहन, बख्तरबंद गाड़ियां, आधुनिक हथियार, आधुनिक संचार तंत्र को हेंडल करने के लिए आधुनिकत्म प्रशिक्षण प्राप्त जवान व अधिकारी होते हैं. इसमें इसमें भारतीय पुलिस सेवा, एनएसजी, विभिन्न सैन्य विंग के अलावा केंद्रीय पुलिस संगठन सहित कई सुरक्षा एजेंसियों के लोग होते हैं.

एसपीजी के फैसले को अदालत में नहीं किया जा सकता है चैलेंज
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानि एसपीजी में भर्ती के लिए काफी जलिट प्रक्रिया होती है. निर्धारित मानकों को पूरा होने के बाद देश की विभिन्न गुप्तचर एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद ही इसमें शामिल लोगों की सेवाएं ली जाती है. इसमें शामिल लोगों को एसपीजी की ओर से लिखित आदेश के माध्यम से नियुक्ति को समाप्त करने का प्रावधान है. किसी कारण से एसपीजी से हटाये गये लोगों के सेवामुक्त माना जायेगा. यह सेवामुक्ति, निष्कासन या बर्खास्तगी के समान नहीं होगा. एसपीजी की ओर से की गई कार्रवाई या कार्यवाही को केंद्र सरकार की ओर गठित बोर्ड में अपील करने का प्रावधान है. बोर्ड का निर्णय अंतिम होगा. इसे किसी न्यायाधिकरण या अदालत में चैलेंज नहीं किया जा सकता है.

क्या है एसपीजी का काम

  1. प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री व उनके करीबी रिश्तेदारों को जीरो एरर सिक्योरिटी सुविधा उपलब्ध कराना
  2. सुरक्षा के लिए देश के भीतर केंद्रीय व राजकीय खुफिया एजेंसियों के साथ तालमेल करना
  3. विदेशों खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर जरूरी कदम उठाना
  4. एसपीजी के लिए कर्मियों व अधिकारियों का निर्धारित मानकों के आधार पर चयन
  5. एसपीजी से जुड़े लोगों को अत्याधुनिक हथियार व उपकरणों के लिए प्रशिक्षित कराना
  6. देश से बाहर दौरे से पूर्व संबंधित देश की सुरक्षा एजेंसियों के साथ तालमेल स्थापित करना
  7. भारत के किसी भी हिस्से में दौरे की स्थिति में संबंधित राज्य/यूटी पुलिस के साथ सुरक्षा सुनिश्चित करना
  8. पीएम के दौरे से पहले संबंधित इलाके में तैनात एसपीजी व स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों का जायजा लेना

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Last Updated : Apr 7, 2024, 12:31 PM IST

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