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पायलट बाबा की संपत्ति को हड़पने की साजिश! एक पत्र ने पुलिस के खड़े किए कान, जांच के लिए SIT गठित

देश के जाने-माने संत पायलट बाबा की करोड़ों रुपए की संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने का आरोप लगा है.

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पायलट बाबा की संपत्ति की नजर. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 minutes ago

देहरादून: ब्रह्मलीन हो चुके देश के जाने-माने संत पायलट बाबा एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार सुर्खियों में रहने का कारण उनकी संपत्ति और आश्रम है. ब्रह्मानंद गिरी नाम के संत ने उत्तराखंड पुलिस को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कुछ लोगों पर पायलट बाबा की संपत्ति को खुर्द बुर्द करने का आरोप लगाया है. ब्रह्मानंद गिरी का आरोप है कि आश्रम में ही रहने वाले कुछ संतों की नजर पायलट बाबा की संपत्ति पर है.

ब्रह्मानंद गिरी ने अपने पत्र में ये भी आरोप लगाया है कि पायलट बाबा के हरिद्वार के जगदीशपुर स्थित आश्रम को कुछ भू-माफिया के साथ मिलकर बेचा और खरीदा जा सकता है. वहीं, हरिद्वार पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और मामले की जांच के लिए 6 सदस्य एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन कर किया.

पायलट बाबा की संपत्ति पर किसनी नजर?: पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने के कुछ महीने बाद ही उनकी संपत्ति यानी आश्रम की जमीन को हड़पने का खेल शुरू हो गया है. हालांकि ये खेल कौन खेल रहा है, यह तो पुलिस की जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा. फिलहाल पुलिस को जो पत्र मिला है, उसमें न सिर्फ पायलट बाबा की संपत्ति हड़पने की साजिश का जिक्र किया गया है, बल्कि पायलट बाबा के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप भी लगा है. पुलिस को मिले पत्र में कई गंभीर आरोप लगाए गए है.

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पायलट बाबा का निधन 20 अगस्त 2024 को मुंबई में हुआ था. (ETV Bharat)

हरिद्वार एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल का बयान: पायलट बाबा की संपत्ति को लेकर पुलिस को जो पत्र मिला है, उस पर हरिद्वार एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल का बयान भी आया है. उन्होंने बताया कि मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. हरिद्वार में पहले भी संतों से जुड़े इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं, जिनकी गुत्थी पुलिस ने सुलझायी है. इन आरोपों के राज भी पुलिस जल्द ही पर्दा उठाएगी.

एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने कहा कि पायलट बाबा हरिद्वार ही नहीं देश के जाने-माने संत थे. उनके जाने के बाद यदि गैरकानूनी तरीके से उनकी संपत्ति से कोई छेड़छाड़ करता है तो पुलिस उसकी जांच करेंगी. जांच टीम आश्रम से जुड़े साधु-संतों, भक्तों और ट्रस्टियों से भी बातचीत करेगी. फिलहाल पुलिस पत्र में लिखे गए आरोपों के आधार पर ही मामले की जांच करेंगी. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, स्थिति स्पष्ट होती जाएगी.

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हरिद्वार में पायलट बाबा का आश्रम. (ETV Bharat)

करोड़ों रुपए की संपत्ति: बता दें कि पायलट बाबा का निधन 20 अगस्त 2024 को मुंबई में हुआ था. हरिद्वार के अलावा उत्तराखंड के कई और शहरों, बिहार और दिल्ली में भी पायलट बाबा के आश्रम है. इतना ही नहीं जापान जैसे देश में भी पायलट बाबा के आश्रम है. पुलिस इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है. क्योंकि अगले साल प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन होना है, जहां पायलट बाबा के भक्त और साथी साधु-संत एक ही जगह पर इकट्ठा होंगे. ऐसे में वहां कोई बड़ा विवाद न हो, इसीलिए पुलिस इस मामले के समय रहते सुलझा लेना चाहती है.

