देहरादून (उत्तराखंड): हिमालय अपनी युवावस्था के दौरान ही एक गंभीर बीमारी का शिकार हो गया है. ये बीमारी ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ रही है. अब तक इसके इलाज का कोई उपाय भी अपनाया नहीं गया है. हालांकि वैज्ञानिक हिमालय की बिगड़ती सेहत को लेकर बार-बार आगाह कर रहे हैं, लेकिन हिमालय के बदलते स्वरूप के कारण इंसानी जिंदगियों पर बढ़ रहे खतरे ने भी इंसानों को सचेत नहीं किया है. खास बात यह है कि हिमालय के संकट की केवल एक ही वजह है, जिसे इंसान समझकर भी समझना नहीं चाहते. नतीजा तमाम आपदाओं के रूप में सबके सामने आ रहा है.
स्नो कवर्ड एरिया हिमालय में हुआ कम:हिमालय न केवल भारत बल्कि दुनिया के कई देशों के लिए पानी की आपूर्ति का बड़ा साधन है. माना जाता है कि हिमालय पर करीब 2000 क्यूबिक किलोमीटर पानी जमा है. इतनी बड़ी मात्रा में हिमालय पर मौजूद साफ पानी होने के कारण ही इसे एशिया का वॉटर टावर भी कहा जाता है, लेकिन समस्या अब हिमालय पर धीरे-धीरे कम हो रहे पानी से शुरू हो गई है. यहां ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहे हैं और हिमालय पर तेजी से झीलें बनने का सिलसिला भी शुरू हुआ है. अध्ययन यह बताता है कि स्नो कवर्ड एरिया हिमालय में कम हुआ है.
हिमालय के उच्च क्षेत्र में कम हो रही बर्फबारी:वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (WIHG) के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर डीपी डोभाल ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय के उच्च क्षेत्र में बर्फ कम पड़ रही है, इसके कारण समय से पहले ही गिरने वाली बर्फ पिघल जाती है और इसके बाद ग्लेशियर भी पिघलना शुरू हो रहा है. यह पूरी स्थिति हिमालय पर ग्लेशियर के स्वास्थ्य को बिगाड़ रही है. ग्लोबल वार्मिंग का असर शहरी क्षेत्र के साथ ही उच्च हिमालय पर भी दिखाई दे रहा है. इन क्षेत्रों में तमाम वनस्पतियां अपने क्षेत्र को छोड़ रही हैं. ट्री लाइन से लेकर बुग्याल क्षेत्र भी नए स्थलों की तरफ खिसक रहे हैं.
उच्च हिमालय क्षेत्र में अप्रैल से बर्फ पिघलना शुरू:वैज्ञानिक बताते हैं कि बर्फ गिरने वाली रेंज 50 मीटर ऊपर की तरफ जा चुकी है. यह हिमालय पर ग्लेशियर का सीधे तौर से दिखने वाला असर है. वैज्ञानिक मानते हैं कि उच्च हिमालय क्षेत्र में जून के अंत या जुलाई महीने में बर्फ का पिघलना शुरू होता था, लेकिन अब इन क्षेत्रों में अप्रैल से ही बर्फ पिघलने लगती है. इसकी वजह से बारिश के मौसम तक पहुंचते पहुंचते ग्लेशियर भी पिघलना शुरू हो जाते हैं और हिमालय क्षेत्र में इससे नया संकट खड़ा हो रहा है.
हिमालय पानी की करते हैं आपूर्ति:हिमालय आसपास के एक बड़े इलाके में पर्यावरण को भी नियंत्रित करती है. लोकल वेदर से लेकर एक बड़े क्षेत्र में पानी की आपूर्ति के लिए भी हिमालय का विशेष महत्व है. हिमालय से कई नदियां निकलती हैं, जो की एशिया में कई देशों की करोड़ों की जनसंख्या के लिए पानी की आपूर्ति करती हैं और इन नदियों का स्रोत वही ग्लेशियर हैं, जो हिमालय में तेजी से पिघल रहे हैं. वहीं बड़े क्षेत्र को भी उच्च क्षेत्र में होने वाले घटनाक्रम प्रभावित करते हैं.