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लद्दाख: सोनम वांगचुक का आमरण अनशन जारी, कहा- सरकार को माननी ही होगी मांगें - Sonam Wangchuk fast unto death

Sonam Wangchuk's fast unto death : वांगचुक ने कहा कि मैं 21 दिन का उपवास कर रहा हूं, क्योंकि यह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी द्वारा किए गए सबसे लंबे समय के उपवास के अनुरूप है. मेरा लक्ष्य महात्मा गांधी के शांतिपूर्ण मार्ग का अनुकरण करना है, जिसमें हम बिना किसी को चोट पहुंचाये खुद कष्ट सहते हैं. इस अनशन के द्वारा हमारा लक्ष्य अपने मुद्दे की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करना है. पढ़ें पूरी खबर...

Sonam Wangchuk's fast unto death
लद्दाख में सोनम वांगचुक का आमरण अनशन जारी

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 9, 2024, 6:29 PM IST

नई दिल्ली:सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 5 मार्च को लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची को लागू करने में केंद्र सरकार की अनिच्छा के खिलाफ आमरण अनशन शुरू किया. वांगचुक ने लेह के एनडीएस स्टेडियम में अपने आमरण अनशन को तबतक जारी रखने का संकल्प लिया है जब तक कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती. माइनस -16 डिग्री सेल्सियस में हाड़ कंपा देने वाले तापमान को सहते हुए, वांगचुक और स्थानीय निवासी सरकार का ध्यान अपनी मांगों की ओर आकर्षित करने के लिए दिन और रात दोनों खुले में प्रदर्शन जारी रखे हैं.

अपने अनशन पर जाने से पहले वांगचुक ने भारतीय जनता पार्टी की 2019 की मेनिफेस्टो पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि 2019 में BJP की तरफ से जो मेनिफेस्टो लाया गया था, उसमें लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत लाना शामिल था, यह रेखांकित करते हुए कि लद्दाख की 97 प्रतिशत आबादी में स्वदेशी आदिवासी समुदाय शामिल हैं.

अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए, वांगचुक ने कहा कि मैं 21 दिन का उपवास कर रहा हूं, क्योंकि यह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी द्वारा किए गए सबसे लंबे समय के उपवास के अनुरूप है. मेरा लक्ष्य महात्मा गांधी के शांतिपूर्ण मार्ग का अनुकरण करना है, जिसमें हम बिना किसी को चोट पहुंचाये खुद कष्ट सहते हैं. इस अनशन के द्वारा हमारा लक्ष्य अपने मुद्दे की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करना है. सरकार और नीति निर्माताओं को तुरंत कार्रवाई करने के लिए मजबूर करना है.

अपने अनशन के चौथे दिन वांगचुक ने लद्दाख को राज्य का दर्जा ना मिलने से वहां के लोगों में बढ़ रहे असंतोष को व्यक्त किया. उन्होंने क्षेत्र में भारत की सीमा रक्षा की अनिश्चित स्थिति पर जोर देते हुए, लद्दाख से लगने वाली भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान सीमाओं पर खतरनाक सुरक्षा खतरों की ओर इशारा किया. वांगचुक ने लद्दाख स्काउट्स, सिख रेजिमेंट और गोरखा रेजिमेंट जैसे पारंपरिक गढ़ों को प्रभावित करने वाली उपेक्षा और आंतरिक अशांति का हवाला देते हुए, लद्दाख में तैनात भारतीय सशस्त्र बलों के बीच घटते मनोबल पर जोर दिया. वांगचुक ने कहा, ज्यादा चिंता का कारण चीनी अधिकारियों द्वारा गोरखा सैनिकों की सक्रिय भर्ती का रहस्य है, जो भारत की रक्षा मुद्रा के लिए एक गंभीर खतरा है.

वांगचुक की भावुक अपील के बावजूद, राज्य के मुख्यधारा के अधिकारी स्थिति की गंभीरता पर चुप्पी बनाए हुए हैं. वांगचुक ने इस चुप्पी की आलोचना करते हुए इसे विश्वास के साथ विश्वासघात और राष्ट्र के प्रति अहित बताया. वांगचुक ने मुख्यधारा की मीडिया से लद्दाख के आसन्न संकट को प्राथमिकता देने का आग्रह किया. उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि मुख्यधारा का मीडिया लंबे समय तक सीमा हैदर को बड़े पैमाने पर कवर करता है, फिर भी लद्दाख में आसन्न संकट के बारे में चुप है. उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कि भारत की सुरक्षा खतरे में है, क्षेत्र में उदासीनता की खामोशी छाने से पहले तत्काल कार्रवाई की जाए.

बता दें, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के स्थानीय हिल काउंसिल चुनाव दोनों के दौरान, भाजपा ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में छठी अनुसूची पेश करने के लिए प्रतिबद्धता जताई. 2019 में लद्दाख लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के बावजूद, भाजपा द्वारा दिए गए आश्वासनों का सम्मान नहीं किया गया, जिससे लद्दाख की वैध मांगों के समर्थन में वांगचुक का अटूट विरोध तेज हो गया.

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