लखनऊः एक दशक बाद लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चुन लिए गए हैं. मंगलवार को देर शाम हुई इंडिया गंठबंधन की बैठक में राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने का फैसला लिया गया. इस तरह राहुल गांधी ने इस बार एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. नेहरू-गांधी परिवार से नेता प्रतिपक्ष बनने वाले राहुल गांधी तीसरे सदस्य हो गए हैं. राहुल गांधी भी अपनी मां की तरह रायबरेली के सांसद रहते हुए यह जिम्मेदारी उठाएंगे. राहुल के पिता राजीव गांधी नेहरू-गांधी परिवार से पहले नेता प्रतिपक्ष बने थे. खास बात यह है कि माता-पिता और पुत्र तीनों ही यूपी से सांसद रहते हुए नेता प्रतिपक्ष चुने गए हैं.
पिछले दो कार्यकाल में कोई भी औपचारिक नेता प्रतिपक्ष नहीं था
गौरतलब है कि 2014 और 2019 में कांग्रेस की स्थिति ऐसी नहीं थी कि नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सके. फिर भी अनौपचारिक रूप से 2014 में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खरगे और 2019 में अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन चुनाव 2024 में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है. इस बार राहुल गांधी की मेहनत रंग लाई और इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें जीतने में सफल रही. जबकि 136,759,064 वोट पाकर कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली है. ऐसे में नई सरकार के गठन होने के बाद से ही राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने चर्चा शुरू हो गई थी. गौरतलब है कि सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट राहुल गांधी को इस बार सौंपी थी. राहुल गांधी ने मां की विरासत को आगे बढ़ाते हुए इस सीट से जीत दर्ज करते हुए 25 साल बाद नेता प्रतिपक्ष बने हैं.
गांधी परिवार से राजीव गांधी पहले नेता प्रतिपक्ष थे
गौरतलब है कि नई दिल्ली में 31 अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस 414 सीटें जीतकर राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन बोफोर्स घोटाला, भोपाल त्रासदी, शाहबानो मामले के बाद मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप के चलते 1989 में हुए चुनाव में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला. हालांकि कांग्रेस (इंदिरा) ने सबसे अधिक 197 सीटें मिलीं थीं. वहीं, राष्ट्रीय मोर्चा का नेतृत्व करने वाली दूसरी सबसे बड़ी पार्टी जनता दल बन कर उभरी. तब वीपी सिंह को भारत के प्रधानमंत्री बने थे. वहीं, राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी नेता प्रतिपक्ष चुने गए थे. राजीव गांधी अपने परिवार के पहले नेता प्रतिपक्ष बने थे. इस चुनाव में राजीव गांधी अमेठी से सांसद चुने गए थे. उन्होंने जनता दल के राजमोहन गांधी को 2 लाख अधिक वोटों से हराया था.
अटल की सरकार में सोनिया गांधी थीं नेता प्रतिपक्ष
इसी तरह 1999 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 182 सीटें जीतते हुए सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाई थी. अटल बिहारी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने थे. जबकि सोनिया गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ी कांग्रेस को 114 सीटें ही मिली थीं. इसके बाद नेहरू गांधी परिवार की दूसरी सदस्य नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी बनी थी. सोनिया गांधी भी यूपी के रायबरेली से चुनाव जीतकर नेता प्रतिपक्ष बनीं थीं. सोनिया गांधी ने समाजवादी पार्टी के अशोक कुमार सिंह को लगभग ढाई लाख वोटों से हराया था.
कैसे होता है नेता प्रतिपक्ष का चुनाव?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए किसी दल के पास कम से कम 10% (55 सांसद) होना जरूरी होता है. जो इस बार कांग्रेस के पास है. जबकि 2014 में कांग्रेस के 44 और 2019 में 52 सांसद थे. जिसकी वजह से दोनों बार लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष मजबूत नहीं रहा.