प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने विवाद से जुड़े मुकदमों की सुनवाई एक साथ करने के आदेश को वापस लेने की मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज कर दी है. अदालत ने मस्जिद पक्ष की इस दलील को सही नहीं माना कि सभी वादों में अलग-अलग मांग की गई है, इसलिए इनकी सुनवाई एक साथ नहीं हो सकती है. इस फैसले से श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े सभी 18 वादों की एक साथ सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट ने वाद बिंदु तय करने के लिए 6 नवम्बर को सुनवाई की तिथि नियत की है. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने 16 अक्टूबर को अर्जी पर सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था.
मस्जिद पक्ष की अर्जी में 11 जनवरी 2024 के आदेश को वापस लेने की प्रार्थना की गई थी. जिसमें हिंदू पक्ष के सभी मामलों को एक साथ जोड़ दिया गया था. कोर्ट ने श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से दाखिल वाद को मुख्य वाद के तौर पर स्वीकार करते हुए अन्य सभी की सुनवाई इसी के साथ करने का निर्णय दिया है. मस्जिद पक्ष की ओर से कहा गया कि इस आदेश से उनका सभी मामलों का विरोध करने का अधिकार छिन जाएगा.
हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि मामलों को एक साथ जोड़ने से यह नहीं होगा कि सभी मामलों का विरोध करने का अधिकार रुक जाएगा. मामलों को एकसाथ जोड़ना न्यायालय की विवेकाधीन शक्ति है और इसे किसी भी व्यक्ति द्वारा बदला नहीं जा सकता है. कोर्ट ने गत एक अगस्त के आदेश में मामलों को एक साथ जोड़ने का निर्णय लिया था, लेकिन अभी तक कोई मुद्दा नहीं उठाया गया है और न्यायालय केवल अर्जियों की सुनवाई कर रहा है, जिनमें 18 मुकदमे शामिल हैं. इससे पहले एक अगस्त 2024 को न्यायमूर्ति जैन ने मुस्लिम पक्ष की अर्जियों को खारिज कर दिया था, जिसमें हिंदू पक्षों की ओर से दाखिल मामलों के स्थायित्व को चुनौती दी गई थी.