कांग्रेस का साय सरकार पर आदिवासियों की उपेक्षा का आरोप, बीजेपी का पलटवार - Politics on World Tribal Day
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने प्रेसवार्ता ली. दीपक बैज ने आरोप लगाया कि ''भाजपा सरकार नागपुर से चलती है. पिछले 15 साल की सरकार में भाजपा ने जो किया था, वही काम अब पिछले 8 महीने की सरकार में कर रही है." दीपक बैज के अलावा पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने भी बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए. इससे पहले डिप्टी सीएम अरुण साव ने बीजेपी के शासनकाल और पीएम मोदी के नेतृत्व में देश में आदिवासियों के उत्थान की बात कही थी.
छत्तीसगढ़ में ट्राइबल पॉलिटिक्स हुई तेज (ETV BHARAT)
छत्तीसगढ़ के सियासी रण में ट्राइबल कार्ड (ETV BHARAT)
रायपुर: विश्व आदिवासी दिवस को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार को घेर रही है. आज फिर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने इस मुद्दे पर कहा कि ''छत्तीसगढ़ की डबल इंजन की सरकार पहले तो दिल्ली के रिमोट कंट्रोल से चलती थी, लेकिन विश्व आदिवासी दिवस के दिन ये पता चला कि छत्तीसगढ़ की सरकार नागपुर के रिमोट कंट्रोल से भी चल रही है.'' दीपक बैज ने आरोप लगाया कि ''भाजपा सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम का बहिष्कार किया.''
''भाजपा सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस का बहिष्कार करने के साथ ही आदिवासियों का अपमान किया है. आरएसएस के खुले विरोध की वजह से क्या सरकार दबाव में आई. क्या इसी वजह से भाजपा सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस का बहिष्कार किया.'':दीपक बैज, पीसीसी चीफ
कांग्रेस ने साय सरकार पर लगाए गंभीर आरोप: कांग्रेस का आरोप है कि ''राजधानी रायपुर में विश्व आदिवासी दिवस के दिन दो कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें एक कार्यक्रम रायपुर के इंदौर स्टेडियम में विश्व आदिवासी दिवस आयोजित किया गया था, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को शामिल होना था, वहीं दूसरा कार्यक्रम महंत घासीदास संग्रहालय के कला वीथिका में आदिवासियों के लिए एक प्रदर्शनी का आयोजित की गई थी जिसे स्थगित कर दिया गया. इन दोनों कार्यक्रमों में सरकार के प्रतिनिधि वहां नहीं पहुंचे."
"पिछले 5 सालों में कांग्रेस की सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस को एक उत्सव और महोत्सव का रूप दिया. सार्वजनिक अवकाश भी दिया गया. कांग्रेस सरकार ने विश्व आदिवासी नृत्य महोत्सव की शुरुआत की, जिसमें देश विदेश के आदिवासी आते थे. इस आयोजन से आदिवासी समाज को सम्मान मिल रहा था.'':दीपक बैज, पीसीसी चीफ
"आदिवासी दिवस के दिन मैंने सीएम को लिखा पत्र": दीपक बैज ने कहा कि ''विश्व आदिवासी दिवस के दिन मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कुछ सवाल पूछे थे. जिसमें मैंने यह पूछा था कि क्या आप प्रदेश के आदिवासी समाज से आते हो. सरकार के लगभग 8 महीने के कार्यकाल को लेकर आदिवासी समाज नाराज है, क्योंकि बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों को फर्जी नक्सली बताकर एनकाउंटर करना, फर्जी सरेंडर करना, फर्जी नक्सली बताकर जेल भेज रहे हैं.''
हसदेव जंगल की कटाई पर भी बैज ने दागे सवाल: हसदेव जंगल की कटाई को लेकर दीपक बैज ने कहा कि "इसकी अनुमति सरकार ने दी है, जिसके बाद से ही हसदेव जंगल की कटाई शुरू हुई है. वहां के आदिवासियों को उजाड़ने का काम बीजेपी की सरकार कर रही है. इन्हीं सब कारणों की वजह से आदिवासी समाज सरकार से नाराज है.''