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भारत के साथ-साथ विदेशों में पायलट बाबा के भक्त थे. (ETV Bharat)

जानिए कौन थे पायलट बाबा?: पायलट बाबा का वैसे असली नाम कपिल सिंह था. संन्यास लेने से पहले पायलट बाबा भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर हुआ करते थे. बताया जाता है कि 1957 में एक लड़ाकू विमान के पायलट के रूप में उन्हें कमीशन मिला. उसके बाद वायु सेना ने उनके काम को देखकर उन्हें विंग कमांडर से नवाजा था. साल 1962, 1965 और 1971 में हुए युद्ध के दौरान बाबा ने फाइटर पायलट की भूमिका निभाई थी.

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नेताओं से मिलते हुए पायलट बाबा. (ETV Bharat)

उत्तराखंड में संपत्ति के लिए पहले भी कई संतों की हुई हत्या: उत्तराखंड में पहले भी कई संतों की संपत्ति के लिए हत्या हो चुकी है. ऐसे की कुछ पुराने मामले पर एक नजर डालते है.

  • 25 अक्टूबर 1991 को रामायण सत्संग भवन के संत राघवाचार्य आश्रम से निकलकर टहल रहे थे. तभी स्कूटर सवार लोगों ने उन्हें घेरकर पहले गोली मारी, फिर चाकूओं से गोद दिया था. इस मामले में 21 दिन बाद एक की गिरफ़्तारी की गई थी.
  • 09 दिसम्बर 1993 को रामायण सत्संग भवन के ही स्वामी व संत राघवाचार्य आश्रम के साथी रंगाचार्य की ज्वालापुर में हत्या कर दी गई. अब सत्संग भवन में सरकारी पहरा है और उस पर रिसीवर तैनात है.
  • सुखी नदी स्थित मोक्षधाम की करोड़ों की संपत्ति: 1 फरवरी 2000 को ट्रस्ट के सदस्य गिरिश चंद अपने साथी रमेश के साथ अदालत जा रहे थे. पीछे से एक जीप ने टक्कर मारी, जिसमें रमेश मारे गये. पुलिस ने स्वामी नागेन्द्र ब्रह्मचारी को सूत्रधार मानते हुए जेल भेज दिया था.
  • बेशकीमती कमलदास की कुटिया पर भी कई लोगों की नजर रही. लोगों के बीच झगडे़ भी हुए, लेकिन वो संपत्ति आज तक किसी को भी नहीं मिल पाई. आज भी कमलदास की कुटिया पर पुलिस का पहरा है.
  • चेतनदास कुटिया में तो अमेरिकी साध्वी प्रेमानंद की दिसंबर 2000 में लूटपाट कर हत्या कर दी गई. कुछ स्थानीय लोग पकड़े गये गए थे. आज भी मामला चल रहा है.
  • वहीं, 5 अप्रैल 2001 को बाबा सुरेन्द्र बंगाली की हत्या की गई थी.
  • इसके अलावा 16 जून 2001 को हरकी पैड़ी के सामने टापू में बाबा विष्णु गिरी समेत चार साधुओं की हत्या हुई थी.
  • वहीं, 26 जून 2001 को ही एक अन्य बाबा ब्रह्मानंद की हत्या हुई थी.
  • इसी साल पानप देव कुटिया के बाबा ब्रह्मदास को दिनदहाड़े गोली मार कर हत्या की गई थी.
  • 17 अगस्त 2002 बाबा हरियानंद व उनके चेले की हत्या.
  • एक अन्य संत नरेन्द्र दास की भी हत्या की गई थी. पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था.
  • 06 अगस्त 2003 को संगमपुरी आश्रम के प्रख्यात संत प्रेमानंद उर्फ भोले बाबा गायब हुए थे. सात सिंतबर 2003 को पुलिस ने हत्या का खुलासा किया. आरोपी गोपाल शर्मा पकड़ा गया. अब आश्रम सील है.
  • 28 दिसम्बर 2004 को संत योगानंद की हत्या. हतायारों का पता आज तक नहीं चला.
  • 15 मई 2006 को पीली कोठी के स्वामी अमृतानंद की हत्या. संपत्ति पर सरकारी कब्जा.
  • 25 नवंबर 2006 को सुबह इंडिया टेम्पल के बाल स्वामी की गोली मारकर हत्या. तीन लोग गिरफ्तार हुए.
  • 08 फरवरी 2008 को निरंजनी अखाड़े के 7 साधुओं को जहर दिया गया था. सभी की जान बच गई थी. लेकिन आज तक कोई आरोपी पकड़ा नहीं गया.
  • 14 अप्रैल 2012 निर्वाणी अखाड़े के सर्वोच पद पर असीन महंत सुधीर गिरि की हत्या. इसमें स्थानीय व्यक्ति और कुछ भू माफिया गिरफ्तार हुए थे, जो अब जेल से बाहर है.
  • 26 जून 2012 तिहरे हत्याकांड ने न सिर्फ हरिद्वार पुलिस-प्रशासन, बल्कि शासन और सरकार तक को हिला दिया था. दरअसल, हरिद्वार के लक्सर में हनुमान मंदिर के अंदर देर रात तीन संतों की हत्या की गई ती. पुलिस इस मामले को भी सम्पति विवाद बता रही थी. इसमें दो गिरफ्तार हुई थी.
  • वहीं साल 2018 में पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के कोठारी महंत मोहन दास गायब हुए थे, जिनका आजतक कुछ पता नहीं चल पाया. पुलिस आज तक उनकी तलाश कर रही है. कोठारी के पास अखाड़े की पूरी संपत्ति का लेखा-जोखा मौजूद रहता था.
  • अक्टूबर साल 2024 में कनखल के ही श्रद्धा भक्ति आश्रम के संत के साथ कुछ लोगों ने पहले नजदीकियां बढ़ाई और उसके बाद उनकी हत्या कर दी. पुलिस की जांच में हत्या की वजह से करोड़ों रुपए संपत्ति ही बताया गया. पुलिस को 17 अक्टूबर को ही महंत के लापता होने की सूचना मिली थी. जब मामले की जांच की गई तो हत्या की बात सामने आई. पुलिस ने इस मामले में यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली के कई लोगों को गिरफ्तार किया था.

