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जिंदगी की जंग हार गया मासूम मयंक, 46 घंटे से बोरवेल में 60 फीट नीचे फंसा था - rewa borewell accident

रीवा जिले के मनिका गांव में शुक्रवार दोपहर बोरवेल में गिरे मासूम मयंक आदिवासी को कई घंटों के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी नहीं बचाया जा सका. शुक्रवार दोपहर 6 वर्षीय मयंक आदिवासी अपने दोस्तों के साथ खेत में खेलने गया था. उसी दौरान वह एक बोरवेल में गिर गया था.

rewa borewell accident
जिंदगी से जंग हार गया मासूम मयंक

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 14, 2024, 2:10 PM IST

Updated : Apr 14, 2024, 2:19 PM IST

रीवा.मध्यप्रदेश के रीवा जिले के त्योंथर में पिछ्ले 46 घंटे से 60 फीट गहरे बोरवेल के अन्दर फंसा मासूम मयंक जिंदगी की जंग हार गया. रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही टीमें लागातार कई घंटों से खुदाई कर उसतक पहुंचने की कोशिश कर रही थीं. रविवार दोपहर 12 बजे रस्क्यू टीमें 6 साल के मासूम तक पहुंच गईं लेकिन उसकी सांसें थम चुकी थीं. रेस्क्यू टीम ने जैसे ही मयंक को खोदे गए टनल से बाहर निकाला, घटना स्थल पर मौजूद हजारों लोगों की आंखें नम हो गईं.

शुक्रवार की दोपहर खुले बोरवेल में गिरा था मयंक

घटना त्योंथर विधानसभा क्षेत्र के मनिका गांव की है. बीते शुक्रवार दोपहर तकरीबन 3 बजे 6 वर्षीय मयंक आदिवासी अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिऐ घर से कुछ दूरी पर गेहूं के खेत में गया था. इसी दौरान वह खेत में गेहूं बीनने लगा. तभी खेत में खुले पड़े 60 फीट गहरे बोरवेल में मयंक जा गिरा. घटना के बाद उसके साथ खेल रहे दोस्तों ने उसे बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन वह असफल रहे. मयंक के दोस्तों ने तत्काल घटना की सूचना उसके परिजनों को दी.

जिंदगी से जंग हार गया मासूम मयंक, 46 घंटे से बोरवेल में फंसे मयंक की मौत

कैमरे से रखी जा रही थी नजर

घटना की सूचना पाकर प्रशासनिक अमले के साथ पुलिस की टीम मौके पर पहुंची. घटनास्थल पर डॉक्टरों की टीम के साथ एम्बुलेंस भी तैनात हुई. स्वास्थ विभाग के टीम ने तत्काल ऑक्सिजन सिलेंडर मंगाया और बोरवेल में उतारा गया. बोरवेल में एक कैमरा भी उतारा गया था, जिससे मयंक की हलचल का पता लगाया जा सके, लेकिन घटना के कई घंटे बीत जाने के बाद भी टीवी स्क्रीन में मयंक की कोई हलचल नहीं दिखाई दे रही थी.

SDERF और NDRF की टीम ने चलाया 46 घंटे का रेस्क्यू ऑपरेशन

मौके पर SDERF और बनारस से आई NDRF की टीमों सहित 10 जेसीबी मशीनों द्वारा खुदाई शुरू की गई. बोरवेल के पास से कुछ ही दूरी पर खुदाई का कार्य शुरु कराया गया. शनिवार को डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल भी घटनास्थल पर पहुंचे थे. उनके द्वारा लगातार रेस्क्यू टीम को निर्देशित किया जा रहा था. घटना को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी घटना को दुखद बताते हुए चिंता जताई. उन्होंने जिला प्रशासन से मयंक को बचाने के लिऐ हर संभव उपाय करके उसे बोरवेल से सुरक्षित बाहर निकालने के निर्देश जारी किए थे और लोगों से अपील की थी कि वह किसी भी हालत में बोरवेल को खुला न छोंड़े.

घटनास्थल पर मौजूद परिजनों का बुरा हाल

मौके पर मौजूद मयंक के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. वह उम्मीद लगाए बैठे थी कि जल्द ही उनके कलेजे का टुकड़ा बोरवेल से बाहर निकलेगा और वह उसे अपने छाती से लगा लेंगे. मगर कुदरत को शायद कुछ और ही मंजूर था. मृत अवस्था में मासूम मयंक का शव रेस्क्यू टीम ने बाहर निकाला है. अब अस्पताल में मयंक का पोस्टमार्टम कराया जाएगा.

हादसे के बाद से खेत का मालिक गायब

जानकारी के मुताबिक, जिस खेत में खुला हुआ बोरवेल छोड़ा गया था. हादसे के बाद खेत का मालिक अब गायब है. मीडिया से बात करते हुए मयंक के पिता विजय कुमार आदिवासी ने आरोप लगाया था कि वह खेत हीरामणि मिश्रा का है. घटना के बाद खेत के मलिक को सूचना दी गई थी, जिसके बाद वह मौके पर आए थे. उन्होंने बोरवेल में रस्सी डालकर मयंक को बाहर निकालने का प्रयास किया लेकिन कुछ देर बाद वह वहां से चले गए. उन्हें फोन लगाया गया लेकिन फोन बंद था.

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Last Updated : Apr 14, 2024, 2:19 PM IST

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