रांची:राजधानी रांची के बाल सुधार गृह में एक नई बयार बह रही है, अपराध की पौध को पेड़ बनने से पहले ही उस पर पूर्ण विराम लगाने की तैयारी चल रही है और यह सब कर रहे है एक कर्नल. हम बात कर रहे हैं सेना से रिटायर्ड कर्नल जेके सिंह की, कर्नल जेके सिंह बाल कैदियों के उत्थान के लिए पहले भी कई तरह के काम करते आए हैं, लेकिन अब कर्नल बाल कैदियों को 55 गुणों में माहिर कर रहे हैं. ताकि जब वे बाल सुधार गृह से निकले तो वे रोजगार के लिए तैयार हो कर निकले.
कर्नल की देखरेख में शुरू हुई ट्रेनिंग
कर्नल जीवन कुमार सिंह यानी जेके सिंह की, कश्मीर में आतंकियों और झारखंड में नक्सलियों से लोहा लेने वाले कर्नल जेके सिंह झारखंड के बाल सुधार गृह में बंद बाल कैदियों को रोजगार से जोड़ने की जुगत में लगे हुए हैं. मकसद साफ है की जब बाल कैदी सुधार गृह से बाहर निकले तो वो वापस अपराध के रास्ते पर न जाकर उन्होंने जो हुनर सीखा है उससे अपना जीवन आगे चलाएं. झारखंड के 12 बाल सुधार गृहों में से 6 की जिम्मेदारी कर्नल जेके सिंह के कंधों पर है. अपनी उस जिम्मेदारी को कर्नल बेहद संजीदगी से निभा रहे हैं.
रोजगार के गुर सीख रहे बाल कैदी
कर्नल जेके सिंह के देखरेख में बाल सुधार गृह के बाल बंदियों को कौशल विकास के तहत हुनरमंद बनाया जा रहा है. रांची के डूमरदग्गा स्थित बाल सुधार गृह में फिलहाल 70 से ज्यादा नबालिग हैं, जिनमे से कोई साइकल बनाना सीख रहा है, तो कोई मोमबत्ती, तो कोई कुछ और लेकिन हर बाल कैदी कुछ न कुछ जरूर सीख रहा है. कर्नल जेके सिंह ने बताया कि झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता की पहल पर बाल सुधार गृह के बच्चों को कौशल विकास से जुड़े योजनाओं के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमे बच्चे बाइक रिपेरिंग, साइकिल रिपयरिंग, मोमबत्ती निर्माण, प्रिंटिंग प्रेस की ट्रेनिंग, कुकिंग, खेती जैसे विभिन्न कार्यों को सीख रहे हैं.
55 तरह की ट्रेनिंग
कर्नल ने बताया कि बाल सुधार गृह में 55 तरह के रोजगार करने के तरीके सिखाये जा रहे हैं. जिनमे वेल्डिंग का काम, गाय बकरी घरेलू पशुपालन का कोर्स, धोबी का काम, कुकिंग कोर्स, कम्पाउंडर का काम, दर्जी का काम, मिट्टी के बर्तन बनाना, केसर और मशरूम की खेती, पान बनाने की विधि, इलेक्ट्रानिक समानों की रिपयरिंग, सब्जी का व्यापार करना, कम्प्यूटर और टाइपिंग, इन्सुरेंस एजेंट, लोहार का काम, बड़े छोटे वाहनों का पंक्चर बनाना, एम्बुलेंस असिस्टेंट, कुरियर एजेंट, साइकिल मैकेनिक, बाइक रिपयरिंग, चाय बिस्कुट, चाउमिन और मोमोज का कारोबार, योग टीचर, संगीत और डांस, अचार और पापड़ बनाना, घरों और बिल्डिंग में पेंट का काम और बढ़ई का काम शामिल है.
आर्मी वाले दे रहे ट्रेनिंग
कर्नल सिंह ने बताया कि बच्चों को आर्मी में काम कर चुके बेहतरीन तकनीकी विशेषज्ञ ट्रेंड कर रहे हैं. ट्रेनिंग में झारखंड के सैफ बटालियन का प्रमुख योगदान है.
एक ही मकसद, अपराध की तरफ दोबारा न मुड़ें