पटना : बिहार में होने वाले चौथे चरण के चुनाव पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. मोदी कैबिनेट के दो कद्दावर मंत्री चुनाव के मैदान में हैं, तो नीतीश कैबिनेट के दो मंत्रियों की अग्नि परीक्षा होनी है. दोनों मंत्रियों ने अपने बेटे-बेटी को चुनाव के मैदान में उतारा है. बिहार में चौथे चरण के चुनाव में पांच लोकसभा क्षेत्र में वोटिंग होनी है.
चौथे चरण का रण: चौथे चरण में उजियारपुर, बेगूसराय, समस्तीपुर, मुंगेर और दरभंगा लोकसभा सीट पर वोट डाले जाएंगे. कुल मिलाकर 56 उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं. चौथे चरण में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, ललन सिंह, शांभवी और गोपाल जी ठाकुर के भाग्य का फैसला होना है, तो महागठबंधन उम्मीदवार पूर्व मंत्री ललित यादव, पूर्व मंत्री आलोक मेहता, सन्नी हजारी, अनीता देवी और अवधेश राय दो दो हाथ करते दिखेंगे.
बेगूसराय बेगूसराय लोकसभा सीट : नरेंद्र मोदी के हनुमान और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह दूसरी बार बेगूसराय से चुनावी मैदान में हैं. यहां गिरिराज सिंह का मुकाबला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अवधेश राय से है. बेगूसराय लोकसभा सीट पर कुल मिलाकर 10 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. 2019 के चुनाव में बेगूसराय सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से कन्हैया कुमार और राष्ट्रीय जनता दल की ओर से तनवीर अख्तर मैदान में थे. भाजपा के गिरिराज सिंह 4 लाख 22 हजार से अधिक मतों से चुनाव जीते थे. आपको बता दें कि बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीट है. बछवारा और बेगूसराय विधानसभा सीट जहां भाजपा के पास है, वहीं मटिहानी विधानसभा सीट जदयू के पास है. तेघरा और बखरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास है. तो साहिबपुर कमाल और चेरिया बरियारपुर राष्ट्रीय जनता दल के पास है.
गिरिराज ने बड़े अंतर से कन्हैया को हराया : बेगूसराय लोकसभा सीटकभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन पिछले कई चुनाव से कांग्रेस अपनी दमदार उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाई है. पिछले तीन चुनावों पर नजर डालें तो 2009 में NDA के बैनर तले जेडीयू के मोनाजिर हसन ने सीपीआई के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को हराकर जीत हासिल की. 2014 में जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और इस बार बेगूसराय सीट पर कमल खिला. बीजेपी के उम्मीदवार भोला प्रसाद सिंह ने आरजेडी के तनवीर हसन को मात दी. 2019 में बीजेपी ने सफलता की कहानी फिर दोहराई, हालांकि इस बार चेहरे बदले हुए थे. 2019 में बीजेपी के गिरिराज सिंह ने सीपीआई के कन्हैया कुमार को बड़े अंतर से मात दे दी.
बेगूसराय का समीकरण : बेगूसराय में मतदाताओं की कुल संख्या करीब 21 लाख 41हजार 827 है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 28 हजार 863 और महिला मतदताओं की संख्या 10 लाख 12 हजार 896 है. बात जातीय समीकरण की करें तो अनुमानित आंकड़ों के हिसाब से यहां सबसे ज्यादा 4 लाख 75 हजार भूमिहार मतदाता हैं. वहीं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब ढाई लाख, कुर्मी-कुशवाहा की संख्या करीब 2 लाख और यादव मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख के आसपास है. कुल मिलाकर इस लोकसभा सीट की राजनीति भूमिहार जाति के इर्द-गिर्द ही घूमती है. यही कारण है कि 2009 में जेडीयू के मोनाजिर हसन को छोड़कर अभी तक सभी सांसद भूमिहार जाति से ही हुए हैं.
उजियारपुर लोकसभा सीट :इस हाई प्रोफाइल सीट पर कुल मिलाकर तेरह उम्मीदवार मैदान में है. उजियारपुर लोकसभा सीट पर गृह मंत्री अमित शाह के हनुमान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मैदान में हैं. उनका मुकाबला राजद नेता और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री आलोक मेहता से है. आलोक मेहता का नाम तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं में शुमार हैं. उजियारपुर लोकसभा सीट से एक बार सांसद भी रह चुके हैं.
उजियारपुर लोकसभा का इतिहास : 2019 के लोकसभा चुनाव में उजियारपुर सीट महागठबंधन के पास थी और उपेंद्र कुशवाहा उम्मीदवार थे. नित्यानंद राय ने अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को 277000 वोटों से हराया था. उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट आते हैं. जिसमें कि पातेपुर और मोहिउद्दीन नगर पर भाजपा का कब्जा है तो उजियारपुर और मोरवा पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. सराय रंजन सीट जदयू के पास है तो विभूतिपुर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास है.
जीत का समीकरण : उजियारपुर लोकसभा सीट परिसीमन आयोग के सिफारिश के आधार पर 2008 में अस्तित्व में आया. 2009 के चुनाव में जदयू उम्मीदवार अश्वमेघ देवी ने राष्ट्रीय जनता दल के आलोक मेहता को शिकस्त दी थी. परिसीमन से पहले 2004 में आलोक मेहता राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर समस्तीपुर से सांसद बने थे. लेकिन परिसीमन के बाद राष्ट्रीय जनता दल एक बार भी उजियारपुर सीट नहीं जीत पाई.
उजियारपुर का जातिगत समीकरण : उजियारपुर लोकसभा सीट पर सबसे अधिक आबादी यादव समुदाय के वोटर की है. इनकी संख्या लगभग 15.29% है, जबकि मुस्लिम वोटर 9.26% हैं. सवर्ण वोटर की अगर बात कर लें तो इनकी आबादी भी अच्छी खासी है. ब्राह्मण 6.78 प्रतिशत, राजपूत 4.41% और भूमिहार 3.06% हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में कोईरी की आबादी 8.09 प्रतिशत है और कुर्मी 4.46% हैं. मल्लाह मतदाताओं की संख्या भी 4.46 के आसपास है. पासवान मतदाता यहां पर 9.05% हैं. रविदास समुदाय की आबादी भी 5.78 प्रतिशत के इर्द गिर्द है. बनिया 2.28% और मुसहर जाति की आबादी 2.01% के आसपास है.
समस्तीपुर लोकसभा सीट:यह लोकसभा क्षेत्र भी बेहद दिलचस्प है. बिहार सरकार के दो मंत्री की साख यहां दाव पर है. बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने जहां अपनी बेटी शांभवी चौधरी को लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर मैदान में उतारा है, तो वहीं दूसरी तरफ बिहार सरकार के एक और मंत्री महेश्वर हजारी ने अपने पुत्र सन्नी हजारी को महागठबंधन की ओर से मैदान में उतारा है. दोनों नेताओं ने अपने पुत्र और पुत्री को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है.
समस्तीपुर लोकसभा का इतिहास: आपको बता दें कि 2009 में परिसीमन के बाद समस्तीपुर लोकसभा सीट को सुरक्षित सीट घोषित कर दिया गया. 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू के महेश्वर हजारी यहां से चुनाव जीते और 2014 के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के रामचंद्र पासवान चुनाव जीते. 2019 के चुनाव में भी रामचंद्र पासवान को जीत हासिल हुई. रामचंद्र पासवान के निधन के बाद उपचुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के प्रिंस राज चुनाव जीते थे.