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राजीव-सोनिया के बाद राहुल नेहरू-गांधी परिवार के तीसरे नेता प्रतिपक्ष, जानिए कितनी सैलरी पाएंगे? - Opposition Leader Rahul Gandhi

उत्तर प्रदेश के रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के साथ ही एक और रिकॉर्ड बना दिया है. आइए जानते हैं कि इसके पहले राहुल गांधी के परिवार में यह जिम्मेदारी और किसने निभाई थी? इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष के बारे में सब कुछ...

एक दशक बाद लोकसभा नेता प्रतिपक्ष बने राहुल गांधी.
एक दशक बाद लोकसभा नेता प्रतिपक्ष बने राहुल गांधी. (Etv Bharat Gfx)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 26, 2024, 6:30 AM IST

Updated : Jun 26, 2024, 2:51 PM IST

लखनऊः एक दशक बाद लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चुन लिए गए हैं. मंगलवार को देर शाम हुई इंडिया गंठबंधन की बैठक में राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने का फैसला लिया गया. इस तरह राहुल गांधी ने इस बार एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. नेहरू-गांधी परिवार से नेता प्रतिपक्ष बनने वाले राहुल गांधी तीसरे सदस्य हो गए हैं. राहुल गांधी भी अपनी मां की तरह रायबरेली के सांसद रहते हुए यह जिम्मेदारी उठाएंगे. राहुल के पिता राजीव गांधी नेहरू-गांधी परिवार से पहले नेता प्रतिपक्ष बने थे. खास बात यह है कि माता-पिता और पुत्र तीनों ही यूपी से सांसद रहते हुए नेता प्रतिपक्ष चुने गए हैं.

माता-पिता की तरह राहुल गांधी भी बने नेता प्रतिपक्ष. (Etv Bharat Gfx)

पिछले दो कार्यकाल में कोई भी औपचारिक नेता प्रतिपक्ष नहीं था
गौरतलब है कि 2014 और 2019 में कांग्रेस की स्थिति ऐसी नहीं थी कि नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सके. फिर भी अनौपचारिक रूप से 2014 में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खरगे और 2019 में अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन चुनाव 2024 में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है. इस बार राहुल गांधी की मेहनत रंग लाई और इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें जीतने में सफल रही. जबकि 136,759,064 वोट पाकर कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली है. ऐसे में नई सरकार के गठन होने के बाद से ही राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने चर्चा शुरू हो गई थी. गौरतलब है कि सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट राहुल गांधी को इस बार सौंपी थी. राहुल गांधी ने मां की विरासत को आगे बढ़ाते हुए इस सीट से जीत दर्ज करते हुए 25 साल बाद नेता प्रतिपक्ष बने हैं.

राजीव गांधी ने एक साल तक निभाई थी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका. (Etv Bharat Gfx)

गांधी परिवार से राजीव गांधी पहले नेता प्रतिपक्ष थे
गौरतलब है कि नई दिल्ली में 31 अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस 414 सीटें जीतकर राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन बोफोर्स घोटाला, भोपाल त्रासदी, शाहबानो मामले के बाद मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप के चलते 1989 में हुए चुनाव में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला. हालांकि कांग्रेस (इंदिरा) ने सबसे अधिक 197 सीटें मिलीं थीं. वहीं, राष्ट्रीय मोर्चा का नेतृत्व करने वाली दूसरी सबसे बड़ी पार्टी जनता दल बन कर उभरी. तब वीपी सिंह को भारत के प्रधानमंत्री बने थे. वहीं, राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी नेता प्रतिपक्ष चुने गए थे. राजीव गांधी अपने परिवार के पहले नेता प्रतिपक्ष बने थे. इस चुनाव में राजीव गांधी अमेठी से सांसद चुने गए थे. उन्होंने जनता दल के राजमोहन गांधी को 2 लाख अधिक वोटों से हराया था.

1999 से 2004 तक नेता प्रतिपक्ष थीं सोनिया गांधी. (Etv Bharat Gfx)

अटल की सरकार में सोनिया गांधी थीं नेता प्रतिपक्ष
इसी तरह 1999 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 182 सीटें जीतते हुए सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाई थी. अटल बिहारी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने थे. जबकि सोनिया गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ी कांग्रेस को 114 सीटें ही मिली थीं. इसके बाद नेहरू गांधी परिवार की दूसरी सदस्य नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी बनी थी. सोनिया गांधी भी यूपी के रायबरेली से चुनाव जीतकर नेता प्रतिपक्ष बनीं थीं. सोनिया गांधी ने समाजवादी पार्टी के अशोक कुमार सिंह को लगभग ढाई लाख वोटों से हराया था.

कैसे होता है नेता प्रतिपक्ष का चुनाव?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए किसी दल के पास कम से कम 10% (55 सांसद) होना जरूरी होता है. जो इस बार कांग्रेस के पास है. जबकि 2014 में कांग्रेस के 44 और 2019 में 52 सांसद थे. जिसकी वजह से दोनों बार लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष मजबूत नहीं रहा.

नेता प्रतिपक्ष को इतनी मिलती है सैलरी
नेता प्रतिपक्ष का पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है. नेता प्रतिपक्ष को केंद्रीय मंत्री के बराबर वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएं मिलती हैं. नेता प्रतिपक्ष की 3,30,000 रुपये हर महीने वेतन मिलता है, जो सांसद की सैलरी से अतिरिक्त होता है. इसके साथ ही साथ ही कैबिनेट मंत्री स्तर के आवास, ड्राइवर, कार और स्टाफ की भी सुविधा दी जाती है.

नेता प्रतिपक्ष की शक्तियां
नेता प्रतिपक्ष की संवैधानिक पदों पर होने वाली नियुक्तियों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है. सतर्कता आयुक्त (CVC), सूचना आयुक्त, और लोकपाल, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जैसी केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों की नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष से राय ली जाती है. चयन समितियों में नेता प्रतिपक्ष की उपस्थिति सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करती है.

12वें नेता प्रतिपक्ष बने राहुल गांधी
सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष राम सुभाग सिंह 1969 में चुने गए थे. यशवंत राव चव्हाण 1977 और 1979, सीए.एम. स्टीफन 1978, जगजीन राम 1979, राजीव गांधी 1989, लालकृष्ण आडवाणी 1990-91 और 2004, अटल बिहारी वाजपेयी 1993 और 1996, पीवी नरसिम्हा राव 1996, शरद पवार 1998, सोनिया गांधी 1999, सुष्मा स्वाराज 2009 में नेता प्रतिपक्ष चुनी गईं थीं. जबकि 6 बार कोई भी औपचारिक रूप से नेता प्रतिपक्ष नहीं चुना गया था. वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी की रायबरेली से नवनिर्वाचित सांसद राहुल गांधी लोकसभा के 12वें नेता प्रतिपक्ष बन गए हैं.

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Last Updated : Jun 26, 2024, 2:51 PM IST

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