बिलासपुर : राम नाम सत्य है..ये लाइनें अक्सर आपने अर्थी यात्रा के दौरान लोगों के मुंह से सुनी होगी.हिंदू धर्म में माना जाता है कि राम का नाम लेने मात्र से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती है. जिन्हें कहीं शरण नहीं मिलता उन्हे प्रभु श्रीराम के चरणों में जगह मिलती है. भगवान राम की भक्ति में डूबे भक्त अपने घरों, मंदिर और पूजा स्थलों में अखंड रामायण का पाठ करवाते हैं. जिन्हें सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं.आज हम आपको ऐसे ही रामायण पाठ के बारे में बताने जा रहे हैं.लेकिन ये पाठ किसी मंदिर या सार्वजनिक स्थल में नहीं बल्कि श्मशान में कराया जाता है.जहां इंसानों के साथ मुर्दे भी रामायण पाठ का श्रवण करते हैं.
कहां मुर्दे सुनते हैं रामायण का पाठ ? : बिलासपुर से कुछ दूरी पर स्थित है चकरभाठा.जहां हाईकोर्ट के पीछे नगर पंचायत बोदरी का वार्ड क्रमांड 4 आता है.इस क्षेत्र को लोग नयापारा के नाम से जानते हैं. नयापारा इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि मनुष्य की अंतिम यात्रा यहां बने श्मशान घाट में आकर समाप्त हो जाती है. पहली नजर में यहां के श्मशान घाट को देखने पर आपको लगेगा कि किसी बड़े पार्क में घूमने आए हो.लेकिन ये श्मशान घाट है जहां मुर्दों को अंतिम विदाई दी जाती है.
मुर्दों के लिए रामायण पाठ : इस श्मशान घाट में पिछले दो साल से अनोखा आयोजन हो रहा है.यहां के नगर पंचायत अध्यक्ष और आम जनता के सहयोग से श्मशान घाट में ही रामायण पाठ का आयोजन कराया जा रहा है. जिसमें रामायण पाठ करने वाली मंडली आती है.शाम छह बजे से लेकर अगले दिन सुबह 6 बजे तक श्मशान घाट में रामायण का पाठ होता है.जिसे सुनने के लिए आसपास के लोगों के साथ बच्चे और बूढ़े भी बेहिचक श्मशान घाट में चले आते हैं.श्मशान घाट को लेकर ना तो किसी के मन में कोई सवाल उठता है और ना ही किसी तरह का डर. मन में सिर्फ एक ही इच्छा रहती है कि राम नाम का जाप करने सौभाग्य जल्द से जल्द मिले.