आगरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद केस की सुनवाई दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में मंगलवार को हुई. इस दौरान मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने स्थगन (स्टे) प्रार्थना पत्र न्यायलय में पेश किया. सुनवाई में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा. इसके बाद न्यायाधीश ने इस मामले में सुनवाई की तारीख 30 सितंबर नियत की है. वर्तमान में श्रीकृष्ण विग्रह के दो केस माननीय न्यायाधीश मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में विचाराधीन चल रहे हैं.
बता दें कि न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) के यहां आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला विचाराधीन है. जिसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट और प्रतिवादी इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत अन्य हैं. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने कोर्ट में जामा मस्जिद के जीपीएस सर्वे कराने की मांग की है. ये सर्वे एएसआई के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से कराने की है. जबकि, प्रतिवादी इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जामा मस्जिद की सुनवाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार से बाहर बताने वाली के याचिका खारिज हो चुकी है.
अभी जीपीआर सर्वे का प्राथना पत्र विचाराधीन
श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला का कहना है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का जीपीआर GPR सर्वे कराने का प्रार्थना पत्र अभी विचाराधीन है. जिससे ही जामा मस्जिद का सच सबके सामने आएगा. एएसआई के जीपीआर सर्वे रिपोर्ट से पूरा विवाद खत्म किया जा सकता है. वहीं, प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई ने कोर्ट में अपना ऑब्जेक्शन दाखिल किया है.
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का ये दावाःमशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि मुग़ल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए थे. कोर्ट से मांग है कि पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराए. इसके बाद जमा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे कराया जाए. जिससे भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकाला जा सके.
जहांआरा ने बनवाई थी जामा मस्जिदःवरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि मुगल शहंशाह शाहजहां की 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श,. सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. एक बच्चा और 1 बच्चा पैदा होते ही मर गए थे. मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफे की पांच लाख रुपये की रकम से सन 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.
औरंगजेब लाया था मथुरा से विग्रह और पुरावशेषःवरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था. वो केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था. उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी', प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब', पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही जामा मस्जिद विवाद; मुस्लिम पक्ष ने स्टे के लिए दिया एप्लीकेशन - AGRA JAMA MASJID CASE
आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने के मामले की सुनवाई आगरा कोर्ट में चल रही है. कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के बाद अगली तिथि तय कर दी है.
आगरा जामा मस्जिद (Etv Bharat)
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Sep 17, 2024, 7:04 PM IST
|Updated : Sep 17, 2024, 7:22 PM IST
Last Updated : Sep 17, 2024, 7:22 PM IST