देहरादूनःभगवान आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ का नाम उत्तराखंड की धामी सरकार ने बदलकर ज्योतिर्मठ कर दिया है. हालांकि, पुराणों और ग्रंथो में पहले से ही इस क्षेत्र का नाम ज्योतिर्मठ ही है. लेकिन अब सरकारी अभिलेखों में भी इसे ज्योतिर्मठ के नाम से जाना जाएगा. हालांकि, सरकार के इस फैसले के बाद विपक्षी दल और जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि नाम बदलने से बेहतर सरकार को जोशीमठ के हालात बदलने पर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि इस वक्त जोशीमठ को सहायता की जरूरत है ना कि नाम बदलने की.
बदरीनाथ हाईवे पर गड्ढा से दशहत में लोग:दरअसल, 12 जून को उत्तराखंड की धामी सरकार ने नाम बदलने का फैसला लिया. लेकिन 11 जून को जोशीमठ में बदरीनाथ हाईवे पर हुए गड्ढे ने सब की चिंता बढ़ा दी है. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है कि जब जोशीमठ की सड़कों पर गड्ढे या दरारें आई हों. साल 2023 के नवंबर और दिसंबर महीने में भी इस क्षेत्र में इसी तरह के कई दरारें और गड्ढे देखे गए थे. जिनकी मरम्मत कर दी गई थी. लेकिन एक बार फिर से जोशीमठ के इस गड्ढे ने स्थानीय प्रशासन और जनता की नींद उड़ा दी है.
जानकारी के मुताबिक, जिस सड़क से रोजाना सैकड़ों की तादाद में बदरीनाथ को जाने वाले वाहन निकलते हैं. उस सड़क पर एक बहुत गहरा गड्ढा हो गया है. खतरे की बात ये है कि इस सड़क के निचले छोर से सटा इलाके में गांव बसा है जिसमें 40 परिवार रहते हैं. यह गड्ढा जोशीमठ के रेलवे आरक्षण केंद्र के पास हुआ है.
गड्ढे होने के बाद क्या हुआ? गड्ढा दिखाई देने के तत्काल आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों और बीआरओ से बात करके तत्काल इसे भरने के निर्देश दिए थे. इसके साथ ही इस तरह के गड्ढे क्यों हो रहे हैं ? इसकी भी जांच करने के निर्देश दिए. जोशीमठ एसडीएम चंद्रशेखर वशिष्ठ की माने तो हमें दो गड्ढों की सूचना मिली थी. एक गड्ढा हाईवे के बिल्कुल बीचो-बीच दिखाई दे रहा था. जिसे हमने अध्ययन करने के बाद बीआरओ की मदद से भर दिया. इसकी पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी चमोली को भी भेज दी गई है. अब बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन इस पूरे मार्ग का बारीकी से निरीक्षण कर रहा है. साथ ही गड्ढा होने का कारणों का भी अध्ययन कर रहा है.
ऐसे बिगड़े हालात: 9 जनवरी 2023 से जोशीमठ में सबसे पहले घरों में दरारें पड़ने और भू-धंसाव का सिलसिला शुरू हुआ था. जुलाई 2023 तक जोशीमठ में भारी भू-धंसाव के बीच जोशीमठ नगर के 868 भवनों में दरारें पड़ गई थी. साथ ही 181 भवनों को असुरक्षित जोन घोषित कर दिया गया था. इसके बाद सरकार और प्रशासन ने असुरक्षित स्थानों से लोगों को दूसरे जगह जाने की अपील की. इस दौरान जोशीमठ में अपना जीवन बिता चुके लोग एक-एक कर घर छोड़ने के लिए मजबूर हो गए. आंखों में आंसू और सरकारी मदद के लिए गुहार लगाते पहाड़ के लोगों की पीड़ा को सब ने देखा. देश ही नहीं दुनिया भी जोशीमठ के उन हालातों को बड़ी करीब से देख रही थी.
ऐसा नहीं है कि मकानों की दरारें किसी को दिखाई नहीं दे रही थी. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति लगातार जिला प्रशासन के खिलाफ धरना दे रहा था. लेकिन स्थानीय प्रशासन को भी भनक तब लगी जब कुछ घरों की चौखट और छत गिरने लगी. लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने जोशीमठ पर अपना फोकस किया. इसके बाद सरकारी राहत का सिलसिला शुरू हुआ.