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खनिजों के रॉयल्टी टैक्स पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, राज्यों के पक्ष में सुनाया निर्णय - SC Mineral Tax - SC MINERAL TAX

SC levy tax on mineral bearing lands: सुप्रीम कोर्ट ने खनिज संपदा वाली भूमि पर रॉयल्टी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि राज्यों को खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स लगाने का विधायी अधिकार है. यह मामला 1957 से ही चला आ रहा है.

Royalty is not a tax
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

By Sumit Saxena

Published : Jul 25, 2024, 1:34 PM IST

नई दिल्ली:भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 9 न्यायाधीशों की पीठ ने बृहस्पतिवार को खनिज संपदा वाली भूमि पर रॉयल्टी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. अपने फैसले में अदालत ने कहाकिराज्यों के पास खनिज संपदा वाली भूमि पर टैक्स लगाने का विधायी अधिकार है. इससे फैसले से खनिज समृद्ध राज्यों को लाभ मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने खनिज संपदा वाली भूमि पर कर लगाने के राज्य सरकारों के अधिकार को 8:1 बहुमत से बरकरार रखा. न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने इस पर असहमति जताई. पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि रॉयल्टी कोई कर नहीं है, बल्कि रॉयल्टी एक संविदा संबंधी राशि है, जो खनन पट्टा लेने वाले द्वारा खनिज अधिकारों के उपभोग के लिए संपत्ति के मालिक को दी जाती है.

सीजेआई ने कहा, 'रॉयल्टी का भुगतान करने की जिम्मेदारी खनन पट्टे की संविदा संबंधी शर्तों से उत्पन्न होती है. सरकार को किए गए भुगतान को सिर्फ इसलिए कर नहीं माना जा सकता क्योंकि कानून में उन्हें बकाया के रूप में वसूलने का प्रावधान है.' सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान को लाभ होगा. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्तियां राज्य विधानमंडल में निहित हैं. संसद के पास सूची एक की प्रविष्टि 54 के तहत खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी क्षमता नहीं है.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे. पीठ ने विभिन्न राज्य सरकारों, खनन कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा दायर 86 अपीलों पर आठ दिनों तक सुनवाई करने के बाद 14 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

अब वह फैसला सुनाएगी. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने असहमतिपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा कि रॉयल्टी वसूली के लिए कर के रूप में होती है और प्रविष्टि 49 सूची II का खनिज युक्त भूमि पर कोई लागू नहीं होता. उन्होंने कहा कि इंडिया सीमेंट्स, ओडिशा सीमेंट्स और महानदी कोल में लिया गया फैसला सही है. विस्तृत फैसला बाद में अपलोड किया जाएगा.

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