नई दिल्ली : ईवीएम के जरिए डाले गए मतों का सौ फीसदी वीवीपैट से मिलान की मांग खारिज हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अगर कोई उम्मीदवार परिणाम को चुनौती देना चाहता है, तो वह सात दिनों के अंदर ऐसा कर सकते हैं, लेकिन इसका खर्च उन्हें खुद वहन करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट से चुनाव कराए जाने की मांग भी खारिज कर दी है.
किस बेंच ने की सुनवाई - सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने की.
क्या थी याचिका - ईवीएम के माध्यम से डाले गए वोटों का मिलान वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) से हो. इसे शत-प्रतिशत सुनिश्चित किया जाए. मार्च 2023 में एडीआर ने दायर की थी याचिका.
कोर्ट का फैसला-
- -ईवीएम और वीवीपैट का शत प्रतिशत मिलान नहीं होगा
- -बैलेट से मतदान नहीं होगा.
- -वीवीपैट की पर्चियां 45 दिनों तक सुरक्षित रहेंगी.
- -चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सील किया जाएगा.
- -सात दिनों के अंदर उम्मीदवार चुनौती दे सकते हैं. वे माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कर सकते हैं.
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी भी व्यवस्था पर अविश्वास करना ठीक नहीं होता है. लोकतंत्र का मतलब विश्वास और सौहार्द बनाए रखना होता है.
फैसले पर क्या कहा प्रशांत भूषण ने -
कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछे थे ये सवाल -
- क्या वीवीपैट में माइक्रो कंट्रोलर इंस्टॉल्ड है.
- क्या माइक्रो कंट्रोलर एक ही बार प्रोग्राम करने योग्य है.
- ईवीएम में सिंबल लोडिंग यूनिट्स कितने उपलब्ध हैं.
- ईवीएम में डेटा कितने दिनों तक सुरक्षित किया जा सकता है.
अभी किस तरह से सत्यापन होता है - एक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हरेक विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केंद्रों में वीवीपैट का मिलान ईवीएम वोटों से किया जाता है. इन केंद्रों का चयन रैंडमली किया जाता है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी- चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. कोर्ट के लिए यह सही नहीं होगा कि वह किसी अन्य संवैधानिक संस्था के कामकाज को नियंत्रित करे. हालांकि, इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से कई सवालों के जवाब मांगे, और आयोग ने हमें इन सवालों के जवाब भी दिए, और इसने संदेहों को दूर भी किया. ऐसे में कोर्ट के लिए यह उचित नहीं होगा कि सिर्फ शंका के आधार पर हम कोई नया आदेश जारी कर दें. हम किसी भी याचिकाकर्ता की विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकते हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने ईवीएम के सोर्स कोड का खुलासा करने की अपील की, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इसका कोई भी दुरुपयोग कर सकता है.
क्या है वीवीपैट- वीवीपैट की डिजाइनिंग भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि. ने तैयार की थी. इसे 2013 में तैयार किया गया था. साल 2013 में ही सबसे पहले वीवीपैट का प्रयोग नागालैंड विधानसभा चुनाव के दौरान किया गया था. 2019 में इसे लोकसभा चुनाव के दौरान किया गया था.
यह किस तरह से काम करता है - जैसे ही मतदाता ईवीएम में अपना मत डालते हैं, वैसे ही उन्हें ईवीएम की स्क्रीन पर लगी वीवीपैट की पर्ची दिखाई देती है, और उस पर्ची पर उन्होंने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, उसकी पुष्टि की जाती है. यह सात सेकेंड तक दिखाई देता है. उसके बाद यह अपने आप ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है.
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