क्या कहते है अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष: आखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्रपुरी भी मानते है कि बीते कुछ सालों में संतो से जुड़े अपराध बढ़े है. इसीलिए वो लगातार सरकारों से संतो की सुरक्षा की मांग करते रहे है. हरिद्वार संतो की भूमि है. अगर यहां भी साधु-संतों के साथ कुछ गलत होता है तो सहीं नहीं है. उन्हें उम्मीद है कि पायलट बाबा के मामले की भी पुलिस जांच कर सारी परतें खोलेगी और जो सच होगा वो बाहर आएगा.

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देहरादून: ब्रह्मलीन हो चुके देश के जाने-माने संत पायलट बाबा एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार सुर्खियों में रहने का कारण उनकी संपत्ति और आश्रम है. ब्रह्मानंद गिरी नाम के संत ने उत्तराखंड पुलिस को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कुछ लोगों पर पायलट बाबा की संपत्ति को खुर्द बुर्द करने का आरोप लगाया है. ब्रह्मानंद गिरी का आरोप है कि आश्रम में ही रहने वाले कुछ संतों की नजर पायलट बाबा की संपत्ति पर है.

ब्रह्मानंद गिरी ने अपने पत्र में ये भी आरोप लगाया है कि पायलट बाबा के हरिद्वार के जगदीशपुर स्थित आश्रम को कुछ भू-माफिया के साथ मिलकर बेचा और खरीदा जा सकता है. वहीं, हरिद्वार पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और मामले की जांच के लिए 6 सदस्य एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन कर किया.

पायलट बाबा की संपत्ति पर किसनी नजर?: पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने के कुछ महीने बाद ही उनकी संपत्ति यानी आश्रम की जमीन को हड़पने का खेल शुरू हो गया है. हालांकि ये खेल कौन खेल रहा है, यह तो पुलिस की जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा. फिलहाल पुलिस को जो पत्र मिला है, उसमें न सिर्फ पायलट बाबा की संपत्ति हड़पने की साजिश का जिक्र किया गया है, बल्कि पायलट बाबा के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप भी लगा है. पुलिस को मिले पत्र में कई गंभीर आरोप लगाए गए है.

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पायलट बाबा का निधन 20 अगस्त 2024 को मुंबई में हुआ था. (ETV Bharat)

हरिद्वार एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल का बयान: पायलट बाबा की संपत्ति को लेकर पुलिस को जो पत्र मिला है, उस पर हरिद्वार एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल का बयान भी आया है. उन्होंने बताया कि मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. हरिद्वार में पहले भी संतों से जुड़े इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं, जिनकी गुत्थी पुलिस ने सुलझायी है. इन आरोपों के राज भी पुलिस जल्द ही पर्दा उठाएगी.

एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने कहा कि पायलट बाबा हरिद्वार ही नहीं देश के जाने-माने संत थे. उनके जाने के बाद यदि गैरकानूनी तरीके से उनकी संपत्ति से कोई छेड़छाड़ करता है तो पुलिस उसकी जांच करेंगी. जांच टीम आश्रम से जुड़े साधु-संतों, भक्तों और ट्रस्टियों से भी बातचीत करेगी. फिलहाल पुलिस पत्र में लिखे गए आरोपों के आधार पर ही मामले की जांच करेंगी. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, स्थिति स्पष्ट होती जाएगी.

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हरिद्वार में पायलट बाबा का आश्रम. (ETV Bharat)

करोड़ों रुपए की संपत्ति: बता दें कि पायलट बाबा का निधन 20 अगस्त 2024 को मुंबई में हुआ था. हरिद्वार के अलावा उत्तराखंड के कई और शहरों, बिहार और दिल्ली में भी पायलट बाबा के आश्रम है. इतना ही नहीं जापान जैसे देश में भी पायलट बाबा के आश्रम है. पुलिस इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है. क्योंकि अगले साल प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन होना है, जहां पायलट बाबा के भक्त और साथी साधु-संत एक ही जगह पर इकट्ठा होंगे. ऐसे में वहां कोई बड़ा विवाद न हो, इसीलिए पुलिस इस मामले के समय रहते सुलझा लेना चाहती है.

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भारत के साथ-साथ विदेशों में पायलट बाबा के भक्त थे. (ETV Bharat)

जानिए कौन थे पायलट बाबा?: पायलट बाबा का वैसे असली नाम कपिल सिंह था. संन्यास लेने से पहले पायलट बाबा भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर हुआ करते थे. बताया जाता है कि 1957 में एक लड़ाकू विमान के पायलट के रूप में उन्हें कमीशन मिला. उसके बाद वायु सेना ने उनके काम को देखकर उन्हें विंग कमांडर से नवाजा था. साल 1962, 1965 और 1971 में हुए युद्ध के दौरान बाबा ने फाइटर पायलट की भूमिका निभाई थी.

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नेताओं से मिलते हुए पायलट बाबा. (ETV Bharat)

उत्तराखंड में संपत्ति के लिए पहले भी कई संतों की हुई हत्या: उत्तराखंड में पहले भी कई संतों की संपत्ति के लिए हत्या हो चुकी है. ऐसे की कुछ पुराने मामले पर एक नजर डालते है.

