देहरादून (उत्तराखंड):लोकतंत्र के सबसे बड़ा पर्व बस कुछ ही दिनों में शुरू होने जा रहा है. ऐसे में तमाम राजनीतिक पार्टियां हर लोकसभा सीट पर अपनी जीत दर्ज करवाना चाहेगी. कांग्रेस हो या बीजेपी या फिर अन्य राजनीतिक दल उत्तराखंड में भी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कई तरह के प्रयासों में जुटे हुए हैं. उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटें हैं. सभी लोकसभा सीटों का अपना-अपना महत्व और गणित है. ऐसे में आज गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के सत्ता, सियासत और सीटों के गुणा भाग आपको बताएंगे.
गढ़वाल लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है. जिस पर सबसे ज्यादा वीआईपी नेता चुनाव लड़ना चाहते हैं. यह सीट ऐसी है, जिस पर न केवल उत्तराखंड के नेताओं की बल्कि देश के कई बड़े राजनेताओं की नजर रहती है. ऐसे में इस सीट पर होने वाला चुनाव बेहद रोचक होने वाला है. गढ़वाल संसदीय क्षेत्र को पौड़ी लोकसभा सीट से जानते हैं. यह वो सीट है, जहां से तमाम दिग्गज ताल्लुक रखते हैं. जिन्होंने देश और विदेश में नाम कमाया है.
देश में पौड़ी का है बड़ा नाम:पौड़ी का नाम आते ही उन तमाम बड़ी शख्सियतों सामने आ जाते हैं, जो यहां पैदा हुए. यहां की शख्सियत देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी उपलब्धियां के साथ बड़े पदों पर विराजमान हैं. इसके साथ ही पौड़ी ने उत्तराखंड को पांच मुख्यमंत्री भी दिए हैं. जिसमें विजय बहुगुणा, तीरथ सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत और भुवन चंद्र खंडूड़ी शामिल हैं.
इसके अलावा देश के पहले सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत हो या अजीत डोभाल, वो भी पौड़ी से ताल्लुक रखते हैं. इसके अलावा भी कई बड़ी शख्सियत यहीं पर पैदा हुई. यहीं से पढ़ाई लिखाई कर देश के अलग-अलग हिस्सों में उत्तराखंड का नाम रोशन किया, लेकिन आज भी यह क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, पलायन, सड़कों की कनेक्टिविटी, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दों को लेकर चर्चा में रहती है.
मौजूदा समय में गढ़वाल लोकसभा सीट से तीरथ सिंह रावत सांसद हैं. उन्होंने साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी मनीष खंडूड़ी को भारी मतों से हराया था. जबकि, साल 2014 के चुनाव में इसी सीट से पूर्व मुख्यमंत्री रहे बीजेपी के भुवन चंद्र खंडूड़ी ने हरक सिंह रावत को चुनावी मैदान में पटकनी दी थी. गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र काफी बढ़ा है. यह क्षेत्र अपनी सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए खास पहचान रखता है.
गढ़वाल लोकसभा में आते चार जिले और 14 विधानसभाएं:पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट उत्तराखंड के चार जिलों में फैली है. जिसमें चार जिलों की 14 विधानसभाएं आती हैं. जिसमें हिंदुओं के प्रमुख स्थलों से लेकर सिख के धार्मिक स्थल की सीटें भी मौजूद हैं. गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में बदरीनाथ, कर्णप्रयाग, थराली, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ, पौड़ी, चौबट्टाखाल, कोटद्वार, श्रीनगर, नरेंद्र नगर, यमकेश्वर, देवप्रयाग, लैंसडाउन और रामनगर विधानसभा शामिल हैं.
गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में करीब 14 लाख मतदाता (2011 के जनगणना के मुताबिक) हैं. इस संसदीय क्षेत्र में बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के साथ हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा भी आता है. श्रीनगर जैसे गढ़वाल के प्रमुख शहर हों या फिर पौड़ी और कोटद्वार के साथ रामनगर तक इसी लोकसभा के हिस्सा हैं. यह सीट 1957 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का ही कब्जा रहा है.
खास बात ये है कि यह लोकसभा सीट सैनिक बाहुल्य सीट है. यही कारण है कि कांग्रेस हो या बीजेपी हमेशा से ऐसे प्रत्याशियों पर दांव लगाती आई है, जिनका ताल्लुक किसी न किसी तरीके से सैनिक से रहा हो. इस लोकसभा क्षेत्र में शहरीकरण काफी कम है. केवल कोटद्वार, रामनगर और श्रीनगर को छोड़कर अमूमन हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र का ही आता है.
कांग्रेस जीती सबसे ज्यादा चुनाव, लेकिन अब बीजेपी है भारी: गढ़वाल लोकसभा सीट कितनी अहम है ये हर एक राजनीतिक पार्टी जानती है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे नेता हो या फिर भुवन चंद्र खंडूड़ी. इसके अलावा सतपाल महाराज हों या फिर तीरथ सिंह रावत इन जैसे बड़े नेता इस सीट से सांसद रह चुके हैं.