देहरादून (उत्तराखंंड):हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष के सोलह दिनों तक लोग अपने पितरों को याद करते हैं. इस दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं, लेकिन लोग सनातन हिंदू धर्म के कितने मुरीद हैं, इसका अंदाजा विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम पहुंचे विदेशियों से लगाया जा सकता है. ये विदेशी सात समंदर पार से आकर अपने पितरों को याद करने के लिए बदरीनाथ में स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ पहुंचे. जहां पर वे पूरी रीति रिवाज से अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करते दिखाई दिए.
रूस से पहुंचे बदरीनाथ: भारत के बिहार के गया जी, हरिद्वार की नारायणी शिला और बदरीनाथ के ब्रह्मकपाल तीर्थ में इन दिनों श्राद्ध करने वालों की भीड़ लगी हुई है. श्राद्ध पक्ष के चलते भारत ही नहीं विदेशों से भी सनातन संस्कृति को समझने वाले लोग बदरीनाथ धाम पहुंच कर अलकनंदा नदी के पावन तट पर स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान करने पहुंच रहे हैं. इसी कड़ी में 16 सदस्यीय रशियन तीर्थ यात्रियों का दल बदरीनाथ के ब्रह्मकपाल तीर्थ पहुंचा. जहां उन्होंने पारंपरिक तरीके से पुरोहित और ब्राह्मणों की मौजूदगी में अपने पितरों के निमित्त पिंडदान किया.
भारतीय संस्कृति के प्रति बढ़ रही विदेशियों की उत्सुकता:हमेशा से ही विदेशी पर्यटकों में भारतीय संस्कृति, हिंदू धर्म, मंदिर, सनातन धार्मिक मान्यता को जानने में बेहद रुचि रही है, लेकिन अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध पक्ष में पिंडदान और तर्पण करना अद्भुत है. रशियन यात्रियों के समूह के पूजा, पिंडदान अन्य कर्मकांड करवाने वाले ब्रह्मकपाल तीर्थ के वरिष्ठ पुरोहित ऋषि प्रसाद सती ने बताया कि मोक्ष धाम में आजकल श्राद्ध पक्ष के चलते भारतीय श्रद्धालु पिंडदान करने पहुंच रहे हैं. अच्छी बात है कि अब विदेशी लोगों का भी सनातन संस्कृति और धर्म के प्रति झुकाव देखने को मिल रहा है.
उन्होंने बताया कि 23 सितंबर को ब्रह्मकपाल तीर्थ में उनके पास रूस के 16 यात्रियों का एक समूह आया था. ये लोग अपने पुरखों और पितरों के लिए सनातन संस्कृति परंपरा के तहत श्राद्ध पक्ष में पिंडदान करना चाहते थे. लिहाजा, तीर्थ पुरोहित होने के नाते उन्होंने अपने विदेशी यजमानों के लिए पूरी तत्परता के साथ सामूहिक रूप से पिंडदान पूजन कार्य संपन्न करवाए. इस दौरान बदरीनाथ की खूबसूरत आबोहवा और धार्मिक मान्यता को देखकर सभी विदेशी मेहमान खुश नजर आए.