देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किए जाने को लेकर अभी आधिकारिक तिथियों का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड नियमावली को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद संभावना जताई जा रही है कि 26 जनवरी को यूसीसी लागू हो सकता है. यूसीसी नियमावली में तमाम विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिसमें प्रिविलेज वसीयत की व्यवस्था भी शामिल है. 'उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अधिनियम, 2024' वसीयत (Will) और पूरक प्रलेख (Codicil) को बनाने व रद्द करने (टेस्टामेंटरी सक्सेशन) से संबंधित पहलुओं पर विशेष जोर दिया गया है.
क्या है प्रिविलेज वसीयत
प्रिविलेज वसीयत के अनुसार, सक्रिय सेवा या तैनाती पर रहने वाले सैनिक, वायुसैनिक और नौसैनिक वसीयत को बहुत ही सरल और सुलभ नियमों के तहत तैयार कर सकते हैं. यानी सशस्त्र बलों से जुड़े लोग हस्तलिखित, मौखिक रूप से निर्देशित या गवाहों के समक्ष शब्दशः के जरिए वसीयत बना सकते हैं.
यूसीसी नियमावली में इस तरह की व्यवस्था करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि कठिन या उच्च-जोखिम वाली परिस्थितियों में तैनात व्यक्ति भी अपनी संपत्ति- संबंधी इच्छाओं को बेहतर ढंग से दर्ज करा सकें. उदाहरण के लिए अगर कोई सैनिक खुद अपने हाथ से वसीयत लिखता है, तो उसके लिए हस्ताक्षर या साक्ष्य (अटेस्टेशन) की औपचारिकता की जरूरत नहीं होगी.
बशर्ते यह स्पष्ट हो कि वह दस्तावेज उसी की इच्छा से तैयार किया गया है. इसी तरह, अगर कोई सैनिक या वायुसैनिक मौखिक रूप से दो गवाहों के समक्ष वसीयत की घोषणा करता है, तो उसे भी प्रिविलेज वसीयत माना जा सकता है. हालांकि यह एक माह बाद खुद ही अमान्य हो जाएगी. अगर वो व्यक्ति तब भी जीवित है और उसकी विशेष सेवा-स्थितियाँ (सक्रिय सेवा आदि) समाप्त हो चुकी हैं.