चंडीगढ़: करनाल विधानसभा सीट पर उप चुनाव को रद्द करने की याचिका पर आज फैसला आ सकता है. इस मामले में मंगलवार (2 अप्रैल) को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी. हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसले को सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ने हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस हर्ष बांगड की बेंच ने कई घंटे तक चली बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखा.
करनाल उप चुनाव को रद्द करने की याचिका: करनाल निवासी कुनाल की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कानून का हवाला देकर कहा गया है कि आयोग उप चुनाव नहीं करा सकता, क्योंकि हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम है. याचिका में भारतीय चुनाव आयोग को करनाल विधानसभा क्षेत्र के लिए जारी चुनाव कार्यक्रम को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
याचिका में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि महाराष्ट्र के अकोला निर्वाचन क्षेत्र के संबंधित उप चुनाव बारे चुनाव आयोग ने 15 मार्च को चुनाव कार्यक्रम घोषित किया था. चुनाव आयोग के इस फैसले को बाम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. हालांकि, बाम्बे हाई कोर्ट ने चुनाव अधिसूचना को इस आधार पर रद्द कर दिया कि विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में एक साल से भी कम समय बचा है. बाम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के इस आदेश के बाद भारतीय चुनाव आयोग ने 27 मार्च को अकोला निर्वाचन क्षेत्र के संबंधित उपचुनाव को रोक दिया.
याचिका में कहा गया है, चूंकि बाम्बे हाई कोर्ट के फैसले का चुनाव आयोग की तरफ से अनुपालन किया गया है, इसलिए ये स्पष्ट है कि वर्तमान मामले में भी यही रास्ता अपनाने की आवश्यकता थी. क्योंकि करनाल के साथ अकोला पश्चिम (महाराष्ट्र) में उप चुनाव कराने का निर्णय चुनाव आयोग ने एक ही आदेश में लिया था. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट से मांग की गई कि वो चुनाव आयोग को करनाल उप चुनाव को रद करने का आदेश दें.
याचिकाकर्ता के वकील सिमरपाल सिंह ने कहा "हमारे देश में संविधान के तहत समानता का अधिकार मिला है. एक कानून के तहत किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता. महाराष्ट्र में उपचुनाव ना करवाने का फैसला लिया है. महाराष्ट्र में भी विधानसभा का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है. हमारी याचिका है कि चुनाव आयोग को उप चुनाव का आदेश रद्द करना चाहिए. कानून की समानता को देखते हुए उप चुनाव रद्द करना चाहिए. यही दलील हाई कोर्ट के समक्ष रखी थी और फैसला सुरक्षित रखा गया है."