  • 25 अक्टूबर 1991 को रामायण सत्संग भवन के संत राघवाचार्य आश्रम से निकलकर टहल रहे थे. तभी स्कूटर सवार लोगों ने उन्हें घेरकर पहले गोली मारी, फिर चाकूओं से गोद दिया था. इस मामले में 21 दिन बाद एक की गिरफ़्तारी की गई थी.
  • 09 दिसम्बर 1993 को रामायण सत्संग भवन के ही स्वामी व संत राघवाचार्य आश्रम के साथी रंगाचार्य की ज्वालापुर में हत्या कर दी गई. अब सत्संग भवन में सरकारी पहरा है और उस पर रिसीवर तैनात है.
  • सुखी नदी स्थित मोक्षधाम की करोड़ों की संपत्ति: 1 फरवरी 2000 को ट्रस्ट के सदस्य गिरिश चंद अपने साथी रमेश के साथ अदालत जा रहे थे. पीछे से एक जीप ने टक्कर मारी, जिसमें रमेश मारे गये. पुलिस ने स्वामी नागेन्द्र ब्रह्मचारी को सूत्रधार मानते हुए जेल भेज दिया था.
  • बेशकीमती कमलदास की कुटिया पर भी कई लोगों की नजर रही. लोगों के बीच झगडे़ भी हुए, लेकिन वो संपत्ति आज तक किसी को भी नहीं मिल पाई. आज भी कमलदास की कुटिया पर पुलिस का पहरा है.
  • चेतनदास कुटिया में तो अमेरिकी साध्वी प्रेमानंद की दिसंबर 2000 में लूटपाट कर हत्या कर दी गई. कुछ स्थानीय लोग पकड़े गये गए थे. आज भी मामला चल रहा है.
  • वहीं, 5 अप्रैल 2001 को बाबा सुरेन्द्र बंगाली की हत्या की गई थी.
  • इसके अलावा 16 जून 2001 को हरकी पैड़ी के सामने टापू में बाबा विष्णु गिरी समेत चार साधुओं की हत्या हुई थी.
  • वहीं, 26 जून 2001 को ही एक अन्य बाबा ब्रह्मानंद की हत्या हुई थी.
  • इसी साल पानप देव कुटिया के बाबा ब्रह्मदास को दिनदहाड़े गोली मार कर हत्या की गई थी.
  • 17 अगस्त 2002 बाबा हरियानंद व उनके चेले की हत्या.
  • एक अन्य संत नरेन्द्र दास की भी हत्या की गई थी. पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था.
  • 06 अगस्त 2003 को संगमपुरी आश्रम के प्रख्यात संत प्रेमानंद उर्फ भोले बाबा गायब हुए थे. सात सिंतबर 2003 को पुलिस ने हत्या का खुलासा किया. आरोपी गोपाल शर्मा पकड़ा गया. अब आश्रम सील है.
  • 28 दिसम्बर 2004 को संत योगानंद की हत्या. हतायारों का पता आज तक नहीं चला.
  • 15 मई 2006 को पीली कोठी के स्वामी अमृतानंद की हत्या. संपत्ति पर सरकारी कब्जा.
  • 25 नवंबर 2006 को सुबह इंडिया टेम्पल के बाल स्वामी की गोली मारकर हत्या. तीन लोग गिरफ्तार हुए.
  • 08 फरवरी 2008 को निरंजनी अखाड़े के 7 साधुओं को जहर दिया गया था. सभी की जान बच गई थी. लेकिन आज तक कोई आरोपी पकड़ा नहीं गया.
  • 14 अप्रैल 2012 निर्वाणी अखाड़े के सर्वोच पद पर असीन महंत सुधीर गिरि की हत्या. इसमें स्थानीय व्यक्ति और कुछ भू माफिया गिरफ्तार हुए थे, जो अब जेल से बाहर है.
  • 26 जून 2012 तिहरे हत्याकांड ने न सिर्फ हरिद्वार पुलिस-प्रशासन, बल्कि शासन और सरकार तक को हिला दिया था. दरअसल, हरिद्वार के लक्सर में हनुमान मंदिर के अंदर देर रात तीन संतों की हत्या की गई ती. पुलिस इस मामले को भी सम्पति विवाद बता रही थी. इसमें दो गिरफ्तार हुई थी.
  • वहीं साल 2018 में पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के कोठारी महंत मोहन दास गायब हुए थे, जिनका आजतक कुछ पता नहीं चल पाया. पुलिस आज तक उनकी तलाश कर रही है. कोठारी के पास अखाड़े की पूरी संपत्ति का लेखा-जोखा मौजूद रहता था.
  • अक्टूबर साल 2024 में कनखल के ही श्रद्धा भक्ति आश्रम के संत के साथ कुछ लोगों ने पहले नजदीकियां बढ़ाई और उसके बाद उनकी हत्या कर दी. पुलिस की जांच में हत्या की वजह से करोड़ों रुपए संपत्ति ही बताया गया. पुलिस को 17 अक्टूबर को ही महंत के लापता होने की सूचना मिली थी. जब मामले की जांच की गई तो हत्या की बात सामने आई. पुलिस ने इस मामले में यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली के कई लोगों को गिरफ्तार किया था.

क्या कहते है अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष: आखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्रपुरी भी मानते है कि बीते कुछ सालों में संतो से जुड़े अपराध बढ़े है. इसीलिए वो लगातार सरकारों से संतो की सुरक्षा की मांग करते रहे है. हरिद्वार संतो की भूमि है. अगर यहां भी साधु-संतों के साथ कुछ गलत होता है तो सहीं नहीं है. उन्हें उम्मीद है कि पायलट बाबा के मामले की भी पुलिस जांच कर सारी परतें खोलेगी और जो सच होगा वो बाहर आएगा.

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