नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार यानी आज अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन और असंवैधानिक माना है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि सरकार को इसे रद्द करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उसने केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति देती है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि दो अलग-अलग फैसले हैं - एक उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं और चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी आवश्यक है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बांड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों की ओर से दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्य से हैं. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि कंपनियों की ओर से असीमित राजनीतिक योगदान की अनुमति देने वाले कंपनी अधिनियम में संशोधन मनमाने और असंवैधानिक हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बैंक तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एसबीआई राजनीतिक दलों की ओर से भुनाए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एसबीआई भारत के चुनाव आयोग को विवरण प्रस्तुत करेगा और ईसीआई इन विवरणों को वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा. इससे पहले प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल दो नवंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.