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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-जामा मस्जिद विवाद; ASI की आपत्ति पर ट्रस्ट ने दिया जवाब, कहा- सीढ़ियों का भी हो GPR सर्वे - JAMA MASJID CASE - JAMA MASJID CASE

श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद मामले की सुनवाई आगरा कोर्ट में हुई है. सुनवाई के दौरान श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता ने एएसआई के लगाए गए ऑब्जेक्शन पर जवाब दिया. सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 अगस्त तय कर दी है. वर्तमान में प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह के दो वाद माननीय न्यायाधीश मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में विचाराधीन हैं.

शाही जामा मस्जिद
शाही जामा मस्जिद (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 31, 2024, 7:13 PM IST

Updated : Aug 1, 2024, 12:08 PM IST

आगरा:ताजनगरी आगरा के दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद केस की बुधवार को सुनवाई हुई. पिछली 16 जुलाई की सुनवाई में प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कोर्ट में अपना ऑब्जेक्शन और दूसरे प्रतिवादी इंतजामिया कमिटी ने अपना जवाब दाखिल किया था. बुधवार को सुनवाई के दौरान श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता ने एएसआई के लगाए गए ऑब्जेक्शन पर अपना जबाव दिया.

सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 अगस्त तय कर दी है. वर्तमान में प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह के दो वाद माननीय न्यायाधीश मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में विचाराधीन हैं.

दरअसल, न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला चल रहा है. जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने अदालत में याचिका दायर करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है. जबकि, दूसरे पक्ष में इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जामा मस्जिद के मामले की सुनवाई को अदालत के क्षेत्राधिकार से बाहर बताने की याचिका खारिज हो चुकी है.

अभी जीपीआर सर्वे का प्राथना पत्र विचाराधीन:वादी और अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला ने बताया कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों के GPR सर्वे का प्रार्थना पत्र अभी विचाराधीन है. 16 जुलाई की सुनवाई में विपक्षी उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी उपस्थित रहा था. इसके साथ ही प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया.

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का ये दावा. (Photo Credit; ETV Bharat)

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का ये दावा:मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि, मुगल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए. इसलिए, अदालत पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराकर जमा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे कराए. इसके बाद वहां से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकाले. कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने ऐलान किया है कि, मेरा संघर्ष जामा मस्जिद से अपने आराध्य को ले जाने तक जारी रहेगा.

एएसआई सर्वे से सच आएगा सामने:श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि हमने पहले ही कोर्ट से मांग की है कि, जामा मस्जिद का सच सबके सामने लाने के लिए ASI सर्वे कराया जाना चाहिए. एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से विवाद खत्म किया जा सकता है. क्योंकि, सर्वे रिपोेर्ट से हकीकत सामने आएगी.

शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी ने बनवाई थी जामा मस्जिद:वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मुगल शहंशाह शाहजहां की 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श,. सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. एक बच्चा और 1 बच्चे पैदा होते ही मर गए थे. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफे की रकम पांच लाख रुपये से सन् 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.

औरंगजेब लाया था मथुरा से विग्रह और पुरावशेष:वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था. वो केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था. उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था.

यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में, प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक 'मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है.

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Last Updated : Aug 1, 2024, 12:08 PM IST

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