रांची:झारखंड पुलिस ने अब केंद्रीय बलों के साथ मिलकर नक्सलियों के बड़े कमांडरों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है. अभियान का एकमात्र उद्देश्य करीब एक दर्जन इनामी नक्सलियों का खात्मा करना है, इसके लिए अब टारगेट बेस्ड नक्सल अभियान शुरू किया गया है. सटीक सूचना और बेहतर रणनीति के आधार पर अभियान चलाने पर जोर दिया जा रहा है और पूरा फोकस कोल्हान के सारंडा पर रखा गया है.
सारंडा में बड़े नक्सली नेता मौजूद
फिलहाल भाकपा माओवादियों का सबसे मजबूत ग्रुप सारंडा में कैंप कर रहा है. माओवादी केंद्रीय कमेटी सदस्य और एक करोड़ का इनामी अनल दा, 25-25 लाख के इनामी सैक सदस्य अनमोल, अजय महतो, चमन उर्फ लंबू के अलावा 15 लाख का इनामी रीजनल कमांडर अमित मुंडा भी सारंडा में मौजूद है.
झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर के मुताबिक अब सारंडा में बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाया जा रहा है, नक्सली कमांडर चाहे वो एक करोड़ का इनामी हो या 25 लाख का, मैन टू मैन टारगेट किया जा रहा है. हर बड़े नक्सली लीडर की गिरफ्तारी या एनकाउंटर के लिए स्मॉल एक्शन टीम को लगाया गया है. इसी रणनीति के तहत झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों ने 17 जून 2024 को सारंडा में मुठभेड़ में 10 लाख के इनामी सिंहराई उर्फ मनोज, खतरनाक कांडे होनहागा समेत पांच नक्सलियों को मार गिराया, वहीं दो जिंदा भी दबोचे गए.
वर्तमान में नक्सलियों की स्थिति
झारखंड के सारंडा में इस समय 80 से 90 नक्सली मौजूद हैं. लेकिन इन सभी की सुरक्षा बलों ने घेराबंदी कर रखी है, इसलिए ये चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. जंगल से बाहर निकलते ही या तो पकड़े जा रहे हैं या फिर मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं. इस समय कोल्हान के अलावा दूसरे जिलों में भी नक्सली मौजूद हैं, लेकिन वहां इनकी संख्या काफी कम हो गई है. कोल्हान के अलावा चतरा, पलामू, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, बोकारो और गिरिडीह में इनामी नक्सली सक्रिय हैं.
नेस्तनाबूद हो चुका है भाकपा माओवादियों का शीर्ष नेतृत्व
झारखंड में भाकपा माओवादियों के नेतृत्व को लगातार बड़ा झटका लग रहा है. भाकपा माओवादियों के सेकेंड इन कमांड प्रशांत बोस उर्फ किशन दा और माओवादियों के थिंक टैंक माने जाने वाले कंचन दा उर्फ कबीर समेत एक दर्जन बड़े नक्सली नेताओं की गिरफ्तारी और एक दर्जन बड़े नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने भाकपा माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट पैदा कर दिया है. स्थिति ऐसी है कि जब भी संगठन खुद को मजबूत करने की कोशिश करता है, पुलिस उन पर हमला कर देती है. पिछले साल चतरा में मुठभेड़ में एक साथ पांच इनामी नक्सलियों (कुल 65 करोड़ रुपये का इनाम) के मारे जाने के बाद संगठन पूरी तरह से टूट चुका है.
दरअसल, झारखंड पुलिस माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को टारगेट कर अभियान चला रही है. महज ढाई साल में झारखंड पुलिस द्वारा बेहतर रणनीति के आधार पर चलाए गए अभियान की वजह से भाकपा माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को लगातार झटके लग रहे हैं. पुलिस के आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि झारखंड में पिछले ढाई साल में जब भी किसी बड़े नक्सल कमांडर ने सक्रियता दिखाई, उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़े.
कब-कब पकड़े गए बड़े नक्सली
झारखंड पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 से मई 2024 तक कुल 1390 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया. इनमें कई बड़े नाम शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी संगठन के लिए बड़ा झटका है. बड़े नक्सलियों को निशाना बनाने का अभियान 2020 में शुरू हुआ. इस दौरान कई बड़े और इनामी गिरफ्तार हुए. दूसरी ओर बूढ़ापहाड़, बुलबुल को माओवादियों से छीनने के बाद पुलिस और केंद्रीय बलों ने चाईबासा, सरायकेला और खूंटी के ट्राई जंक्शन पर एक करोड़ के इनामी माओवादी पतिराम मांझी के दस्ते को खदेड़ने में सफलता हासिल की.
प्रमुख नाम जो गिरफ्तार हुए