आगरा:ताजनगरी आगरा के दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद केस की बुधवार को सुनवाई हुई. पिछली 16 जुलाई की सुनवाई में प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कोर्ट में अपना ऑब्जेक्शन और दूसरे प्रतिवादी इंतजामिया कमिटी ने अपना जवाब दाखिल किया था. बुधवार को सुनवाई के दौरान श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता ने एएसआई के लगाए गए ऑब्जेक्शन पर अपना जबाव दिया.
सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 अगस्त तय कर दी है. वर्तमान में प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह के दो वाद माननीय न्यायाधीश मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में विचाराधीन हैं.
दरअसल, न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला चल रहा है. जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने अदालत में याचिका दायर करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है. जबकि, दूसरे पक्ष में इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जामा मस्जिद के मामले की सुनवाई को अदालत के क्षेत्राधिकार से बाहर बताने की याचिका खारिज हो चुकी है.
अभी जीपीआर सर्वे का प्राथना पत्र विचाराधीन:वादी और अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला ने बताया कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों के GPR सर्वे का प्रार्थना पत्र अभी विचाराधीन है. 16 जुलाई की सुनवाई में विपक्षी उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी उपस्थित रहा था. इसके साथ ही प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया.
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का ये दावा:मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि, मुगल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए. इसलिए, अदालत पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराकर जमा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे कराए. इसके बाद वहां से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकाले. कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने ऐलान किया है कि, मेरा संघर्ष जामा मस्जिद से अपने आराध्य को ले जाने तक जारी रहेगा.