पटनाःवैसे तो 2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के लिए प्रसिद्ध है लेकिन 2 अक्टूबर 2024 बिहार की सियासत के लिए एक बेहद ही खास दिन बनने जा रहा है. पिछले दो सालों से पूरे बिहार में जन सुराज यात्रा के जरिये पहचान बनानेवाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर, बुधवार को नयी पार्टी का गठन कर पूरी क्षमता के साथ सियासत के दंगल में उतरने वाले हैं.
1 करोड़ सदस्यों के साथ पार्टी की शुरुआतः दल बनाने से पहले प्रशांत किशोर ने कार्यकर्ताओं की विशाल फौज खड़ी कर ली है और पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित एक मेगा इवेंट में अपनी नयी सियासी पार्टी के नाम और उसकी नीतियों का एलान करेंगे. प्रशांत किशोर का दावा है कि वो अपनी पार्टी के जरिये बिहार की सियासत को नयी दिशा देंगे. जन सुराज के दावों के मुताबिक पार्टी गठन से पहले ही करीब 1 करोड़ लोग इसके सदस्य बन चुके हैं.
गांव की गलियों से सत्ता के गलियारों तकःचुनावी रणनीतिकार के रूप में बड़ी पहचान रखनेवाले प्रशांत किशोर का जन्म 1976 में रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ था. पिता श्रीकांत पांडेय पेशे से सरकारी चिकित्सक थे इसलिए जहां-जहां पिताजी की पोस्टिंग रही, प्रशांत का जीवन में उन गांवों-शहरों में गुजरा. प्राथमिक शिक्षा तो उन्होंने करहगर में पूरी की लेकिन पिताजी की पोस्टिंग बक्सर हुई तो बक्सर आ गये और एमपी हाई स्कूल से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की.
"प्रशांत किशोर का बचपन सासाराम के कोनार गांव में बीता. उसके बाद उनके पिता करहगर चले गए. वहां भी उन्होंने स्कूलिंग की बाद में उनका तबादला बक्सर हो गया. प्रशांत किशोर बचपन से ही शांत स्वभाव के थे."-रोहित पांडेय, जन सुराज कार्यकर्ता, सासाराम
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ली उच्च शिक्षाः मैट्रिक पास करने के बाद प्रशांत किशोर ने पटना के साइंस कॉलेज से इंटरमीडिएट किया और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से पब्लिक हेल्थ से प्रोफेशनल कोर्स पूरा किया. दिल्ली यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद पीके ने विदेश का रुख किया.
संयुक्त राष्ट्र के लिए 8 साल काम कियाःविदेश में रहने के दौरान प्रशांत किशोर ने संयुक्त राष्ट संघ के लिए 8 वर्षों तक काम किया.इस दौरान उन्होंने स्विट्जरलैंड, अमेरिका और अफ्रीका में काम किया. 2013 में प्रशांत किशोर ने 2014 के आम चुनाव की तैयारी के लिए एक मीडिया और प्रचार कम्पनी, सिटीजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) का निर्माण किया.
PK:चुनावी सफलता के पर्यायः अपनी रणनीतियों से सियासी दलों को सत्ता दिलाने के प्रतीक बन चुके प्रशांत किशोर ने सबसे पहले 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी प्रबंधन की कमान संभाली थी और उन्हें फिर से गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाई.
2014 में दिया नारा अबकी बार, मोदी सरकारः 2012 में पीके की चुनावी रणनीतियों के कायल हुए नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी चुनावी प्रबंधन की कमान प्रशांत किशोर को सौंप दी और फिर पीके ने देश के सामने नया नारा दिया-अबकी बार मोदी सरकार. 2014 में केंद्र में प्रचंड बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आ गयी.