आरएसएस के बहाने सरकार पर दीपक बैज का हमला: दीपक बैज ने वनवासी कल्याण आश्रम के पोस्ट को लेकर कहा कि ''वनवासी कल्याण आश्रम ने विश्व आदिवासी दिवस को औचित्यहीन करार दिया. यह संस्था घोषित रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस का एक संगठन है. जिसका संचालन आरएसएस करता है.'' दीपक बैज ने यह भी कहा कि ''वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने एक सार्वजनिक बयान जारी किया और यह फेसबुक पेज पर भी लगा हुआ है. विश्व आदिवासी दिवस का भारत में कोई औचित्य नहीं है. इसके साथ ही विश्व आदिवासी दिवस कोई अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है. इसका मतलब यह कि उन्होंने आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को मानने से इनकार कर दिया."
भूपेश बघेल ने भी बीजेपी सरकार पर अटैक किया: आदिवासी दिवस के मुद्दे पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने भी बीजेपी की साय सरकार पर अटैक किया. उन्होंने कहा कि हमने आदिवासी दिवस मनाने की शुरुआत छत्तीसगढ़ में की थी. 9 अगस्त के दिन विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित किया था. आदिवासी दिवस पर सीएम के नहीं पहुंचने पर भी भूपेश बघेल ने अटैक किया.
"भाजपा आदिवासियों को आदिवासी नहीं मानती है, बल्कि उन्हें वनवासी मानती है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में नहीं आए और यही वजह है कि भाजपा ने इसमें से अपना हाथ खींच लिया. आदिवासियों के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नहीं आए अब मुख्यमंत्री को आदिवासियों का जवाब देना चाहिए कि आखिर वह इस कार्यक्रम में क्यों नहीं आए. जिस तरह से आदिवासियों के कार्यक्रम से मुख्यमंत्री ने किनारा किया है. वह एक षड्यंत्र है.": भूपेश बघेल, पूर्व सीएम, छत्तीसगढ़
"आदिवासियों का अपमान और शोषण ही कांग्रेस का चरित्र": कांग्रेस के सवालों पर बीजेपी की तरफ से प्रतिक्रिया आई है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने कहा कि झूठ का बाजार सजाकर अफवाह और भ्रम फैलाकर कांग्रेस विश्व आदिवासी दिवस पर ओछी राजनीति कर रही है. दीपक बैज भी अब आलाकमान के सामने अपना नंबर बढ़ाने की कवायद करके सत्य और तथ्य से परे बातें करने लगे हैं.
"दीपक बैज के बयान से यह साफ हो गया है कि आदिवासी विरोधी कांग्रेस अपने राजनीतिक आचरण से सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली वाले बयान को पुख्ता कर रही है. बेसिरपैर की बयानबाजी में आरएसएस और उसके अनुषांगिक संगठनों को घसीटने की बुरी लत के शिकार कांग्रेस के लोग हैं. पहले अपने और अपनी पिछली भूपेश सरकार के आदिवासी विरोधी कारनामों को कांग्रेस को याद करना चाहिए.आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ को एक पूर्ण राज्य का दर्जा भाजपा की केंद्र सरकार ने दिया था.आदिवासी महिला जब राष्ट्रपति बन रही थी, तो कांग्रेस ने पूरा विरोध किया और द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति नहीं बनने देने के लिए पूरा दम लगाय. कांग्रेस ने पूरी कोशिश की कि एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति न बन पाए. कांग्रेस को आदिवासियों और आदिवासी संस्कृति के बारे में बात करने का कोई हक नहीं है. कांग्रेस ने कभी भी छत्तीसगढ़ राज्य के लिए काम नहीं किया": देवलाल ठाकुर, बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता, छत्तीसगढ़
बीजेपी सरकार कर रही आदिवासियों का विकास: बीजेपी की तरफ से डिप्टी सीएम अरुण साव ने विश्व आदिवासी दिवस के दिन आदिवासियों के लिए किए जा रहे कार्यों की बात कही. वक्फ संशोधन बिल का जिक्र करते हुए उन्होंने कांग्रेस पर संविधान के उल्लंघन का आरोप लगा दिया. डिप्टी सीएम ने कहा कि," प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए कई काम किए गए हैं. आजादी के बाद पहली बार द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी नेता बनीं. आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए कई योजनाएं लागू की जा रही हैं."
आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में सीएम के नहीं जाने को कांग्रेस ने मुद्दा बना लिया है. जबकि बीजेपी का कहना है कि हमारी सरकार में आदिवासियों के उत्थान के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं. अब देखना होगा कि सूबे में ट्राइबल पॉलिटिक्स पर सियासी घमासान कहां थमता है.