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कचरा बीनने वाली महिलाओं की बदल गई जिंदगी, जानें हर महीने कितना कमाती हैं - Rag Pickers Turned Entrepreneurs

Rag Pickers Turned Entrepreneurs : कर्नाटक के दावणगेरे में 'ग्रीन दल' नाम के एक संगठन ने लगभग 1000 से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है. इस संगठन की वजह से आज ये महिलाएं 15 से 20 हजार रुपये महीने का कमा रहीं हैं. ये वो महिलाएं हैं, जो कचरा बीनती हैं. पढ़ें पूरी खबर...

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 12, 2024, 1:13 PM IST

Rag Pickers Turned Entrepreneurs
एक संगठन में बदल दी हजारों महिलाओं की किस्मत (ETV Bharat)

दावणगेरे:कर्नाटक के दावणगेरे में स्थित कचरा संग्रहण केन्द्रों ने उन लोगों का जीवन बदल दिया है, जो पहले बदहाली में अपना जीवन यापन करते थे. सड़क पर कचरा बीनने वाली महिलाएं अब उद्यमी बन गई हैं. ये महिलाएं अब हर माह 15 से 20 हजार रुपये कमा रहीं हैं. दावणगेरे नगर निगम के अंतर्गत सूखा कचरा संग्रहण केन्द्रों ने महिलाओं को स्वाभिमानपूर्ण जीवन जीने में मदद की है. 'ग्रीन दल' नामक एक संगठन ने कचरा बीनने वालों की पहचान कर, उन्हें संगठित कर मुख्यधारा में लाने में प्रमुख भूमिका निभाई है.

कचरा बीनने वालों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध ग्रीन दल ने शहर में लगभग 1,053 कचरा बीनने वाली महिलाओं की पहचान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है. बता दें, जिले के अवरागोला गांव स्थित कचरा निपटान इकाई में लगभग 39 महिलाएं कचरा बीनकर अपना जीवन यापन कर रही थीं. हालांकि, उनके लिए कचरा बीनकर जीवन यापन करना असंभव था. वे काम करने के बावजूद भी पाई-पाई के लिए मोहताज थीं. ऐसे मुश्किल वक्त में ग्रीन दल ने उनकी मदद की. उन महिलाओं को इस संगठन ने आत्मनिर्भर बनाया और आज वे अच्छी जिंदगी जी रहीं हैं.

हालांकि, कचरा संग्रहण केन्द्र खोलना और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना इतना भी आसान नहीं था. शहर में केंद्र खोलने के लिए भी संगठन को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. ग्रीन डिवीजन के प्रबंधक गुरुराज ने बताया कि निगम आयुक्त से इन महिलाओं के लिए निगम के अधिकार क्षेत्र में सूखा कचरा एकत्र करने की अनुमति देने की अपील की थी. क्योंकि बिना परमिशन के शहर में केंद्र नहीं खोल सकते थे. निगम आयुक्त ने उनकी इस अपील पर सुनवाई की और उन्हें केंद्र खोलने की अनुमति दे दी.

डंपिंग यार्ड पर हमेशा कचरा ढोने वाली गाड़ियों का इंतजार करने वाले और गाड़ी आते ही कूड़ा उठाने के लिए दौड़ लगाने वालों की जिंदगी अब काफी बदल गई है. निगम आयुक्त ने कूड़ा बीनने वालों को सूखा कचरा अलग करने के लिए हरी झंडी दे दी है. इसके बाद दावणगेरे शहर में टाउनशिप, एमसीसी ए ब्लॉक सुपर मार्केट, विनोबानगर के नरहरि शेट, जिला स्टेडियम परिसर और भागीरथ सर्कल समेत 6 जगहों पर सूखा कचरा संग्रहण केंद्र चिन्हित कर खोले गए हैं. इन केंद्रों के प्रबंधन की जिम्मेदारी कूड़ा बीनने वाली छह महिलाओं को दी गई है. इन महिलाओं को ग्रीन दल संस्था की ओर से कचरा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया गया है.

ग्रीन दल के मैनेजर गुरुराज ने बताया कि कचरा बीनने वालों की पहचान की गई और निगम से बात करके सूखा कचरा संग्रहण इकाई खोली गई तथा महिलाओं को उद्यमी बनाया गया. कुल 6 केंद्र खोले गए तथा 1000 से ज्यादा लोगों को इसमें रोजगार दिया गया है. ये लोग इन केंद्रों में सूखा कचरा एकत्र कर उसकी छंटाई कर उसे मार्केट में बेचकर, इससे आय प्राप्त कर रही हैं. इसके लिए इन्हें पहले ट्रेनिंग दी गई है.

कचरा बीनने वाली महिलाएं उद्यमी बन गई हैं
शहर में अब हर महिला के पास एक सूखा कचरा संग्रहण इकाई है. वे कचरा संग्रहण वाहन (Garbage Collection Vehicle) से अपने वार्ड के घरों में जाती हैं और लोगों द्वारा दिया गया सूखा कचरा एकत्र करती हैं. उसके बाद उसे सूखा कचरा केंद्र पर ले जाकर प्लास्टिक की बोतलें, पैकेट, नारियल के छिलके, दूध के पैकेट और खाली पानी की बोतलों को अलग करती हैं. छांटे गए कचरे को बेचकर वे पैसे कमा रही हैं. वे हर महीने 15-20 हजार रुपये कमाती हैं और आराम से जीवन जी रही हैं.

कूड़ा बीनकर गुजारा करने वाली गीता ने बताया कि कचरा निपटान इकाई में कूड़ा बीनकर गुजारा करना मुश्किल था. ग्रीन दल संस्था ने हमारी काफी मदद की और हमें उद्यमी बनाया. अब हम इस व्यवसाय से 15 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह कमा रहे हैं. हम खुशहाल जीवन जी रहे हैं और अपने बच्चों को पढ़ा भी रहे हैं.

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