नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जेल में बंद उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी को उनके पिता मुख्तार अंसारी की याद में 'फातिहा' में भाग लेने की अनुमति दे दी. समारोह 10 अप्रैल को निर्धारित है. इसके साथ ही, कोर्ट ने अब्बास को 11 और 12 अप्रैल को अपने परिवार से मिलने की इजाजत भी दी है.
उत्तर प्रदेश सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष अंसारी की याचिका का जोरदार विरोध किया. प्रसाद ने कहा कि वह जघन्य अपराधों के लिए सलाखों के पीछे हैं. राज्य सरकार को 10 अप्रैल को होने वाले किसी अनुष्ठान की कोई जानकारी नहीं है. अब्बास का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से आग्रह किया कि उनके मुवक्किल को परिवार साथ शोक में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत और अनुमति दी जाए. उसे कुछ दिनों के लिए उनके साथ रहना होगा और फिर वह वापस जेल चला जाएगा. सिब्बल ने कहा कि उनके पिता का निधन अलग परिस्थितियों में हुआ.
प्रसाद ने अब्बास की अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि कल या अगले 4-5 दिनों तक कोई समारोह नहीं है. उन्होंने कहा कि उसे चित्रकोट जेल से कासगंज जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था, क्योंकि उसने चित्रकोट में एक गिरोह बनाया था. वह जेल के भीतर से गिरोह का नेतृत्व कर रहा था. वह एक हिस्ट्रीशीटर है. उसे कोई राहत देने का कोई आधार नहीं है. परिवार के सदस्यों को पोस्टमार्टम में शामिल होने की अनुमति थी, राज्य ने हस्तक्षेप नहीं किया.
सिब्बल ने दबाव डाला कि उनके मुवक्किल को 'फातिहा' में शामिल होने और परिवार के साथ कुछ दिन बिताने की अनुमति दी जानी चाहिए. न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने प्रसाद से कहा, 'आपका कुछ सुरक्षा उपायों की मांग करना उचित हो सकता है. ये राज्य के लिए अवसर हैं, आप जानते हैं, राज्य को आगे आना चाहिए. राज्य यह सुनिश्चित कर सकता है कि प्रतिबंध लगाए जाएं, न कि यह कहें कि वह इसका हकदार नहीं है'.