नई दिल्ली :भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सोमवार को कहा कि कोई भी हड़ताली वकील अदालत कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकता है. साथ ही अधिवक्ताओं को अदालत कक्ष खाली करने के लिए नहीं कह सकता है और न्यायाधीश को न्यायिक कार्य नहीं करने के लिए भी नहीं कह सकता है. कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अदालत हड़ताल को गंभीरता से लेगी. कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर में अधिवक्ताओं के साथ मारपीट को लेकर उक्त बातें कहीं.
बता दें कि पिछले महीने शीर्ष अदालत ने गौतम बौद्ध नगर जिला अदालत में वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया और एक महिला वकील के साथ कथित मारपीट का संज्ञान लिया था. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत ने इस घटना और इस तथ्य पर उदासीन रुख अपनाया है कि जिम्मेदार व्यक्तियों की अब तक पहचान नहीं की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'भले ही उन्होंने (स्थानीय बार नेताओं ने) माफी मांगी हो, हम इस पर कम विचार करेंगे… कोई भी वकील किसी अदालत (न्यायाधीश) और वकीलों को अदालत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है, हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे.'
शीर्ष अदालत ने गौतम बौद्ध नगर जिला न्यायाधीश अमित सक्सेना की एक रिपोर्ट पर ध्यान देने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार से भी जवाब मांगा. इसमें कहा गया था कि रखरखाव के लिए आवश्यक धन की कमी के कारण अदालत परिसर में सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगले सोमवार को तय की है. सुनवाई के दौरान, वकीलों द्वारा सहकर्मियों को अदालतों में प्रवेश करने से रोकने पर सीजेआई ने कहा कि विरोध हड़ताल नहीं है और आप अदालत में प्रवेश नहीं कर सकते हैं और वकीलों से नहीं कह सकते हैं 'चलो निकल जाओ यहां से' (यहां से चले जाओ), हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे.'